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Periods Myth : पीरियड्स से जुड़े मिथ जो भारतीय समाज में फैले हुए हैं

पीरियड्स से जुड़े मिथ सबकी अपनी-अपनी और अलग-अलग धारणाएं हैं. जो पीढ़ी दर पीढ़ी बस निभाई चली जा रही है. ऐसा क्यों है और किस लिए है? इस बारे में अब हमें चुप्पी तोड़नी ही होगी
11:15 AM Feb 20, 2022 IST | Monika Agarwal
periods myth   पीरियड्स से जुड़े मिथ जो भारतीय समाज में फैले हुए हैं
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Periods से जुड़े मिथ हैं, जिनके बारे में समझना थोड़ा मुश्किल है. पीरियड्स से जुड़ी हमारे देश में कई तरह की बातें होती है. देखा जाए तो पुराने समय में पीरियड्स के दौरान महिलाओं के साथ काफी अलग व्यवहार किया जाता था. उठने, बैठने, खाने, पीने से लेकर यहां तक रोक-टोक के बारे में भी कई बातें हमने सुनी हैं. पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करना आज भी किसी पाप से कम नहीं माना जाता है.

ऐसे में जाहिर सी बात है कि, आखिर महिलाएं इस बारे में बात करें भी तो कैसे? कैसे पीरियड्स से जुड़े मिथ को तोड़ा जाए. बात काफी पहले यानी कि पुश्तों से चली आ रही है कि, हमें जैसे हमारी मां, दादी और नानी ने पीरियड्स से जुड़ी सख्ती बरती की नसीहत दी है. वैसे ही उनको भी मिली और आगे हम भी वही करते चले गए. लेकिन हर पीढ़ी ने इसे सिर्फ निभाया पर इससे जुड़े सवाल कभी नहीं उठाए. तो अब ये समय बिलकुल सही है जब आपको अपनी चुप्पी तोड़नी ही चाहिए.

पहला पीरियड्स से जुड़ा मिथ

Periods
Sanitary Pads

हमेशा से ही हमने ये देखा है कि, जब भी हम सैनिटरी पैड खरीदने के लिए किसी दुकान में जाते हैं, तो कहा जाता है कि, ये हमारा निजी समान है इसे, हमेशा ढककर ही रखना चाहिए. इसलिए दुकानदार हमें इसे काली पोलीथिन या पेपर में लपेट कर देता है.

जानें फैक्ट– जिस तरह से सैनिटरी पैड हमारा निजी समान है, ठीक वैसे ही हमारा साबुन, टूथपेस्ट भी हमारा निजी समान ही है. क्योंकि ये सब चीजें हमारी हाइजीन से जुड़े होते हैं. तो इसमें शर्म करने जैसी कोई बात नहीं है.

दूसरा पीरियड्स से जुड़ा मिथ

Periods
Trees remain green with good care

कहते हैं पीरियड्स के दौरान महिला या लड़की को पेड़ पौधों से दूर रहना चाहिए और उन्हें गलती से भी नहीं छूना चाहिए. अगर पेड़ पौधों को छुआ तो वह मर जाते हैं.

जानें फैक्ट– आपको बता दें कि, पौधे हम इंसानों की तरह नहीं होते. वो किसी में भी भेदभाव नहीं करते. पेड़ पौधे अच्छी देखभाल से हरे भरे रहते हैं, और पनपते हैं. तो आप निडर होकर पेड़ पोधों की देखभाल कर सकती हैं.

तीसरा पीरियड्स से जुड़ा मिथ

Periods
It doesn’t matter in periods

पुराने समय से ही ऐसी धारणा चली आ रही है कि, पीरियड्स के दौरान दही, इमली जैसी खट्टी चीज और अचार नहीं खाना चाहिए. इससे पिरिड्स में काफी परेशानी होती हैं.

जानें फैक्ट– आप क्या खा रही हैं, क्या नहीं. उससे पीरियड्स में कोई भी फर्क नहीं पड़ता. आप भी इस धारणा से बहार आइये और जागरूक हो जाइए.

चौथा पीरियड्स से जुड़ा मिथ

Periods
Do what you want

काफी पुरानी बात है, जो कुछ घरों में आज भी देखने को मिल जाएगी. जब लड़की या महिला पीरियड्स में होती है तो उसे अकेले कमरे में छोड़ दिया जाता है. ये एक परम्परा बना दी गयी है कि, पीरियड्स के दौरान लड़की किसी शेड या अलग कमरे में ही रहेगी, ताकि कोई उसे देख ना पाए.

जानें फैक्ट- अगर आपके घर में भी आपके साथ ऐसा होता है, या किसी के साथ ऐसा होते देखा है तो इससे जुड़ा फैक्ट उन्हें समझाएं. पीरियड्स किसी भी तरह का कोई संक्रमण नहीं है. जिससे पीरियड्स में परेशानी होने लगे. आप जितना योग और व्यायाम करेंगी, आपके लिए उतना ही अच्छा होगा.

पांचवा पीरियड्स से जुड़ा मिथ

Periods
It is a natural process

कहते हैं कि, किसी भी लड़की को अपने पीरियड्स के बारे में किसी से भी बात नहीं करनी चाहिए. अगर भूल से भी किसी लड़की ने सार्वजनिक तौर पर इससे जुड़ी बात कर ली तो समझो शर्मिंदगी उठानी निश्चित है.

जानें फैक्ट– अब समय बदल रहा है. पीरियड्स एक नेचुरल प्रोसेस है, जो हर महिला को होता है. आप जिस तरह अपनी ख़ूबसूरती को लेकर खुलकर बात करती हैं, अपने मेकअप प्रोडक्ट के बारे में जैसे बात करती हैं, पीरियड्स भी उससे कुछ भी अलग नहीं है. इस समस्या का हल भी आपके अपने हाथ में है.

छठा पीरियड्स से जुड़ा मिथ

 Periods
Do exercise and yoga

पीरियड्स के दौरान लड़की या महिला को कसरत या शारीरिक गतिविधियों से दूरी रखनी चाहिए

जानें फैक्ट– हकीकत में पीरियड्स के दौरान शरीर जितना एक्टिव रहेगा उतना ही आपको आराम मिलेगा इसलिए इस दौरान एक्सरसाइज या हल्का योगा करने से पीरियड का दर्द हल्का होता है।

सांतवा पीरियड्स से जुड़ा मिथ

Periods
Having periods means that now your body is maturing naturally.

लड़की या महिलाओं को पीरियड के दौरान किसी भी पूजा स्थल या किचन में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि वह इस दौरान अपवित्र होती है।

जानें फैक्ट– आज भी भारत के बहुत से गांवों और कस्बों में इस मिथक को सच मानकर पालन किया जाता है। जबकि यह बिल्कुल गलत है। पीरियड्स आने का अर्थ है कि अब आपका शरीर कुदरती तौर पर मैच्योर हो रहा है।

तो ये कुछ ऐसे मिथक थे, जिनके रियल फैक्ट को जानने के बाद आपको भी जागरूक होने की जरूरत है, ताकि आप इस जागरूकता की चेन को और भी बड़ा कर सकें।

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