जमाना मॉडर्न योगा का है
Benefits of Yoga: बदलते समय के साथ योगा की क्रियाओं में भी कुछ परिवर्तन आए हैं। जानिये क्या हैं ये परिवर्तन तथा ये किस प्रकार हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।
स्वस्थ रहने का एक सुंदर और आसान तरीका है योग, जिसके जरिये आप अपने मन-मस्तिष्क और शरीर को स्वस्थ बना सकते हैं।
आजकल के हाइटेक युग में लोगों ने समय के अभाव के कारण योगा और उससे जुड़े आसनों को नया रूप दे दिया है, जिसे ‘मॉडर्न योगा के नाम से संबोधित किया जाता है। आइए, जानते हैं क्या है मॉडर्न योगा और कितना फायदा पहुंचाता है यह हमारे शरीर और मस्तिष्क को।
पावर योगा

पावर योगा को ‘डायनामिक योगा भी कहा जाता है। यह भारतीय योग अष्टांग का पश्चिमी रूपांतरण है, जो शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है। पावर योगा के लिए कोई एक ही आसन नियित नहीं है। इसे विभिन्न मुद्राओं में भी किया जा सकता है, जिसका लाभ आपके पूरे शरीर को पहुंचता है।
पावर योगा का मुख्य रूप सूर्य नमस्कार के आसनों से मिलता-जुलता है। बस गति को अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार बदल देते हैं। सूर्य नमस्कार 12 भागों में किया जाता है, जो आपको सांसों पर नियंत्रण रखना सिखाता है।
अगर आप रोज सुबह उठकर सूर्य नमस्कार या पावर योगा के 12 आसनों को करते हैं तो यह आपके शरीर को लचीला बनाता है और कमर के आस-पास की चर्बी को भी कम करता है।
पावर योगा के लाभ
पावर योगा मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, कैलोरीज घटाता है और शरीर में जमी वसा को कम करने में मददगार साबित होता है।
यह योगा आपकी कमर और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
पावर योगा आपके शरीर और मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है।
यह योगा आपके ध्यान को केंद्रित करने में भी मददगार साबित होता है।
इस डायनामिक योगा के हफ्ते में तीन दिन और 45 मिनट के अभ्यास से आप खुद को स्वस्थ बना सकते हैं। दिल की बीमारी से ग्रसित रोगियों को पावर योगा अपने डॉ. की सलाह लेकर ही करना चाहिए।
फेशियल योगा

आज की तनावग्रस्त जिंदगी में अपने स्वास्थ्य व सौंदर्य को बनाए रखने के लिए योग को अपनाना एक विश्वसनीय मार्ग है। फेशियल योगा के जरिये आप अपने चेहरे के दाग-धब्बों, झाइयों, झुर्रियों तथा कालेपन को दूर कर सकते हैं।
कपोल शक्ति क्रिया

सुखासन या पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों की आठों उंगलियों के आगे के भाग को आपस में मिलाकर दोनों अंगूठों से नाक के छिद्रों को बंद कर लें, फिर अपने मुंह से श्वास को आवाज के साथ भीतर खींचें, फिर दोनों अंगूठों से नाक के छिद्रों को बंद करके गालों को गुब्बारेनुमा फुलाएं और अपनी क्षमता अनुसार सांस रोककर, नाक के छिद्रों से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे नाक से श्वास निकाल दें। इसका अभ्यास कम से कम 20 बार करें।
मुद्रा आसन

सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों की तीनों उंगलियों (तर्जनी उंगली को छोड़कर) अंगूठे के टिप से मिलाएं। इस प्रकार यह क्रिया उदान कहलाती है। इसका अभ्यास कम से कम 5 मिनट रोज करें।
कपोल शक्ति विकास- भौंहों को जितना हो सके उतना ऊपर चढ़ाएं और आंखों को चौड़ा करें। कुछ देर इसी तरह रहें फिर आरामदायक स्थिति में आ जाएं। इस क्रिया को कम से कम 5 बार करें।
लाभ- उपरोक्त आसनों के नियमित अभ्यास से आप अपने चेहरे की सुंदरता को और अधिक बढ़ा सकते हैं और चेहरे से जुड़े विकारों से मुक्ति पा सकते हैं।
आहार पद्धति- करेले का सेवन करें, खाने में अंकुरित दालें खाएं, दिन में 14 गिलास पानी पिएं, तनाव, क्रोध, चिंता, धूप से बचें।
ताली योगा

