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अपनों के साथ की खुशी-गृहलक्ष्मी की कहानियां

01:00 PM Apr 16, 2024 IST | Sapna Jha
अपनों के साथ की खुशी गृहलक्ष्मी की कहानियां
apno ke saath ki khushi
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Hindi Story: युविका और अपर्णा दोनों बचपन की सहेलियां थीं। एक साथ स्कूल गई और एक साथ ही कॉलेज भी जाती थीं। दोनों की घनिष्ठ मित्रता थी।
हर समय दोनों साथ रहतीं थीं।
एक दिन दोनों कॉलेज से वापस आ रहीं थीं। मैट्रो से उतर घर आने का एक शॉर्ट कट रास्ता था। दोनों रोज़ उसी रास्ते से घर आती थीं। उस रास्ते पर कम लोग ही आते जाते थे। क्योंकि पक्की सड़क नहीं बनी हुई थी। पर क्योंकि वह दोनों शाम ढलने से पहले ही पहुंच जाती थीं इसलिए उस रास्ते का इस्तेमाल कर लेती थीं। यदि उन्हें थोड़ी ज़्यादा देर हो जाती तो वह उस रास्ते से नहीं जाती थीं।
उस दिन भी दोनों रोज़ की तरह ही उस रास्ते से घर आ रहीं थीं। तभी अचानक एक बाइक सवार उनके पास आकर रुक गया। युविका उसे देख चौंक गयी और पसीने से तर बतर हो गई। पर अपर्णा ने बिना डरे उनका सामना किया।
"कौन हो तुम? रास्ते से हटो हमारे।" अपर्णा ने गुस्से से कहा।
"आप हटिए मैडम, और हमें हमारी वाली से बात करने दीजिए।" उस लड़के ने बदतमीजी से कहा।
"हमारी वाली? ये क्या है युवी? क्या तुम इसे जानती हो?" अपर्णा ने हैरान होकर पूछा।
"अप्पू, ये लड़का पिछले एक हफ्ते से हमारा पीछा कर रहा है। कॉलेज में, कैंटीन में, ऑडिटोरियम में, मैट्रो में, हर जगह।" युविका ने डरते हुए कहा। वह पसीने से तरबतर हो गई थी।
"तूने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?" अपर्णा बोली।
"तू अपने प्रोजेक्ट में बिजी थी इसलिए नहीं बताया।" युविका बोली।
इतने में वह लड़का उन दोनों के और करीब आ गया। युविका ने डरते हुए अपर्णा का हाथ कस कर पकड़ लिया।
"पीछे हो जाओ वरना…" अपर्णा बोली।
"देखिए अपर्णा जी मुझे आप में कोई इंटरेस्ट नहीं है। मुझे सिर्फ युविका से बात करनी है आप प्लीज़ घर चले जाइए। और हमें अकेला छोड़ दीजिए।" उस लड़के ने व्यंग्यात्मक लहज़े में कहा।
"मैं अकेले नहीं जाऊंगी। युविका को साथ लेकर जाऊंगी। बीच में आए तो…" अपर्णा ने अपना हाथ उठाते हुए कहा।
तभी अचानक किसी ने पीछे से आकर उसका हाथ पकड़ लिया। अपर्णा ने हाथ छुड़ाने की बहुत कोशिश की पर नाकाम रही। युविका ये सब देख थर-थर कांपने लगी।
"मिस अपर्णा, फ्लैट नंबर 45, हाउजिंग सोसायटी, यही पता है ना तुम्हारा।" पीछे से अपर्णा का हाथ पकड़ने वाले लड़के ने कहा और‌ अपनी पकड़ और मज़बूत कर दी।
"तुम…तुम मेरा नाम और घर का पता कैसे जानते हो? मेरा पीछा करते हो क्या?" अपर्णा ने चिल्ला कर हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा।
"मैं तो आपके बारे में बहुत कुछ जानता हूंँ। दो दिन दे रहा हूंँ। फेसबुक पर मेरा रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लेना, और हांँ भाभीजी आप मेरे दोस्त का कर लेना। कितने दिनों पहले भेजा था उसने। आप गौर ही नहीं कर रहीं।" उस लड़के ने अपर्णा का हाथ छोड़ युविका की तरफ देखते हुए कहा। फिर दोनों बाइक पर बैठे और वहां से चले गये।
