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बचपन से ही बच्चों की ओरल हाइजीन का रखें ध्यान: Child Oral Health

04:26 PM Mar 17, 2023 IST | Rajni Arora
बचपन से ही बच्चों की ओरल हाइजीन का रखें ध्यान  child oral health
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Child Oral Health: दांतों को ओरल हाइजीन के बिना सफेद और मजबूत नहीं रखा जा सकता, इसलिए हर पैरंट्स की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों के दांतों और मुंह की नियमित साफ-सफाई का ध्यान रखें। क्योंकि मुंह में सफाई का ध्यान न देने के कारण उसमें बैक्टीरियल संक्रमण हो जाता है, जिससे बच्चे दांतों में सड़न, पीलापन, सांस से बदबू आना, मसूडों में सूजन या खून आना, दांतों का बदरंग होना जैसी समस्याएँ आने लगती हैं। स्वस्थ और मजबूत दांत पाने के लिए पेरेंट्स को बचपन से ही बच्चों के दांतों की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।

यह भी देखे- इन 6 बातों का ध्यान रखने से ओरल इन्फेक्शन से बच सकते हैं: Oral Infection

Child Oral Health:गीले कपडे से पौछें गम

प्रसव के बाद जैसे ही बच्चा होता है, डाॅक्टर-नर्स बच्चे का माउथ वाॅश स्टेराइल कराते हैं। लेकिन कुछ घंटों के बाद बच्चे का मुंह नाॅन-स्टेराइल हो जाता है, उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। नवजात शिशु समय-असमय स्तनपान करता है इसलिए मुंह की सफाई करना और जरूरी हो जाता है। स्तनपान कराने के बाद मां को शिशु के मसूड़ों या गम पैड को गीले कपड़े या मुलायम तौलिये से अच्छी तरह साफ करना चाहिए। ताकि वहां कुछ चिपका न रहे। इससे बच्चे के दिमाग में शुरू से ही ओरल हेल्थ के प्रति सजगता आती है।

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वैज्ञानिक मानते हैं कि जन्म के एक साल के भीतर बच्चे के दिमाग का विकास सबसे ज्यादा होता है। मुंह-मसूड़ों की नियमित सफाई से बच्चा महसूस करने लगता है कि दूध पीने के बाद उसके मुंह के अंदर कुछ जाता है जो मसूड़ों को साफ करता है। ऐसे में जब बच्चा थोड़ा बड़ा होता है तो उसमें मुंह की सफाई की आदत बन जाती है। जो बच्चे के बड़ा होने पर नियमित रूप से ब्रश करने और ओरल हाइजीन का ध्यान रखने की आदत में बदल जाता है।

अमूमन बच्चे के दूध के दांत 6 महीने से ढाई साल तक निकल आते हैं। जबकि परमानेंट दांत 6 साल से 12 साल तक की उम्र में आते हैं। खासकर पिछली अकल दाढ़ 11 साल तक आती हैं। अगर दूध के दांतो में कोई कैविटी या समस्या हो जाती है, तो वो परमानेंट दांतों को भी प्रभावित करती है। इसलिए बच्चे के दांतों को बचाकर रखने के लिए पैरेंट्स को दूध के दांतों और मुंह की साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे ही बच्चे के दांत आते हैं, उन्हें बेबी ब्रश या गीले कपड़े से साफ करना चाहिए।

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छोटे बच्चों के दांतों में नर्सिंग बॉटल कैरीज की समस्या भी देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए होता है जब बच्चा बोतल से दूध पीते-पीते सो जाता है। पेरेंट्स बोतल तो निकाल देते हैं, लेकिन मुंह साफ नहीं करते। इससे बच्चे के मुंह में दूध जमा रह जाता है, जो दांतों में काली कैरीज की संभावना को बढ़ा देता। और यही समस्या आगे चलकर कैविटी का रूप ले लेती है। इसका समय पर इलाज न कराया जाए तो कैविटी दांत की नस तक पहुंच जाती है। जो रूट-केनाल ट्राॅमेटिक प्रोसीजर से ठीक होती है। इसलिए पेरेंट्स क्लो बच्चे के दांत और मसूड़े हर स्थिति में अच्छे से साफ़ करने चाहिए।

