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जानलेवा सेप्सिस से बचना है तो विभिन्न इंफेक्शन को न करें नजरअंदाज: Awareness About Sepsis

03:38 PM Sep 13, 2023 IST | Rajni Arora
जानलेवा सेप्सिस से बचना है तो विभिन्न इंफेक्शन को न करें नजरअंदाज  awareness about sepsis
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Awareness About Sepsis: सेप्सिस या सेप्टिसीमिया सीवियर मेडिकल स्थिति है जो छोटी-सी चोट या घाव से भी शुरू हो सकती है। जिस पर ध्यान न देने पर यह जानलेवा हो सकती है। सेप्सिस में हमारा शरीर किसी इंफेक्शन के प्रति इम्यून रिएक्शन देने लगती है और इसकी वजह से शरीर अपने ही टिशूज को डैमेज करने लगता है यानी खुद को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। शरीर में अधिकतर इंफेक्शन सेप्सिस की वजह बन सकते हैं जैसे-निमोनिया, यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन, एब्डोमेन इंफेक्शन, स्किन इंफेक्शन, मेनेंजाइटिस जैसे ब्रेन इंफेक्शन। कभी-कभी छोटी-सी चोट लगने, खरोंच आने , कटने, कीड़े के काटनेे पर भी सेप्सिस हो सकता है।

एक रिपोर्ट के हिसाब से पूरे एशिया में भारत सेप्सिस से होने वाली मौतों (तकरीबन 34 प्रतिशत) में दूसरे नंबर पर आता है। आईसीयू में भर्ती लोगों को इसका ज्यादा खतरा होता है। विडंबना है कि इसके बारे में लोगों में जागरूकता की कमी है और इसकी वजह से लाखोें लोगों को जान गंवानी पड़़ती है। डब्ल्यूएचओ के आंकडे बताते हैं कि दुनिया में हर 3 सेकंड में किसी एक व्यक्ति की सेप्सिस से मौत हो जाती है। इसी को देखते हुए लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 13 सितंबर को वर्ल्ड सेप्सिस डे के रूप में मनाया जाता है।

असल में हमें किसी तरह का इंफेक्शन (फंगल, वायरल, बैक्टीरियल) होता है, तब हमारा शरीर का इम्यून सिस्टम उस इंफेक्शन के खिलाफ रिएक्शन करता है। इस रिएक्शन के दौरान शरीर कई तरह के एंजाइम्स या प्रोकैल्सिटोनिन प्रोटीन रिलीज करता है जो आमतौर पर शरीर को इंफेक्शन से बचाते हैं। लेकिन सेप्सिस की स्थिति में शरीर का इम्यून सिस्टम इन एंजाम्स को ठीक तरह रिस्पांड नहीं कर पाता या कंट्रोल से बाहर हो जाता है। यह रिएक्शन इतना बढ़ जाता है कि शरीर अपने ही अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। इफेक्शन की वजह से शरीर में इंफ्लामेटरी रिस्पांस जनरेट होता है, जो सेप्सिस है।

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Awareness About Sepsis
Awareness About Sepsis

सेप्सिस की एडवांस स्टेज है जिसे सेप्टिक शॉक मल्टीऑर्गन फेलियर कहा जाता है। इसमें इंफ्लामेटरी रिस्पांस की वजह शरीर में डिहाइड्रेशन होना शुरू हो जाता है, ब्लड सर्कुलेशन में बदलाव आने लगता है, मरीज का ब्लड प्रेशर बहुत कम हो जाता है। इस कॉम्प्रोमाइज सर्कुलेटरी सिस्टम के कारण शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन ठीक तरह से नहीं पहुंच पाती। जिसका असर फेफड़ों, हार्ट, किडनी जैसे अंगों पर पड़ता है। शरीर में शॉक और मल्टीऑर्गन फेलियर जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जिसकी वजह से मरीज की मौत भी हो सकती है।

किन वजहों से होता है

आमतौर पर मरीज को शरीर के किसी हिस्से में पहले से इंफेक्शन होता है जैसे-स्किन, किडनी, फेफडों में, लिवर में पस होना। अगर वो इंफेक्शन समय रहते ठीक न हो, तो बैक्टीरिया पूरे शरीर में फैल सकते हैं और सेप्सिस इंफेक्शन विकसित हो सकता है।