इस हादसे ने युविका और अपर्णा को हिला कर रख दिया
“चल युवी, घर चलकर सब कुछ बता देते हैं।” अपर्णा बोली।
“नहीं अप्पू, प्लीज़। मेरे पापा तो मार डालेंगे मुझे। मेरी ही गलती निकालेंगे इसमें। प्लीज़ यार। कुछ मत बोल।” युविका रोते हुए बली।
“तू..तू रो मत यार! चुप हो जा।” अपर्णा उसे चुप कराते हुए बोली।
दोनों ने तय किया कि वो अभी अपने घर कुछ नहीं बताएंगी।
रात दस बजे युविका का फोन बजा। उसने डरते हुए देखा तो फोन पर अपर्णा थी।
"हैलो…हां बोल।" युविका ने फुसफुसाते हुए कहा।
"इन लड़कों ने तो सच में फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज रखी है। क्या करें अब? बता दें घर पर।" अपर्णा बोली।
"नहीं बहन, मेरे पापा मेरा जीना मुश्किल कर देंगे। प्लीज़ यार। वो तेरे पापा की तरह अंडरस्टैंडिंग नहीं हैं।" युविका ने रोते हुए कहा।
"इसका कुछ तो तोड़ निकालना पड़ेगा। कल हम कॉलेज से छुट्टी ले लेते हैं और कुछ सोचते हैं।" अपर्णा ने यह कह फोन रखा।
अपर्णा और युविका के माता पिता ने देखा कि दोनों लड़कियां दो दिन से कॉलेज नहीं गई हैं। तो उन्हें अजीब लगा।
इधर अपर्णा और युविका को उन दो लड़कों ने फोन करके परेशान कर दिया था। वो उन्हें अलग-अलग नम्बरों से फोन कर रहे थे।
"यार! कितने नम्बर हैं इनके पास? हर बार किसी दूसरे नंबर से फोन आ जाता है। क्या करें?" युविका ने रोते हुए कहा।
अपर्णा उसे चुप करा ही रही थी कि उसका छोटा भाई गौरव जो बारहवीं कक्षा में पढ़ता है वो उसके कमरे में आ गया। ज़ोर देने पर उसे बताना पड़ा कि उन दोनों के साथ क्या हो रहा है।
“भाई तू किसी से कुछ मत कहना। मेरे पापा मेरा कॉलेज जाना बंद कर देंगे।” युविका हाथ जोड़ते हुए बोली।
"आप घबराओ मत दीदी। कल आप दोनों कॉलेज जाओगी और उसी रास्ते से वापस आओगी। मैं भी देखता हूंँ किसमें इतनी हिम्मत है कि मेरी बहनों को रोके और बदतमीजी करे।" अपर्णा के भाई गौरव ने कहा।
“गौरव, वो बहुत ख़तरनाक हैं। गुंडे लग रहे थे मुझे। रहने दें भाई। बेकार का लड़ाई झगड़ा हो जाएगा।” अपर्णा बोली।
“दीदी, डरते रहने से काम नहीं चलेगा। कब तक घर बैठोगी? तुम दोनों को घर बैठे देख मम्मी-पापा पूछेंगे नहीं क्या? मेरी बात मानो और वैसे ही करो जैसा मैंने कहा है।” गौरव ने उन्हें समझाते हुए कहा।
अगले दिन दोनों जब उस रास्ते से वापस आ रहीं थीं तब वह लड़के उनके सामने फिर आ गए।
"हमारा रिक्वेस्ट एक्सेप्ट क्यों नहीं किया?" एक ने कहा।
"नहीं करना था इसलिए नहीं किया। कोई ज़ोर ज़बरदस्ती है क्या?" अपर्णा ने कहा।
"ज़ोर ज़बरदस्ती तो अब करेंगे हम।" दूसरे लड़के ने बाइक से उतरा युविका का हाथ पकड़ते हुए कहा।
तभी उसके चेहरे पर एक करारा थप्पड़ पड़ा। उसने मुंँह उठा कर देखा तो उसकी बहन सामने खड़ी थी। तभी पहले लड़के की मांँ ने आकर उसको थप्पड़ मारा।
"ये सब हरकतें करते हो तुम पढ़ाई के नाम पर? इसलिए भेजा था तुमको मैंने कॉलेज?" पहले लड़के की मांँ ने एक के बाद एक थप्पड़ मारते हुए कहा।