बच्चे की ब्रशिंग करें खुद

बच्चे के 2 या 3 साल होने के बाद भी पेरेंट्स को उनके दांतों की सफाई की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। क्योंकि बच्चे अपने आप ब्रश ठीक तरह नहीं कर पाते। जिससे दांतों में कैविटी की समस्या हो सकती है। अगर पेरेंट्स बच्चे को ब्रश खुद करने के लिए देते भी हैं, तो उनको सुपरवाइज जरूर करना चाहिए। बेहतर होगा कि बच्चे के ब्रश करने के बाद भी आप चेक करें कि दांत अच्छे से साफ हुए है या नहीं।

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भले ही कैविटी दूध के दांत में लगे, पेरेंट्स को डेंटिस्ट को कंसल्ट जरूर करना चाहिए। यह सोचना नुकसानदायक हो सकता है कि दूध का दांत थोड़े समय बाद झड़ जाएगा। उसमें कैविटी लगी है तो कोई फर्क नहीं पडे़गा। पक्का दांत आ जाएगा। लेकिन अगर दूध के दांत में कैविटी होने पर समुचित उपचार न किया जाए, तो दांत में इंफेक्शन हो जाता है। दांत के नीचे पस बननी शुरू हो जाती है जिससे मसूड़े के अंदर बनने वाले परमानेंट दांत भी खराब हो सकता है।

सिखाएं ब्रश करने का सही तरीका

Child Oral Care
Tips for Brushing

बच्चे को दिन में दो टाइम खासकर रात को सोने से पहले ब्रश करने की आदत डालनी चाहिए। छोटे हैड वाला एक्सट्रा साॅफ्ट ब्रश लेना चाहिए जो पीछे के अकलदाड़ दांतों तक आसानी से पहुंच पाए। ब्रश करने के लिए फ्लोराइडयुक्त टुथपेस्ट इस्तेमाल करना बेस्ट है। फ्लोराइड दांतों को रिपेयर करती है। इससे दांतों में कीड़ा लगने की संभावना कम रहती है। ब्रश करते हुए ध्यान रखना चाहिए कि सारे दांत और उनकी सतह अच्छी तरह साफ हो जाएं। ब्र श पर मटर के दाने के बराबर पेस्ट लगाएं। 45 डिग्री कोण पर पकड़कर एक तरफ के दांत पहले 2-3 बार आगे-पीछे साफ करें। फिर क्लाॅक -वाइज और एंटी-क्लाॅक वाइज धीरे-धीरे घुमाते हुए साफ करें। मसूडे़ की ओर ब्रश रखकर दांत की ओर घुमाएं जिससे मसूड़े के अंदर फंसे कण निकल जाएं। इसके बाद ब्रश दांतों के अंदर के मसूड़ों की सतह से ऊपर की ओर लाएं।

आखिर में चबाने वाली सतह को अच्छी तरह साफ करें। ब्रश के बाद बच्चों को जीभ भी जरूर साफ करानी चाहिए। इसके लिए या तो जीभ पर ब्रश पीछे से आगे की ओर 3-4 धीरे-धीरे लेकर जाएं। या फिर टंग क्लीनर से हल्के हाथों से साफ करें। दांतों के बीच की सतह को फ्लाॅसिंग से धीरे-धीरे साफ करें ताकि दांतो के बीच प्लाॅक न जमे। 6-7 बार सादे पानी सें और आखिर में माउथवाॅश से कुल्ला करें । इससे मुंह में मौजूद जम्र्स खत्म हो जाते है और बदबू नहीं आती।

खानपान की आदतों का रखें ध्यान

पेरेंट्स को रात में बच्चे को बोतल में चीनी वाला दूध नहीं पिलाना चाहिए। शूगर दांतों पर काफी टाइम तक बनी रहती है जिससे दंत क्षय या बेबी बोतल टूथ डिके का खतरा रहता है। चाॅकलेट, टाॅफी और अन्य मीठी चीजें दांतों पर चिपकने पर साफ न किए जाने पर दांतों पर काले-काले धब्बे या डेंटल कैरीज शुरू हो जाती है, जो बाद में कैविटी का रूप ले लेती है। बच्चों की इटिंग हैबिट्स साॅफ्ट डाइट वाली हो गई जिससे दांतों-जबड़ों की एक्सरसाइज और नेचुरल क्लीनिंग नहीं हो पाती दांतों की एक्सरसाइज करने के लिए जरूरी है बच्चों को सेब, नाशपाती जैसे फल दांत से काट कर खाने की आदत डालें।

( डाॅ दीप्ती भटनागर, कंसल्टेंट एंड ओरल फिजीशियन, एचओडी, रयात बाहरा डेंटल काॅलेज एंड अस्पताल, पंजाब)

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