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बड़ा कौन?-गृहलक्ष्मी की कहानियां

01:00 PM May 26, 2023 IST | Sapna Jha
बड़ा कौन  गृहलक्ष्मी की कहानियां
Bada Kaun
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Grehlakshmi ki Kahani: शास्त्री नगर के ए ब्लॉक के 2 कमरों वाले घर में, हॉल में टीवी पर रामायण का वह सीन चल रहा था जब रावण सीता जी को अपनी बात मानने के लिए जोर दे रहा था। टीवी के सामने बैठा कमल बहुत बेचैन होकर वह सीन देख रहा था। रावण अहंकार से भरा हुआ सीता जी को अपनी रानी बनाने के लिए धमका रहा था और सीता जी पूरे आत्मसम्मान के साथ एक तिनके के सहारे अपनी रक्षा कर रही थी और श्री राम जी का नाम ले रही थी। क्यों कमल इतना बेचैन हो रहा था वह देख कर? अहंकार और आत्म सम्मान के उस युद्ध ने कमल को झकझोर कर रख दिया था, वह अपने आप को रावण की जगह और स्वाति को सीता जी की जगह देख रहा था।
स्वाति, 25 वर्षीय खूबसूरत लड़की जो दिल्ली नौकरी करने आई थी, पहली बार में ही उसको कमल की लॉ फर्म में नौकरी मिल गई थी। स्वाति का रंग रूप, सुंदर आंखें, पतली लंबी कद काठी और शैक्षिक रिकॉर्ड देखकर कमल के पास ना करने की कोई वजह नहीं थी।

