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तरबूज खरीदते समय रहें सावधान, हो सकता है सेहत को नुकसान: Watermelon Purchasing Tips

09:00 AM Apr 16, 2024 IST | Rajni Arora
तरबूज खरीदते समय रहें सावधान  हो सकता है सेहत को नुकसान  watermelon purchasing tips
Take Precautions Before Purchasing Watermelon
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Watermelon Purchasing Tips: चिलचिलाती गर्मी में लाल रसीले मीठे तरबूज अमूमन सबके पसंदीदा फलों में एक हैं। जो गर्मियों में शरीर को ठंडक प्रदान करने के साथ हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन से बचाव करने में सहायक है। इसका 92 प्रतिशत हिस्सा पानी होता है। इसमें शूगर की मात्रा 6 प्रतिशत होती है। इसमें विटामिन ए, बी, सी, डी, लाइकोपिन, कैल्शियम, आयरन, मैगनीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।

तरबूज की बढ़ती मांग के बावजूद जल्द मुनाफे के चक्कर में बाजार में नकली या इंजेक्शन लगाकर पकाए गए तरबूज बहुत मिलते हैं। खरीदते समय अक्सर चमकदार और थोड़े बड़े आकार का तरबूज लेना सही रहता है। लेकिन जरूरी नहीं कि ऐसा तरबूज अच्छा हो यानी लाल रसीले तरबूज के साथ हो सकता है आप जहर का सेवन कर रहे हों। दरअसल, तरबूज को रातोंरात बढ़ा करने और पकाने के लिए ऑक्सीटोसिन कैमिकल का इंजेक्शन लगाया जाता है। हाल ही में एफएसएसएआई ने इस बात की पुष्टि की है कि तरबूज को ज्यादा लाल एवं ताजा दिखाने के लिए उसमें इंजेक्शन से एरिथ्रोसिन कैमिकल डाला जाता है। यह एक तरह की लाल डाई है जिसे मिठाई, कैंडी, ड्रिंक्स में मिलाई जाती है। इसके अलावा तरबूज को मीठा बनाने के लिए सेक्रीन का इंजेक्शन लगाया जाता है।

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कृत्रिम रूप से पकाए गए तरबूज तरबूज शरीर के लिए नुकसानदेह होते हैं। ऐसा तरबूज खाने की वजह से फूड पाॅयजनिंग यानी उलटी आना, पेट दर्द, दस्त, जी मिचलाना, भूख न लगना, अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। रिसर्च के मुताबिक कैमिकल से अप्राकृतिक रूप से तैयार किए गए तरबूज का सेवन लंबे समय तक करने से ओबेसिटी, एनीमिया, किडनी डैमेज होने या कैंसर होने की संभावना रहती है।

तरबूज का मजा उठाने और सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है-प्राकृतिक रूप से पके तरबूज का सेवन किया जाए। कैमिकल तरबूजों की भेड़चाल में इनकी पहचान करना जरूरी है। इसके लिए तरबूज खरीदते समय ही नहीं, खाते समय भी कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। जिनके बारे में आइये जानते हैं-

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काटते और खाते समय इन बातों का रखें ध्यान

Purchasing Watermelon
Take Precautions Before Purchasing Watermelon

एफएसएसएआई के हिसाब से तरबूज को दो हिस्सों में बराबर काट लें। जांच करने के बाद ही सेवन करें।

