सोना, वाकई सोना है: Sleep is Gold
Sleep is Gold: मैं अपने वीडियो, लेखों, पोस्ट और लाइव टॉक्स के जरिए लोगों को हमेशा यह याद दिलाता रहता हूं कि हम सभी के लिए नींद कितनी जरूरी है। मेरा अक्सर ऐसे रोगियों से मिलना होता है जो अपनी नींद ठीक से नहीं ले पा रहे हैं। मेरे पास आने वाले हर चार मरीजों में से एक मरीज ऐसा होता है जो पर्याप्त नींद न ले पाने के कारण ब्रेन फॉग, घबराहट, सिरदर्द, खराब मूड और याददाश्त से जुड़ी दिक्कतों से जूझ रहा होता है। वे लोग सोचते हैं कि उन्हें नींद न आने का कारण उनकी बढ़ती उम्र है। हालांकि, समय के साथ हमारा हर अंग कमजोर होने लगता है लेकिन अनिद्रा की समस्या आज कल युवाओं में भी काफी दिखाई देने लगी है।
जबकि हम अपने संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए अखरोट, ओमेगा-3 और अन्य ब्रेन बूस्टिंग सिरप और काढ़े आदि का सेवन कर सकते हैं। हमें एक कदम पीछे हटने और खुद से पूछने की भी जरूरत है- 'क्या मैं पर्याप्त नींद ले रहा हूं?
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अनिद्रा की समस्या पर कई शोध किए जा रहे हैं, जिससे यह ज्ञात हुआ है कि लगातार नींद की कमी और मस्तिष्क की घटती कार्यप्रणाली के बीच गहरा संबंध है। इसमें दो राय नहीं है कि नींद हमारे लिए महत्वपूर्ण है। इससे किसी तरह का समझौता नहीं किया जाना चाहिए। यह बात और है कि हमारी जीवनशैली आज ऐसी हो गई है कि हम चाहते हुए भी नींद और आराम को नजरअंदाज कर रहे हैं। अधिक कमाने के लिए हम सभी ने अपनी नींद को ठंडे बस्ते में डाल दिया है, लेकिन हमारा शरीर हमारी सामाजिक या व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं की परवाह नहीं करता है। इसे नींद की जरूरत होती है, यह हमारे शरीर की मूलभूत आवश्यकता है।
क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि एक रात कम सोने पर भी सोचना, क्रियान्वयन करना, याद रखना और सकारात्मक मानसिकता में रहना कितना कठिन हो जाता है? यहां तक कि अगले दिन भावनाओं और तनाव को संभालने की हमारी क्षमता भी कम हो जाती है। इसका अर्थ क्या है? नींद में शक्ति होती है।
अनियमितता
आज बहुत से लोग डिटॉक्स डाइट और योग का अनुसरण करते हैं लेकिन कुछ दिनों तक इन चीजों का पालन करने के बाद वे पुराने ढर्रे पर आ जाते हैं। दरअसल, अनियमितता इसका सबसे बड़ा कारण है, जब तक आपका मस्तिष्क खुद को अनुशासित करता है आप फिर उसे आलसी बना देते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि आपका मस्तिष्क कब तरोताजा होता है? यह स्वयं को सभी अवशेषों और अपशिष्टों से कब साफ करता है? हर अंग की ही तरह मस्तिष्क के अपने अपशिष्ट होते हैं और जब हम गहरी नींद में होते हैं तो मस्तिष्क के पास खुद को साफ करने का एक मैकेनिज्म होता है। इसमें बहुत कुछ नहीं है, बस बुनियादी बातें हैं ताकि हमारे शरीर की इंटेलिजेंस हमारी रक्षा कर सके। जैसा कि हमारे शरीर में लिम्फैटिक सिस्टम होता है, ठीक उसी तरह हमारे मस्तिष्क में एक शॉर्प ग्लाइम्फैटिक सिस्टम है, जो चिंता, अत्यधिक विश्लेषण और सूचना ओवरलोड से आने वाले मेटाबॉलिक वेस्ट को हटाने में मदद करती है।
गहरी नींद
जब हम सोते हैं, तो हमारा मस्तिष्क सिकुड़ जाता है और यह एक अच्छी बात है क्योंकि यह तब मस्तिष्क मेरु द्रव के प्रवेश के लिए जगह बनाता है और वेस्ट को बाहर निकालता है। यह अल्जाइमर रोगी के मस्तिष्क में पाए जाने वाले बीटा-एमिलॉइड प्लाक जैसे प्रोटीन कणों को भी बाहर करने में मदद करता है। जब अतिरिक्त बीटा-एमिलॉइड प्लाक का निर्माण और संचय होता है, तो यह न्यूरॉन्स के बीच कम्युनिकेशन में परेशानी खड़ी करता है, जिससे याददाश्त में कमी आना, बोलने में कठिनाई, स्लो मूवमेंट, भ्रम इत्यादि होता है। टॉक्सिन्स यानी शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ कई बीमारियों को जन्म देते हैं, हमारे मस्तिष्क के साथ भी यही स्थिति होती है।
इसके अलावा, नींद की कमी से सूजन भी बढ़ सकती है। विज्ञान अल्जाइमर, पाॄकसंस और डिमेंशिया जैसी कॉग्निटिव कंडीशन को सूजन संबंधी स्थिति कहता है। अन्य कारकों के साथ-साथ नींद की लगातार कमी से सूजन बढ़ सकती है। जबकि हम सूजन को कम करने के लिए करक्यूमिन की खुराक लेते रह सकते हैं, लेकिन यह नींद का विकल्प नहीं हो सकता। यह वह जादू है जो आपके शरीर में तब होता है जब आप गहरी नींद में होते हैं। लोग आमतौर पर अपने जीवन के बाद के चरणों में अपने कॉग्निटिव हेल्थ को लेकर अधिक सतर्क रहना शुरू कर देते हैं।