अपने काम और काबिलियत से स्वाति ने ऑफिस में इज्जत और तारीफें बटोर ली थी। सब उसको पसंद करने लगे थे। यूं तो सब अच्छा चल रहा था पर स्वाति को बस एक ही बात कम पसंद थी और वह था कमल का अहंकारी स्वभाव। कमल अगर कोई निर्णय लेता या बात कह देता तो मजाल है किसी की सुन ले चाहे उसे बाद में कितनी भी परेशानी हो, लेकिन किसी की बात को सही समझने का मतलब वह उसके आगे झुकना समझता था।
अगस्त का वह दिन स्वाति के लिए नई दस्तक लेकर आया– बुरी और अच्छी भी…….
कमल को विदेश की बड़ी कंपनी का बहुत बड़ा ऑफर मिला। अगर उसकी फर्म उस कंपनी का वह काम कर देती तो कमल की कंपनी देश की टॉप कंपनियों में से एक हो जाती। नैतिक रूप से वह काम गलत था; वह कंपनी चाहती थी के कमल की फर्म उनकी दुश्मन कंपनी के ऊपर कुछ झूठे केस फाइल कर दे। झूठे केस दिखाने के लिए उनको एक सुंदर और होशियार लड़की चाहिए थी। कमल ने स्वाति को वह काम करने के लिए कहा जिसके बदले में वह उसको तरक्की और एक फ्लैट तक देने को तैयार हो गया था।
ऑफर सुनकर स्वाति को कतई भी लालच नहीं हुआ बल्कि बहुत बुरा लगा। उसने अपने मालिक को साफ कह दिया, “मैं अपने आत्मसम्मान को दांव पर लगाकर कोई काम नहीं करूंगी। बेशक आप मुझे मालामाल कर दें या नौकरी से निकाल दें”।
स्वाति का आत्मसम्मान उसे गलत के आगे झुकने नहीं दे रहा था और उधर कमल का अहंकार स्वाति के अटल ‘ना’ से चूर हो रहा था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था की स्वाति इतना लाभप्रद प्रस्ताव ठुकरा देगी और साथ में इतनी अच्छी नौकरी भी छोड़ने को तैयार हो जाएगी। उसने स्वाति को नौकरी से निकाल दिया। जैसी लड़की कमल को चाहिए थी वैसी कोई और टाइम से ना मिलने पर विदेशी कंपनी ने ऑफर वापस ले लिया और कमल को करोड़ों का नुकसान हो गया ।
कमल अपने अहंकार में स्वाति को अपनी हार की वजह मानने लगा और उसने ठान लिया कि वह उसका कैरियर बर्बाद कर देगा।
कमल किसी भी तरह पता लगा लेता कि स्वाति नौकरी ढूंढने कहां जाती है और कुछ भी करके या तो उसको नौकरी लेने नहीं देता और अगर मिल जाती तो वहां से निकलवा देता। बार-बार नौकरी छुटने से स्वाति के कैरियर पर सवाल उठने लगे और धीरे-धीरे उसको नौकरी मिलना बंद हो गया। वह अंदर से टूट गई थी। कुछ दिन घर में रहकर उसने अपने आप को वक्त देना चाहा।
एक दिन वह टीवी पर नृत्य का कार्यक्रम देख रही थी। उसकी आंखें चमक उठी, वह तो भूल ही गई थी कि उसके पास शास्त्रीय नृत्य की डिग्री है और वह कई पुरस्कार जीत चुकी है। उसने अपने पुराने साथियों और गुरु को फोन करके फिर से नृत्य करने की अपनी इच्छा जाहिर करी।
कॉरपोरेट दुनिया को छोड़ कर उसने नृत्य की दुनिया में कदम बढ़ाए और यहां भी अपनी काबिलियत से विदेशों तक में शो करने जाने लगी….
दूसरी तरफ कुछ और लोग भी कमल के स्वभाव के कारण मौका देख कर कहीं और नौकरी करने चले गए। अब उसके पास सिर्फ चापलूस लोग रह गए थे जिनमें ना तो काबिलियत थी और ना ही ईमानदारी। वह सिर्फ कमल के अहंकार को बढ़ावा देते रहते और उनकी बातों में आकर कमल अपना नुकसान करता जाने लगा। नतीजा यह निकला कि वह बड़े घर से छोटे घर में आ गया।
कमल की पत्नी बीमार रहती थी। एक दिन जब वह मृत्यु शैया पर थी उसने कमल को आखिरी बार समझाया कि जो कुछ उसने किया वह गलत था और अब भी गलत ही कर रहा है। उसके इस व्यवहार के चलते बेटा भी पिता से नाराज होकर विदेश चला गया था।
कमल को यह बात समझ में तो आई, पर देर से। वह अपना कारोबारी और निजी नुकसान कर चुका था। उसकी लॉ फर्म अब बंद हो चुकी थी और कमल अब ऑनलाइन कानूनी परामर्श देने लगा था। अपनी मदद के लिए और घर के छोटे-मोटे काम के लिए उसने एक नौकर रख लिया था।
दूसरी तरफ स्वाति को सिनेमा में छोटे-मोटे रोल भी मिलने लगे। अब सब लोग उसे नाम से और उसके काम से पहचानने लगे थे। देखा जाए तो नौकरी छोड़ना बुरा जरूर हुआ था लेकिन उस हादसे की यह अच्छाई थी कि आज दुनिया में उसने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी।

टीवी और अखबारों में कमल स्वाति के बारे में पढ़ता रहता और सोचता कि अपने आत्मसम्मान के साथ स्वाति किस मुकाम पर पहुंच गई है; दूसरी तरफ उसका अपना अहंकार उसको कहां ले आया…..
स्वाति ने सीता जी की तरह अपने आत्मसम्मान को रावण यानी कमल के आगे झुकने नहीं दिया और कमल रावण की तरह अपने अहंकार के कारण सही और गलत को देख नहीं पा रहा था।
आज छोटे से घर के एक कमरे में अकेला बैठा टीवी देखता हुआ वह यही सोच रहा था कि आखिर अहंकार और आत्म सम्मान में से बड़ा कौन हुआ?

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