सेहत के लिए वरदान है काली सरसों का तेल: Black Mustard Oil
Black Mustard Oil: यह तो हम सभी जानते हैं कि वसा हमारे खाने को और भी ज्यादा स्वादिष्ट बनाता है। लेकिन फिर भी सालों से लोग फैट शब्द से डरते रहे हैं और हमेशा फैट फ्री फूड्स खाने की कोशिश करते हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि फैट में कोई बुराई नहीं है, लेकिन आपको इसे सही प्रकार का खाना होगा। इसीलिए सही प्रकार के तेलों के बारे में जानना बेहद ही जरूरी है।
तो चलिए आइए उस तेल के फायदों के बारे में बात करें जिसका उपयोग बहुत से भारतीय सदियों से करते आ रहे हैं- अचार बनाने से लेकर सूखी सब्जियां पकाने से लेकर करी और तले हुए खाद्य पदार्थ पकाने तक। यह विशेष रूप से बंगाली खाना पकाने के साथ-साथ गुजरात, असम, उड़ीसा, बिहार, हरियाणा, पंजाब और भारत के कई अन्य हिस्सों में आम है। जी हां, हम सरसों के तेल की ही बात कर रहे हैं।
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यह एक ऐसा तेल है, जो खाने में इंग्रीडिएंट्स का टेस्ट और भी ज्यादा बढ़ा देता है। साथ ही साथ, खाने में एक तीखापन भी लेकर आता है। वास्तव में सरसों के तेल को चुनने के लिए झांझ एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। हाल ही में एक कृषि कंपनी ने उत्तर और पूर्वी भारत के प्रमुख बाजारों में सरसों के तेल की खपत के बारे में जागरूकता सर्वेक्षण किया और उपभोक्ताओं के बीच आश्चर्यजनक जानकारी का अंतर पाया। आश्चर्यजनक रूप से 85 प्रतिशत लोग अपने नियमित सरसों के तेल में तीखेपन के स्तर मतलब झांझ को लेकर अनजान थे, जो वास्तव में तेल के स्वाद और सुगंध के रूप में सही तेल चुनने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। इसी सर्वेक्षण में 75 प्रतिशत ने अपने सरसों के तेल में तीखेपन के स्तर के बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की। यह दिलचस्प है क्योंकि मुझे लगता है कि सरसों के तेल में मानकीकृत और पारदर्शी तीखेपन का स्तर वास्तव में एक सेटिस्फेक्शन दे सकता है क्योंकि लोग स्वाद का वह स्तर चुन सकते हैं जिसके साथ वे कंफर्टेबल हैं। इस तरह के सर्वेक्षण लोगों को जानकारी देने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि अधिक लोग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक इस अद्भुत तेल से खाना पकाएं।
सरसों का तेल क्यों अच्छा है?
सरसों के तेल में अन्य खाना पकाने के तेलों की तुलना में कम सैचुरेटिड फैट (केवल 12 प्रतिशत) है, यह ट्रांस फैट और कोलेस्ट्रॉल फ्री है और इसमें फैटी एसिड का एक अच्छा कॉम्बिनेशन है। हमारे लिए लगभग 60 प्रतिशत मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और 21 प्रतिशत पॉलीअनसैचुरेटेड फैट काफी अच्छा है। मोनोअनसैचुरेटेड फैट और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट से भरपूर होने के कारण यह बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करने और गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल बैलेंस अच्छा होता है। यह ट्राइग्लिसराइड के स्तर को भी कम करने में मदद कर सकता है और इस प्रकार हार्ट को भी काफी लाभ होता है।
यह एक एंटी-बैक्टीरियल एजेंट है और कोलोन, इंटेस्टाइन और पाचन तंत्र के अन्य भागों में बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ सकता है। इसमें मौजूद सेलेनियम शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है और यह एक कैंसर प्रोटेक्टर है।
इसके अलावा यह इंडियन कुकिंग स्टाइल के लिए बिल्कुल उपयुक्त है क्योंकि इसमें स्मोकिंग प्वॉइंट हाई होता है, जिसका अर्थ है कि इसका उपयोग डीप फ्राई या फिर हाई हीट स्टर फ्राइंग के लिए किया जा सकता है। ऐसे में यह का सनोजेनिक नहीं बनता है। हालांकि, आपको कभी-कभार ही डीप फ्राई करना चाहिए और डीप फ्राई करने के हर राउंड के बाद तेल बदलना याद रखें, क्योंकि यह खराब हो जाता है और ऑक्स है। इस्तेमाल किए गए तेल का अगर बार-बार इस्तेमाल किया जाता है, तो यह वास्तव में हमारे दिल के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
बेशक हमें मिलावटी सरसों तेल से सावधान रहने की जरूरत है। अक्सर इसमें और इसके साथ सस्ता आर्जीमोन तेल मिलाया जाता है। जो टॉक्सिक हो सकता है क्योंकि यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और रेड ब्लड सेल्स की डेथ का कारण बनता है। साथ ही इसे दिनभर में मॉडरेशन के साथ इस्तेमाल करना भी जरूरी है। किसी भी फूड या ऑयल की अधिकता हमारे लिए हानिकारक हो सकती है। कम मात्रा में सरसों का तेल रामबाण है इसमें कोई संदेह नहीं है।
अंत में आपको एक बार फिर से ये समझना चाहिए कि फैट हमारी हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है और हमारे शरीर को आवश्यक फैटी एसिड प्रदान करते हैं। किसी एक प्रकार के तेल पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय हमें अपने आहार में विभिन्न प्रकार के तेलों का उपयोग करना चाहिए।