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अंजाम दिल की बातों का-गृहलक्ष्मी की कविता

01:00 PM Apr 17, 2024 IST | Sapna Jha
अंजाम दिल की बातों का गृहलक्ष्मी की कविता
anjaam dil ki baaton ka
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Hindi Poem: एक सजा है, एक मजा है

दिल के जज़्बातों का

भीगी भीगी रातों का

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पतझड़ में बरसातों का

वसन्त में बीते साथों का

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उमड़ते अरमानों का

हाल न पूछो दीवानों का

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अंजाम दिल की बातों का.

विरह की वेदना में

डूबते जीवन के तारों का

अमावस के चांद से दिल का

तड़फ तड़फ कर जीते जीवन का

आंसूओं की धार का, दुखों के पल बेशुमार का, बिना दोष सजा अंजाम का

बीते हुए जीवन धाम का

जीवन रह जाता है बस नाम का, विरह में जीवन कहां होता है किसी काम का, रह जाता है जीवन बस नाम का

अंजाम दिल की बातों का

क्या बताये क्या कहर ढ़ाता है

मिले बिना चैन कहां आता है

पाने को मचलता है दिल बेक़रार

चैन लुट जाता है दिल का बार बार, यदि न हो इकरार, हो जाए इंकार

और हाँ हो महबूब की तो जीवन होता है खुशियों की बौछार, हर दिन लगता है एक त्योहार

जैसे सपने हो जाते हैं साकार

जीवन का हो जाता है उध्दार

अंजाम दिल की बातों का वही जान सकता है

जिसने कभी किसी से दिल लगाया हो

प्यार को अपने खोया या पाया हो

जीवन के अमृत को पाया या खोया हो

दर्द दिल में जागता है

नींद आँखों से भागती है

तब भी दिल एक सुकून एक दर्द मीठा पाता है

जहर भी इश्क का अमृत हो जाता है

वफा मिले तो जीवन आकाश में उड़ता हुआ एक सुन्दर घर बनाता है

न मिले वफा तो अंजाम दिल जीवन भर एक दर्द भरा एहसास ढोता है

बात बात में दिल न जाने कब कितनी बार रोता है

हंसते हंसते निकल आते हैं आंसू

रोते रोते हंसने लगता है मन

न तन की सुध न मन का पता

सबकुछ खोया खोया रहता है

जीवन भरे उजाले में अंधेरे से भरा होता है

अंजाम प्यार का कहां सुखद होता है

जो करता है प्यार, उसे ही अंजाम दिल की बातों का पता होता है

ये नादां दिल फिर भी इश्क के लिए तरसा होता है

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