बांझपन की एक बड़ी वजह है सीएएच: Infertility Reason
Infertility Reason: यह एक तरह की आनुवांशिक स्थिति है, जो स्त्री और पुरुष, दोनों को प्रभावित कर सकती है। इसका संबंध हार्मोंस की कमी से होता है। इसमें एंड्रोजन्स का प्रोडक्शन जरूरत से ज्यादा होने लगता है, जिसके चलते महिलाओं को प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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क्या है कंजेनिटल एड्रिनल हाइपरप्लासिया (सीएचए)
एड्रीनल ग्लैंड्स (गुर्दे से जुड़ी ग्रंथियां) हार्मोंस बनाने वाले बेहद महत्वपूर्ण ग्लैंड्स हैं, जो किडनी से जुड़े होते हैं। यह एक ऐसा छोटा-सा अंग है, जो शरीर के क्रियाकलापों पर गहरा असर डाल सकता है। एड्रीनल ग्लैंड्स दोनों किडनियों के ऊपर होते हैं। ये एक मेदुला से बने होते हैं, जो एड्रीनल बनाता है। सीएचए से प्रभावित होने पर भी यह हिस्सा सामान्य तरीके से काम करता रहता है। एड्रीनल ग्लैंड्स का बाहरी हिस्सा यानी एड्रीनल कॉर्टेक्स तीन प्रमुख हार्मोंस बनाता है, जिन्हें स्टेरॉयड्स कहते हैं। ये स्टेरॉयड खून में ही घुले-मिले रहते हैं और नॉर्मल हेल्थ के लिए जरूरी होते हैं। सीएचए होने में एड्रीनल कॉर्टेक्स और उससे बनने वाले हार्मोंस का भी हाथ होता है। इन हार्मोंस का काम यह होता है-
कोर्टिसोल: यह शारीरिक या भावनात्मक तनाव को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करता है। अगर शुगर लेवल बहुत कम है तो यह उसे बढ़ाने में भी मदद करता है।
एल्ड्रोस्टेरॉन: यह बॉडी में नमक के स्तर को नियंत्रित करता है। अगर आहार में नमक की मात्रा कम है या अत्यधिक पसीना बहने से नमक की मात्रा बहुत कम रह गई है तो यह किडनीज को नमक की मात्रा को कंजर्व करने का संकेत देता है। इसी तरह अगर नमक की मात्रा ज्यादा हो गई है तो यह यूरीन के ज़रिये उसे बाहर निकलवाने में मदद करता है।
एंड्रोजीन्स: यह मेल हारमोन्स का एक
ग्रुप है, जिनमें से एक है टेस्टोस्टेरॉन।
एड्रीनल कॉर्टेक्स महिलाओं और पुरुषों, दोनों
में यह हार्मोंस प्रोड्यूज करता है, जो युवावस्था
की शुरुआत में प्यूबिक हेयर का निर्माण करते हैं। अंडाशय भी टेस्टिस के ज़रिये कम मात्रा में टेस्टोस्टेरॉन प्रोड्यूज करता है।
इसके अलावा कॉर्टिसोल और एल्डोस्टेरॉन एंड्रोजन के प्रोडक्शन को भी रेगुलेट करते हैं। इन दोनों हार्मोंस की मात्रा में कमी आने पर मेल हार्मोंस की मात्रा बढ़ने लगती है और उसके चलते अंडों के उत्सर्जन और माहवारी में दिक्कतें आने लगती हैं।
यह स्थिति क्यों पैदा होती है?
एड्रीनल हाइपरप्लासिया महिलाओं में हार्मोंस का असंतुलन पैदा करता है, जिसकी वजह से शरीर में मेल हार्मोंस बढ़ने लगते हैं। एड्रीनल हाइपरप्लासिया से ग्रसित महिलाओं में कुछ ऐसे एंजाइम्स की कमी हो सकती है, जो एड्रीनल ग्लैंड्स में जरूरी हार्मोंस को बनाने के काम आते हैं। कॉर्टिसोल और एल्डेस्टेरॉन शरीर में हार्ट बीट, ब्लड प्रेशर, नमक के स्तर और कई अन्य चीजों को रेगुलेट करने के अलावा एंड्रोजीन्स के प्रोडक्शन को भी रेगुलेट करते हैं, इसलिए जब किसी महिला के शरीर में कॉर्टिसोल और एल्डेस्टेरॉन की कमी होती है, उसकी वजह से मेल हार्मोंस की मात्रा सामान्य से ज्यादा होने लगती है। नतीजतन, अंडों के उत्सर्जन, माहवारी और गर्भधारण में दिक्कतें आने लगती हैं।
लक्षणों को कैसे पहचानें
![Infertility Reason](https://grehlakshmi.com/wp-content/uploads/2024/05/2-2024-05-28T124129.128-1024x576.webp)
सीएएच में आमतौर पर बाहरी लक्षण साफ नजर नहीं आते, इसलिए इसकी अनदेखी की संभावना ज्यादा रहती है। इसकी वजह से महिलाओं में अंडों के उत्सर्जन में कमी आ सकती है तो वहीं पुरुषों में स्पर्म काउंट कम हो सकता है। साथ ही हाइट कम बढ़ने, शरीर से दुर्गंध आने, मुंहासे होने, माहवारी में अनियमितता और जरूरत से ज्यादा बाल बढ़ने जैसी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। अन्य लक्षणों की पहचान इस तरह से की जा सकती है-