चिकित्सा पद्धति के अनुसार हमारे हाथों में सभी बिमारियों को ठीक करने के बिंदु होते हैं, जिन्हें दबाकर रोग में बहुत जल्दी आराम मिलता है। ताली योग इसका एक आयाम है। ताली बजाने के लिए हमें अपने दोनों हाथों को एक दूसरे पर मारना होता है। ऐसा करने से हमारी हथेली के सारे बिंदु सक्रिय हो जाते हैं।
जो लोग पाचन संस्थान के रोग जैसे कब्ज, गैस, अपच और भूख न लगने जैसे रोगों से पीड़ित हैं तो वह यह प्रयोग करें- अपने दाएं हाथ की चार अंगुलियों को अपने बाएं हाथ की हथेली पर जोर से ताली के रूप में मारें, प्रतिदिन प्रात: काल यह अभ्यास 5 मिनट तक करें। ध्यान रहे ताली की आवाज एक जैसी हो। कुछ दिनों के अभ्यास से आप धीरे-धीरे इन बिमारियों से छुटकारा पा लेंगे।
निम्न रक्तचाप के रोगियों के लिए ताली योग रामबाण है। इस विधि को करने के लिए सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को सामने से ताली बजाते हुए नीचे से ऊपर की ओर ले जाकर गोलाकार घुमाएं। इस प्रकार के अभ्यास से हमारा शरीर ऊर्जावान हो जाता है और रक्तचाप भी सामान्य हो जाता है।
ताली योग के अभ्यास से हम स्वत: ध्यान की अवस्था में आ जाते हैं, परिणामस्वरूप हम मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन जैसे रोगों से मुक्त रहते हैं।
हास्य योगा

मनुष्य की आत्मा की संतुष्टि शारीरिक स्वास्थ्य और बुद्धि की स्थिरता नापने का एक ही मापदंड है, वह है चेहरे पर खिली प्रसन्नता। हंसना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा टॅानिक है। खुलकर हंसने से मनुष्य के रक्त संचार की गति बढ़ती है, पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है, हंसने के कारण फेफड़ों के रोग नहीं होते और दूषित वायु बाहर निकलती है। हंसना जीवन की नीरसता, एकाकीपन, थकान, मानसिक तनाव और शारीरिक दर्द से राहत दिलाता है।
आज महिलाएं अपने चेहरे के लिए तरह-तरह की कंपनियों के सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग कर रही हैं, इसके बावजूद भी उनके चेहरों पर चमक नहीं दिखती। परंतु अगर वह हास्य योग का सहारा ले तो चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों से बच जाएंगी।
हंसना मानसिक तनाव को दूर करने के साथ-साथ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है। यह एक ऐसी कसरत है जो बिना अतिरिक्त समय लगाए कोई भी कभी भी कहीं भी बहुत ही सहजता के साथ कर सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जो व्यक्ति जी भर कर हंसता है वह अधिक जीता है।
ऑफिस योगा