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क्या हैं लक्षण

  • तेज बुखार आना।
  • ब्लड प्रेशर में बार-बार उतार-चढ़ाव होना।
  • असहनीय बदन दर्द होना।
  • थकावट और कमजोरी महसूस होना।
  • ब्लड प्रेशर कम होना।
  • स्किन के घाव में से पस निकलना।
  • पेट में दर्द होना।
  • हार्टबीट बढ़ना।
  • शरीर में सूजन आना और ब्लड क्लॉट होना।
  • शरीर के विभिन्न अंगों पर असर पड़ने से उन अंगों का ठीक तरह काम न कर पाना जैसे-लिवर पर असर होने पर पीलिया होना, फेफडों में एक्यूट रेस्पेरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम होना, ऑक्सीजन लेवल कम होना, सांस लेने में दिक्कत होना, ब्रेन पर असर होने पर बेहोशी आना, दौरे पड़ना, सिर दर्द होना, किडनी पर असर होने पर यूरिन में कमी होना, त्वचा पर चकते होना, त्वचा के रंग में बदलाव होना।

किन्हें है ज्यादा रिस्क

किसी भी तरह के इंफेक्शन से जूझ रहे लोग, निमोनिया बुखार से पीड़ित, शूगर कंट्रोल न होने पर डायबिटीज, लिवर या हार्ट की बीमारी हो, इम्यूनिटी कमजोर होना, 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग या 2 साल से कम उम्र के बच्चे।

कब जाएं डॉक्टर के पास

सतर्क रहना जरूरी है। जब भी मरीज को बुखार के साथ किसी तरह की चोट या इंफेक्शन हो, सांस तेज चल रही हो, ब्लड प्रेशर कम हो रहा हो-तो बिना देर किए डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए।

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क्या है इलाज

Awareness About Sepsis
Awareness About Sepsis-Treatment

मरीज की स्थिति के आधार पर प्रो-कैल्सिटोनिन प्रोटीन का पता लगाने के लिए बीआरएएचएमएस प्रो-कैल्सिटोनिन ब्लड टेस्ट, ब्लड कल्चर, इंफेक्शन वाली जगह से कल्चर किया जाता है। जरूरत हो तो मरीज का अल्ट्रा साउंड, सीटी स्कैन भी किया जाता है।

सेप्सिस में स्थिति के आधार पर इलाज किया जाता है। कोशिश की जाती है कि मरीज के अंग कम से कम प्रभावित हों और सेप्सिस इंफेक्शन जल्द ठीक हो जाए। जैसे-ब्लड प्रेशर कम होने पर इंटरावैस्कुलर ड्रॉप से फ्ल्यूड दिए जातेे हैं। ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए वेजो प्रेशर मेडिसिन दी जाती है। इंफेक्शन कंट्रोल करने के लिए एंटीबॉयोटिक मेडिसिन दी जाती हैं। सांस लेने में दिक्कत होने पर मरीज को ऑक्सीजन भी दी जाती है। बाहरी तौर पर स्किन में इंफेक्शन होने पर पस निकल रही हो तो उसे साफ करने के लिए सर्जरी भी की जाती है।

कैसे करें बचाव

  • फ्लू, निमोनिया या इंफेक्शन से बचाव के लिए फ्लू वैक्सीन जरूर लगवाएं।
  • साफ-सफाई और व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। नियमित हाथ धोएं।
  • हेल्दी लाइफ स्टाइल मेंटेन करें। नियमित व्यायाम करें।
  • किसी भी तरह की चोट लगने या इंफेक्शन को नजरअंदाज न करें।
  • अपने आप कोई दवाई न लेें। डॉक्टर द्वारा दी गई एंटीबॉयोटिक का कोर्स नियमित लें और कोर्स पूरा करें।
  • पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लें।

(डॉ जे रावत, सीनियर फिजीशियन, सहगल नियो अस्पताल, दिल्ली)

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