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आशा और उम्मीद-गृहलक्ष्मी की कविता

07:00 PM May 02, 2024 IST | Sapna Jha
आशा और उम्मीद गृहलक्ष्मी की कविता
Asha aur Umeed
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Hindi Kavita: एक दिन माँ-बाप ने,
बड़े प्यार से, दुलार से,
बच्चे से कहा,
बेटे ! हमने  तुम्हे बड़े कष्ट से पाला,
बहुत दुःख-दर्द सहा,
तुमसे हमारी उम्मीदें जुडी हैं,
हमारी आशाएं तुम पर टिकी हैं,
तुम ही हमारे प्राणाधार हो,
तुम्ही हमारे भविष्य का आधार हो,
बेटे ने धीरे से कहा,
मम्मी-पापा स्वार्थी न बनो,
हमें पालो,
पर हमसे, उम्मीदें ,आशाएं न पालो,
जीवन कितना दुरूह है,
हम कितने निरीह हैं
भविष्य कितना मुश्किल है ?
आप दोनों की , कौन सोचे ?
हम अपने आपको पाल लें,
वही बहुत है...

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