![Vomiting](https://grehlakshmi.com/wp-content/uploads/2024/05/3-73-1024x576.webp)
1. क्लासिक कंजेनिटल एड्रिनल हाइपरप्लासिया
2. लड़कियों में अस्पष्ट जननांग
3. आसानी से वजन नहीं बढ़ना
4. शरीर में पानी की कमी होना
5. उल्टी आना
6. समय से पहले यौवन अवस्था का आना
7. बचपन में बहुत तेजी से ग्रोथ होना, मगर एवरेज हाइट कम रहना
8. माहवारी के चक्र का अनियमित होना
9. पुरुषों और महिलाओं में बांझपन
10. नॉन क्लासिक कंजेनिटल एड्रिनल हाइपरप्लासिया
11. अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स का न होना
12. महिलाओं में पुरुषों जैसे लक्षण नजर आना, जैसे चेहरे और शरीर पर ज्यादा बाल और
गहरी आवाज
बांझपन
1. बहुत ज्यादा मुंहासे होना
2. हड्डियों की डेंसिटी कम होना
3. मोटापा
कैसे करें फिजिकल जांच
इसमें डॉक्टर मरीज के शारीरिक लक्षणों को देखकर यह तय करते हैं कि उसे सीएएच है कि नहीं। आशंका होने पर पुष्टि करने के लिए ब्लड या यूरिन टेस्ट करवाया जाता है।
ब्लड और यूरिन टेस्ट
इससे सीएएच के साथ ही एड्रीनल ग्लैंड्स के द्वारा बनाए जा रहे हार्मोंस के स्तर का पता लगाने में भी मदद मिलती है।
इलाज कैसे करें?
सीएचए के ज्यादातर मामलों में सर्जिकल ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है और केवल दवाइयों के ज़रिये ही हार्मोंस का संतुलन दोबारा कायम किया जा सकता है।
मेडिकेशन
गर्भवती बनने की इच्छुक महिलाओं में एल्डोस्टेरॉन का स्तर कम करने के लिए ओरल मेडिकेशन की जरूरत पड़ती है। इससे टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम करके फर्टिलिटी को रिस्टोर करने में मदद मिलती है।
हारमोन रिप्लेसमेंट थैरेपी (एचआरटी)
पीओआई के उपचार का यह सबसे प्रचलित तरीका है। यह शरीर में एस्ट्रोजन व अन्य हार्मोंस की मात्रा बढ़ाता है, जिन्हें अंडाशय नहीं बना पा रहा होता है। आरटी आमतौर पर स्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन का संयोजन होता है, जो पिल्स क्रीम, जेल, स्किन पर चिपकने वाले पैचेस, गर्भाशय के अंदर जाने में सक्षम डिवाइस या वेजाइनल रिंग के रूप में उपलब्ध होती है। इस थैरेपी के ज़रिये, पीओआई से ग्रसित महिलाओं को फिर से माहवारी शुरू हो जाती है, जो उनकी सेक्सुअल हेल्थ को भी सुधारती है और इससे हार्ट संबंधी दूसरी बीमारियां होने का जोखिम भी कम हो जाता है। एस्ट्रोजन के साथ प्रोजेस्टेरॉन लेने से गर्भाशय की लाइनिंग पर उसके असर को संतुलित करने में मदद मिलती है, जिससे एड्रोमेट्रियल कैंसर होने का खतरा भी कम होता है। चूंकि पीओआई से ग्रसित महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है, इसलिए उपचार के दौरान कैल्शियम और विटामिन के सप्लिमेंट्स लेने की सलाह भी दी जाती है। साथ ही हड्डियों का क्षय तो नहीं हो रहा है, यह जानने के लिए बोन मिनरल डेंसिटी भी चेक की जाती है।
रोकथाम
हो सकता है कि शुरुआती लक्षणों से आपको यह पता न चल पाए कि आप सीएएच से ग्रसित हैं। ऐसे में बेहतर यही होगा कि अगर आपके पीरियड्स चार महीने या उससे भी ज्यादा समय से लगातार मिस हो रहे हैं तो आप तुरंत किसी डॉक्टर से सलाह लें। ज्यादा स्मोकिंग और शराब का सेवन का संबंध कहीं-न-कहीं जल्दी होने वाले फॉलिकल डिप्लेशन से होता है। जेनेटिक और पैदाइशी कारणों के अलावा हारमोन्स का असंतुलन भी इसकी बड़ी वजह हो सकता है। शरीर में हार्मोंस का असंतुलन पैदा होने का एक बड़ा कारण तनाव भी होता है। इसलिए तनाव को दूर रखने की कोशिश कीजिए और संतुलित डाइट लीजिए। साथ ही अपना बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) भी मेंटेन करके रखिए।
(गॉइनोकॉलोजिस्ट और आईवीएफ एक्सपर्ट- डॉ. पूजा सिंह, इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल, नई दिल्ली से बातचीत पर आधारित)
कंजेनिटल एड्रिनल हाइपरप्लासिया महिलाओं में हार्मोंस का असंतुलन पैदा करता है, जिससे महिलाओं को गर्भधारण करने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जानिए इसके बारे में। जानिए इनके बारे में-