  • दोनों में से एक हिस्सा लें और पहला रूई की एक छोटी बाॅल बनाकर उसके लाल गूदे पर रगड़े। अगर रूई पर गहरा लाल रंग नहीं चढ़ता तो तरबूज पूरी तरह नेचुरल है। इसे पकाने के लिए किसी तरह का केमिकल इस्तेमाल नहीं किया गया है । ऐसा तरबूज मीठा होता है। अगर रूई का रंग लाल हो जाता है तो इसे कैमिकल से पकाया गया है।
  • इंजेक्शन वाले तरबूज काटने पर सामान्य से सुर्ख लाल दिखाई देते हैं। आमतौर पर प्राकृतिक रूप से पके तरबूज हल्के लाल या पिंक रंग के होते हैैं। तरबूज में एरिथ्रोसिन कैमिकल से बढ़ाए रंग की जांच दो तरीके से की जा सकती है- पहला रूई की एक छोटी बाॅल बनाकर उसके लाल गूदे पर रगडें। अगर रूई पर गहरा लाल रंग नही चढ़ता तो तरबूज पूरी तरह प्राकृतिक है। दूसरे टेस्ट के लिए कांच के बर्तन में साफ पानी लें और उसमें तरबूज का छोटा-सा टुकड़ा डाल दें। अगर पानी का जल्दी से रंग लाल होने लगता है, तो इसके मायने है कि तरबूज में एरिथ्रोसिन कैमिकल मिलाया गया है।
  • बीच के हिस्से में दरारें-सी दिखती हैं जो कैमिकल के रिएक्शन के कारण होता है। प्राकृतिक रूप से पके तरबूज में दरारें या गढ्ढे नहीं होते।
  • तरबूज को टेस्ट से भी पहचाना जा सकता है। खाते वक्त अगर शूगरी या चीनी जैसे मीठे का स्वाद आए, तो तय है कि इसमें सेक्रीन जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर का इंजेक्शन लगाया गया है। प्राकृतिक रूप् से पका तरबूज कभी भी शूगरी नहीं होता। आमतौर पर जानकारी के अभाव में इसके शूगरी टेस्ट की अनदेखी की जाती है और मीठा रसीला तरबूज का मजा लिया जाता है।
  • खाते समय किसी दवा जैसा टेस्ट आए या खाने के बाद जीभ में चिकनापन लगे तो इसे न खाएं।

खरीदते समय बाहर से कैसे पहचाने

तरबूज की बाहरी सतह को ध्यान से चैक करने के बाद ही खरीदें।

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  • प्राकृतिक रूप् से पके तरबूज की बाहरी सतह पर पीला स्पाॅट देखने को मिलता है। चूंकि जमीन के सहारे फैलने वाली तरबूज की बेल में लगा तरबूज जमीन पर पकता है। जिस तरफ से तरबूज जमीन को छूता है, उस तरफ से इसमें पीला स्पाॅट आ जाता है। जबकि इंजेक्शन लगे तरबूज गहरे और चमकदार हरा रंग के होते हैं। ऐसे तरबूज छोटे या बिना पके हुए ही तोड़ लिए जाते हैं। उन्हें इंजेक्शन के माध्यम से पकाया जाता है और उनमें कोई स्पाॅट नहीं होता। इंजेक्शन के रिएक्शन से कई तरबूज की सतह सफेद रंग की जरूर हो जाती है।
  • बेल से जुड़ी तरबूज की डंडी या टेल वाली जगह डार्क ब्राउन या काली होनी चाहिए। यानी प्राकृतिक रूप् से पका तरबूज पूरा पकने के बाद बेल से अलग किया गया है। जबकि इंजेक्शन लगे तरबूज छोटे आकार में या बेल पर बिना पके ही तोड़ लिए जाते हैं जिससे उनकी डंडी हरे रंग की होती है।
  • साफ और चमकदार सतह वाले तरबूज इंजेक्शन से पके तरबूज हो सकते हैं। जबकि प्राकृतिक रूप से पके तरबूज की सतह पर मकड़ी के जाल के समान पतली और हल्की लाइनें दिखाई देती हैं। साथ ही वो चमकदार नहीं होते, हल्के मटमैले रंग के होते हैं।
  • तरबूज खरीदते समय उंगलियों से धीरे-धीरे टैप करके चैक करें। जो तरबूज पका हुआ और मीठा होता है, उसे ठोकने पर तेज आवाज आती है। अधपका या कच्चे तरबूज में आवाज कम हाती है।
  • तरबूज का अधिकांश हिस्सा पानी से बना होता है। अगर तरबूज अपने साइज के अनुपात में हल्का या कम वजनी लगे तो उसे खरीदना अवायड करना चाहिए। आकार में छोटे तरबूज भी काफी अच्छे और मीठे हो सकते हैं, लेकिन उनका वजन अधिक होना चाहिए। जो तरबूज वजन में अधिक होते हैं, वह अधिक रसीले और मीठे होते हैं।
  • इंजेक्शन वाले तरबूज में कहीं न कहीं छोटा-सा सुराख होता है जिसे आमतौर पर कीड़े-मकौड़े के कारण माना जाता है। लेकिन यह इंजेक्शन लगाने की वजह से हो सकता है।
  • कई बार तरबूज की ऊपरी सतह पर हल्का-सा सफेद पाउडर लगा होता है जो कार्बाइड कैमिकल है। जिसे तरबूज को जल्द पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उसे खरीदना अवायड करना चाहिए।
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