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शरीर में लगातार दर्द, कहीं फाइब्रोमाइलजिया तो नहीं: Fibromyalgia Symptoms

08:00 AM Apr 02, 2024 IST | Rajni Arora
शरीर में लगातार दर्द  कहीं फाइब्रोमाइलजिया तो नहीं  fibromyalgia symptoms
Fibromyalgia
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Fibromyalgia Symptoms: फाइब्रोमाइलजिया मसल्स में होने वाला है जिसमें मरीज को पूरे शरीर में या शरीर के विभिन्न अंगों में लगातार दर्द रहता है। मसल्स का एक-एक फाइबर जब लगातार दर्द होता है।यह बीमारी बहुत काॅमन है और किसी को भी हो सकती है। करीबन 2-4 प्रतिशत लोगों में देखी जाती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है। कुछ हद तक यह बीमारी वंशानुगत भी होती है।

फाइब्रोमाइलजिया में शरीर का दर्द कम हो जाता है जिसकी वजह से इसे सेंट्रल पेन एमप्लीफ्रिकेशन डिस्आर्डर भी कहा जाता है। ब्रेन की एक प्रक्रिया है जिसमें मरीज के शरीर में जो दर्द होता हेै, उसका सेंसेशन बहुत ज्यादा बढा देता है या एम्पिलीफाई करता है। ब्रेन में से पूरे शरीर में बहुत सारी नव्र्स जाती हैं जो शरीर में रक्त प्रवाह करके नियंत्रित करती हैं। ब्रेन में पेन रिसेप्टर्स होते हैं जो नर्व्स में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर से स्टीमुलेट होकर ज्यादा संेसेटिव होते जाते हैं । जिसकी वजह से शरीर में दर्द का अहसास होता है। कई बार मरीज के लिए इतनी स्ट्रेसफुल कंडीशन होती है कि दर्द कहां-कहां हो रहा है,बता पाना मुश्किल हो जाता है।

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कैसे होती है पहचान

Fibromyalgia Symptoms
Fibromyalgia Symptoms
  • पूरे शरीर की मांसपेशियों में बहुत ज्यादा दर्द महसूस होना। हाथ-पैर में सुन्नपन या झनझनाहट महसूस होना।
    कमजोरी और थकावट बहुत ज्यादा होना।
  • बहुत ज्यादा सेंसिटिविटी होना यानी कोई हल्का सा छुए, तो भी बहुत ज्यादा दर्द होना।
  • किसी भी चीज को लेकर सोचते रहना जिसकी वजह से रात को ठीक से नींद न आना।
  • तेज सिरदर्द या माइग्रेन होना।
  • फाइब्रोफाॅग या कंसन्ट्रेशन न हो पाना, याददाश्त कम होना।
  • चक्कर आना, जी-मिचलाना।
  • इरीटेबल बावल सिम्टम होना या पेट गड़बड़ा जाना।
  • गर्म-ठडा, लाइट-साउंड के प्रति सेंसेविटी ज्यादा होना।
  • डिप्रेशन या एंगजाइटी की गिरफ्त में रहना।

क्या है कारण

  • फैमिली हिस्ट्री या जीन्स में फाइब्रोमाइलजिया होना।
  • एसिडिटी या इरीटेबल बावल सिम्टम के कारण पाचन प्रक्रिया गड़बड़ाना।
  • महिलाओं में होने वाला हार्मोनल असंतुलन।
  • नींद पूरी न होना।
  • फूड डिसऑर्डर होना, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन।
  • मूड डिसऑर्डर।
  • आर्थराइटिस, ऑटो इम्यून क्रोनिक बीमारी इंफेक्शन या वायरल जैसी बीमारियां होना।
  • व्यक्ति का आरामपरस्त होना यानी फिजीकल एक्टिविटी न करना।
  • शारीरिक-मानसिक-भावनात्मक स्ट्रेस बहुत ज्यादा होना जिसके कारण लगातार सोचते रहना।
  • एक्सिडेंट या फिजीकल ट्रामा के बाद स्ट्रेस होना।
  • इंफेक्शन या वायरल जैसी बीमारियां होना।

