अब तो खत्म करो ये जात पात का चलन- लघु कहानी
Caste System Story: प्रतिदिन मुंह अंधेरे सुबह सुबह माला आ जाती है बर्तन धोने। कभी साढ़े चार तो कभी पांच,बहुत झुंझलाहट भी होती है,मन नही करता की उठकर गेट खोलूं ।
लेकिन फिर ये लगता है की वो भी तो काम करने निकली है,अब तक पांच घरों में बर्तन मांज चुकी होती है।सबसे अंत में मेरे घर आती है,खूब चीनी वाली एक गिलास काली चाय पीकर काम में लग जाती है।
आज तो आते ही एक प्रश्न मेरी तरफ उछालती है,दीदी ! छोटी जात वाले खराब होते हैं ना,तो ये बड़ी जात वाले ये सब क्यों करते हैं?
उसके प्रश्न पूछने के तरीके से मैं समझ गई, कि उसके मन में किसी बात का आक्रोश है।मैने संयत स्वर में पूछा , क्या हुआ है? बताओ तो सही?
पता है दीदी रात में पुलिस आई थी,ठकुराने के लड़के जन्मदिन मना रहे थे, ऑर्केस्ट्रा वालियों को बुलाया था।
नशे में धुत होकर उन लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने लगे तो उन लड़कियों ने पुलिस बुला लिया।
पुलिस ने उन लड़कों को पकड़ लिया और ऑर्केस्ट्रा वालियों को डांटना – फटकारना चाहा , तो जानती हैं दीदी ! उन लड़कियों ने क्या कहा, उन सबने बोला कि ये तो मेरी रोजी – रोटी है ,इन बिगड़े नवाबों को समझाइए साहब , हमारा तो ये काम है।पुलिस तीनों लड़कों को थाने पर ले गई,सब पैसे वाले बाप के बिगड़ैल बेटे थे।
हमलोगों के मुहल्ले में कुछ होता है तो कहा जाता है कि,अरे ये छोटी जात वाले हैं,इनका यही काम है।अब आप ही बताइए ये बड़ी जात वाले ये सब क्यों करते हैं?
मैं सुबह– सुबह भोर की पहली उजास में भी ,खुद को अंधेरे से घिरा महसूस कर रही थी,कोई जवाब देते नही बन रहा था,क्योंकि माला के एक – एक शब्द निडर, निर्भीक और सत्य थे।