"भैया, आप एक लड़की के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती कर रहे हो? भूल गए क्या, कि घर पर आपकी भी एक बहन है, यदि मेरे साथ कोई ऐसा करे तो। छि….घिन्न् आती है कि आप मेरे भाई हो।जो दूसरी लड़की की इज्ज़त नहीं कर सकता वो घर की औरतों की क्या खाक इज्ज़त करता होगा।" दूसरे लड़के की बहन ने कहा।
दोनों लड़के अपनी मांँ और बहन से गिड़गिड़ाते हुए माफी मांगने लगे। तभी अपर्णा का भाई गौरव वहांँ आ गया और बोला," चाहता तो तुम्हारी हरकत के लिए तुम्हें जेल भिजवा सकता था। पर उससे तुम दोनों सुधरते नहीं। इसलिए तुम्हें सबक सिखाने के लिए और यह एहसास दिलाने के लिए कि शायद तुम भूल रहे हो कि तुम्हारी भी मांँ हैं, बहन है। उन्हें कैसा लगेगा जब तुम्हें ऐसी छिछोरी हरकत करते देखेंगे? मैं कल शाम तुम लोगों के घर गया और इन्हें सब बातें बताई और अपना प्लान समझाया। मां-पापा को भी बुला सकता था। पर बात बढ़ाने का क्या फायदा। अपनी बहन की रक्षा का वादा किया है, हर हाल में निभाऊंगा।"
"हमें माफ कर दो। सॉरी, आगे से कभी ऐसी हरकत नहीं होगी।" उन दोनों ने शर्मिंदा होते हुए कहा।
साथ ही दोनों ने अपर्णा और युविका से भी माफी मांगी। और अपने घर चले गए।
"क्या बात है छोटू….तू तो बहुत बड़ा हो गया है। और समझदार भी। हमें तो लगा था कि तू अपने दोस्तों को लाएगा और मार पिटाई करेगा। पर तूने तो कमाल ही कर दिया।" अपर्णा ने गौरव को शाबाशी देते हुए कहा।
"हर चीज़ का हल मार पिटाई नहीं होता दीदी। जब घी सीधी उंगली से निकल रहा है तो उंगली टेढ़ी क्यों करनी है? और अपनी बहनों की रक्षा और सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मेरी है। आप सुरक्षित सड़कों पर घूम सको, यह देखना मेरा फ़र्ज़ है।" गौरव ने कहा।
"ओहो! चल बता क्या चाहिए तुझे! आज हम बहुत खुश हैं।" अपर्णा और युविका ने एकसाथ कहा।
"ना…आप दोनों सिर्फ बोलते हो दिलवाते नहीं हो।" गौरव ने मायूस होकर कहा।
"इस बार पक्का दिलवाएंगे। बोल ना तुझे क्या चाहिए?" युविका बोली।
"हम्ममम…..तो…. वुडलैंड के नये शूज़ लॉन्च हुए हैं…वो चाहिएं मुझे….ये देखो ये वाले।" गौरव ने अमेज़ॉन पर उसकी फोटो दिखाते हुए कहा।
"क्या….पांच हज़ार….पांच हज़ार रुपए। तू पागल है! तेरा दिमाग खराब है। इतना मंहगा गिफ्ट लेता है कोई।" युविका और अपर्णा घर तक गौरव को पीटते, डांटते हुए पहुंचे।
उस समय नहीं , पर रक्षाबंधन वाले दिन गौरव को अपर्णा ने वही तोहफा गिफ्ट में दिया।
"मेरे छोटे भाई को मेरा प्यार भरा तोहफा।"
"और मेरी बड़ी बहन को भी ये प्यार भरा चॉकलेट पैक।" गौरव ने शरारत भरी निगाहों से अपर्णा को बॉक्स देते हुए कहा।
अपर्णा ने झट से बॉक्स खोला तो उसमें आधी चॉकलेट थीं, आधी गायब थीं। अपर्णा गुस्से से चिल्लाते हुए गौरव‌ के पीछे भागी, "माँ देखो फिर मेरी चॉकलेट खा गया।"
भाई-बहन की ये नोंकझोंक, रुठना-मनाना, उनके प्यार का एक हिस्सा है। पूरी ज़िंदगी वह एक दूसरे के लिए खड़े होते हैं, एक दूसरे की रक्षा करते हैं, सहारा बनते हैं। यह प्यार यूँ ही सदा बरकरार रहे जन्मों-जन्मों तक। अपनों के साथ की खुशी अलग ही होती है।

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