कैसे करते हैं डायग्नोज

फाइब्रोमाइलजिया को डायग्नोज करने के लिए डाॅक्टर मरीज के लक्षण और उसके पीछे के कारणों की वजह से आ सकते हैं, उन्हें पहचानने के लिए जरूरी टेस्ट किए जाते हैं। जैसे- मरीज की केस हिस्ट्री का पता लगाते हैं, उसमें दिखाई देने वाले लक्षणों के बारे में जानकारी लेना। मरीज का होल बाॅडी चैकअप किया जाता है कि गठिया जैसी बीमारी तो नहीं हैं। मरीज का ब्लड टेस्ट कराया जाता है। यूरिक एसिड, कैल्शियम, विटामिन डी लेवल चैक कराए जाते हैं।इसके लिए अमेरिकन काॅलेज ऑफ रूमैटोलाॅजी ने कुछ गाइडलाइन्स बनाई हैं। शरीर में 18 टेंडर पाइंट्स की सूची दी है जिन्हें दबाने पर चैक किया जाता है। अगर इनमें से 11 पाइंट्स से अधिक एरिया में दर्द महसूस हो रहा हो, तो यह फाइब्रोमाइलजिया है।

क्या है उपचार

फाइब्रोमाइलजिया का उपचार मूलतः सिम्टोमैटिक और मल्टीफोकल किया जाता है। इसके लिए इसके कारणों को खत्म करने की कोशिश की जाती है, जिससे व्यक्ति की स्थिति में सुधार होता है। मरीज की समस्या के हिसाब से सिम्टेमैटिक मेडिसिन दी जाती हैं। दर्द कम करने के लिए ओवर द काउंटर दर्द निवारक दवाइयां, मसल्स को रिलेक्स करने की दवाइयां, एंटी डिप्रेसेंट, मूड चेंजर दवाइयां दी जाती हैं। मरीज की स्थिति के हिसाब से एंटी ऑक्सीडेंट, मल्टी विटामिन, कैल्शियम, विटामिन डी सप्लीमेंट भी दिए जाते हैं।

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अन्य उपाय

  • फाइब्रोमाइलजिया से जल्दी ठीक होने के लिए हैल्दी लाइफ स्टाइल या हैल्दी रूटीन विकसित करें। जिसमें घर-बाहर के कामों केे लिए, कुछ समय निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए, पढ़ने-लिखने, मनोरंजन के लिए बैलेंस बनाकर चलें। इससे आपको किसी तरह का स्ट्रेस नहीं होगा और बीमारियां कम होंगी।
  • नियमित रूप से एरोबिक एक्सरसाइज, मेडिटेशन, योगा, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, वाॅक करें। इनसे शरीर का मैकेनिज्म अच्छा चलता है, स्ट्रेस कम होता है और मरीज को आराम मिलता है। जरूरत पडने पर फिजियोथेरेपी का भी सहारा लें।
  • शरीर के दर्द वाले टेंडर पाइंट पर कायरोेप्रेक्टर, एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर थेरेपी भी की जा सकती है। ट्रिगर पाइंट या नोड्स की पेन रिलीफ मसाज या स्ट्रेचिंग (बाॅल मसाज, फाॅम रोलर) करने पर आराम मिलता है।रिलेक्सेशन थेरेपी जैसे दर्द वाली जगह पर हीटिंग पैड या आइस पैक लगाने से आराम मिलता है।
  • स्ट्रेसफुल एक्टिविटीज को कंट्रोल करने के लिए मनोवैज्ञानिक ऑक्यूपेशनल थेरेपी, काॅग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, काउंसलिंग की मदद भी ली जा सकती है। दूसरों के साथ डिस्कस करने से स्ट्रेस दूर होगा।
  • रोजाना 7-8 घंटे की भरपूर नींद लें।
  • बैलेंस डाइट लेनी जरूरी है जिसमें पोषक तत्वों खासकर विटामिन डी ज्यादा लें। घर का बना पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए। ऑयली, मसालेदार डाइट, प्रोसेस्ड फूड को अवायड करना चाहिए।कैफीन का इंटेक कम करें।
  • अपनी सोच पाॅजीटिव रखें, पुराने ट्रामा को याद न करके आगे बढ़ें। जरूरत हो तो अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों से यथासंभव बातचीत करते रहें ताकि स्ट्रेस दूर हो सके।

(डाॅ सौरभ गर्ग, पेन मैनेजमेंट एंड पैलिएटिव केयर, दिल्ली)

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