दूसरों को भूलकर भी न बताएं ऐसी बातें, झेलना पड़ेगा नुकसान, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति: Chanakya Niti Shastra
Chanakya Niti Shastra: गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिए चाणक्य जी ने अपने ग्रंथ 'नीतिशास्त्र' में अनेक नीतियों का उल्लेख किया है। चाणक्य ने नीतिशास्त्र में यह बताया है कि कुछ बातों का ध्यान रखकर व्यक्ति अपने घर परिवार में शांति बनाए रख सकता है। चाणक्य ने एक श्लोक "अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च। वञ्चनं चापमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत्।" में यह बताया है कि व्यक्ति को अपने धन से जुड़ी बातें, अपने दुःख, जीवन साथी के चरित्र जैसी बातों को घर में ही रखना चाहिए। इससे व्यक्ति को किसी तरह की पारिवारिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। यदि कोई व्यक्ति अपने घर की ऐसी बातों को बाहर बताता है तो उस व्यक्ति का खुद का ही नुकसान होता है। इसलिए घर के सदस्यों को अपनी निजी बातें दूसरे व्यक्तियों से साझा करने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं चाणक्य जी ने गृहस्थ जीवन की कौनसी बातों को छुपाकर रखने का सुझाव दिया है।
आर्थिक मामलों से जुड़ी बातें
चाणक्य जी ने अपने ग्रंथ नीतिशास्त्र में बताया है कि कोई व्यक्ति कितना भी धनी हो उसे अपनी आय और खर्चे का विवरण बाहरी व्यक्तियों को नहीं बताना चाहिए। धनी व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठित माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति आर्थिक तंगी से परेशान हो तब भी उसे अपनी धन की समस्या किसी बाहरी व्यक्ति से साझा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से लोग उस व्यक्ति का सम्मान नहीं करते और उसका मजाक बनाते हैं।
जीवन साथी के आचरण और व्यवहार की बातें
चाणक्य जी ने अपने ग्रंथ में लिखा है कि पति पत्नी अपने घर को मिलकर स्वर्ग बनाते हैं। पति पत्नी को हमेशा एक दूसरे की कमियों को सुधारकर या उन्हें अनदेखा करके घर परिवार की तरक्की पर ध्यान देना चाहिए। कभी भी दूसरे व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के चरित्र और व्यवहार के बारे में नहीं बताना चाहिए। ऐसा करने से हमारे जीवन साथी के आत्म सम्मान को ठेस पहुंच सकती हैं। पति पत्नी को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए ताकि उनका दांपत्य जीवन सुखी बना रहे।
पद-प्रतिष्ठा की बातें

चाणक्य नीति के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी अपने पद प्रतिष्ठा का घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि व्यक्ति का मान सम्मान उसके व्यवहार से होता है। व्यक्ति को अपने अपमान की बात भी किसी दूसरे को नहीं बतानी चाहिए। दूसरों को हमारे अपमान की बात पता चलने पर वह हमें सम्मान नहीं देते।
अपने दुःख की बातें
चाणक्य जी कहते हैं कि व्यक्ति को अपने दुःख अपने तक ही सीमित रखने चाहिए। किसी दूसरे को दुःख बताने से वह भविष्य में हमारे दुखों को हमारी कमजोरी बनाकर समाज में हमारी प्रतिष्ठा को खराब कर सकता है।
ठगे जाने पर
चाणक्य नीति के अनुसार, यदि कभी हमारे साथ कोई ठगी हो जाती है तो हमें यह बात दूसरों से छुपाकर रखनी चाहिए। दूसरों को ठगी की बात बताने से वह हमें बेवकूफ समझते हैं। ऐसे में दूसरा कोई व्यक्ति हमारे साथ फिर से ठगी करने का प्रयास कर सकता है।
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