अगर दृढ़ इच्छा-शक्ति हो तो हम अपने ऑफिस में ही बैठकर योग की कुछ क्रियाओं को करके तमाम उम्र निरोग रह सकते हैं और निरोग रहने की इसी प्रक्रिया का नाम है ऑफिस योगा, जिसके द्वारा हम अपने हृदय, फेफड़े, पीठ, कमर, पेट और बांहों, पंजों को स्वस्थ रख सकते हैं। इन क्रियाओं से जहां हमारी कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ता है वहीं दूसरी ओर हमारे शरीर में स्मार्टनेस भी आती है।
हृदय स्तंभन क्रिया: सबसे पहले ऑफिस या घर पर कुर्सी पर आराम से बैठ जाएं और बाएं हाथ को कुर्सी के हाथों पर या फिर अपनी गोदी में रख लें। कमर, गर्दन, बिल्कुल सीधी, चेहरा, आंखें और शरीर तनाव रहित और फिर अपने दाएं हाथ की पांचों उंगलियों को मिलाकर कपनुमा आकार बना लें और अपनी छाती के बाएं भाग यानी हृदय वाले भाग पर धीरे-धीरे थपथपाएं। इस क्रिया को कम से कम 50 बार करें।
लाभ: इस क्रिया के द्वारा हमारे हृदय की मसाज होती है। हमारे हृदय में रक्त का संचार बढ़ जाता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है। हृदय को बल मिलता है, शरीर के सूक्ष्म विकार नष्ट हो जाते हैं।
कमर शक्ति विकासक क्रिया: इस क्रिया में एक कुर्सी पर आरामपूर्वक बैठ जाएं, टांगें और पैरों के पंजों को आपस में मिला लें, उसके बाद अपनी कमर तक के भाग को बाईं ओर झुकाएं और फिर अपनी गर्दन और दाएं हाथ को बाईं ओर झुकाएं तथा बाएं हाथ से कुर्सी का दायां किनारा पकड़ लें। कुछ देर इसी अवस्था में रहें, फिर इसी क्रिया को दूसरी ओर से करें। इस क्रिया को करते वक्त यह ध्यान रखें कि हमारी आंखें खुली रहनी चाहिए। इस क्रिया को कम से कम एक तरफ 10-10 बार करना चाहिए।
कमर शक्ति विकासक की दूसरी क्रिया: अपनी कुर्सी को डेस्क से थोड़ा पीछे की ओर सरकाकर कुर्सी के अग्र भाग पर बैठें और दोनों पैरों के बीच कंधे की चौड़ाई जितनी दूरी हो। अब सांस भर कर अपने बाएं बाजू को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं और दाएं हाथ को दोनों पैरों के बीच में जमीन को स्पर्श करते हुए 5 तक की गिनती तक इस मुद्रा में रुकें और अपनी गर्दन और आंखें भी ऊपर की ओर उठाएं, फिर धीरे-धीरे अपने हाथ को नीचे लाएं, इसी प्रकार से यह क्रिया दूसरी ओर से भी करें। यह क्रिया दोनों ओर कम से कम 10-10 बार करें।
Benefits of Yoga लाभ : इन दोनों क्रियाओं से हमारी कमर संबंधित सभी रोग दूर हो जाते हैं इससे हमारी कमर सुडोल और पतली हो जाती है और कमर से चर्बी कम हो जाती है।
विशेष: इन क्रियाओं को करने के लिए आपने कम से कम 3 घंटे पहले भोजन किया हो।
पेट कम करने की क्रिया: इस क्रिया में कुर्सी पर बैठकर अपने दोनों हाथों को कुर्सी की मु_ी पर रख दें और फिर नाक के दोनों छिद्रों से सांस भरकर धीरे-धीरे अजगर की भांति पेट फुलाएं और फिर अपनी क्षमतानुसार इस अवस्था में रुकें, फिर धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए अपने पेट को पिचकाएं और प्रयास करें कि आपका पेट आपकी पीठ से लग जाए। इस क्रिया को समयानुसार बार-बार करें।
लाभ: इन क्रियाओं के द्वारा आप अपने पेट को कम कर सकते हैं। इन क्रियाओं से आपके मन, तन और श्वास में समानता बन जाती है। यह क्रियाएं आपके पेट की मांसपेशियों, पेनक्रियाज ग्लेंड और पेल्विक रीजन को मजबूत बनाती है।
विशेष: हृदय रोगी, अल्सर और उच्च रक्तचाप वाले रोगी इनका अभ्यास न करें। भोजन करने के 3 घंटे बाद इन क्रियाओं का अभ्यास करें।
पीठ विकासक क्रियाएं: सबसे पहले आप किसी दीवार के साथ अपने दोनों हाथों को लगाकर ज्यादा से ज्यादा दीवार से सट जाएं, जिससे आपकी छाती दीवार से लग जाए और आपके दोनों हाथ आपके कंधों की सीध में दीवार पर लगे हों इसके पश्चात्ï कमर, गर्दन बिल्कुल सीधी रखते हुए आप पीछे से अपने दाएं पैर को बिना घुटने से मोड़े 30-45 डिग्री तक उठाएं और मन में 10 तक गिनती करें, फिर यह क्रिया अपने दूसरे पैर से भी उसी प्रकार दोहराएं। इस क्रिया में श्वास बिल्कुल सामान्य होगा। इस क्रिया को दोनों पैरों से कम से कम 10-10 बार करें।
पीठ विकासक की दूसरी क्रिया: कुर्सी पर सामान्य अवस्था में बैठ जाएं। ध्यान रहे आपके घुटने और पैर एक साथ हों। इसके बाद अपने दाएं हाथ से कुर्सी के आगे के किनारे वाले भाग को पकड़ लें और फिर बाईं ओर अपनी बॉडी को ट्विस्ट करते हुए अपने कंधे के ऊपर से पीछे की ओर देखें और बाएं हाथ से कुर्सी के दाएं ओर का किनारा पकड़ लें। 5 गिनने तक इस अवस्था में रुकें और दूसरी ओर से भी यह क्रिया करें।
लाभ: इन क्रियाओं का सीधा प्रभाव हमारे मेरुदंड पर पड़ता है, जिससे हमारी कमर पतली और मेरुदंड लचीला बनाता है। इन क्रियाओं से बुढ़ापा देर से आता है। इन क्रियाओं से पुरुष, महिलाएं, बाल, वृद्ध सभी निरोग रह सकते हैं।
(योग गुरु सुनील सिंह से बातचीत पर आधारित)