दादी की व्हीलचेयर-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Kahani: मान्या अपनी दादी से बहुत प्यार करती है। वह उनके साथ रोज खाना खाती! उनसे ही नहाती है! उनके साथ पूजा-पाठ करती है और सत्संग में भी जाती है! इसके अलावा वह खाने की टेबल पर दादी का तब तक इंतजार करती है, जब तक दादी अपनी पूजा खत्म नहीं कर लेती।
कभी-कभी मां भी उसे डांट देती है कि "दादी खा लेंगी तुम अपना खाना खाओ और समय पर सोने जाओ", लेकिन मान्या दादी के साथ ही खाना खाती है। वह रोज दादी के साथ पार्क में जाती है और अन्य बच्चों के साथ ही उनके साथ भी खेलती है। उसके दोस्त भी मान्या की दादी को बहुत पसंद करते हैं, दादी भाग तो नहीं पाती, लेकिन फिर भी उन सभी को दादी के साथ खेलना उनसे मजाक करना, दादी और दादा जी के किस्सों और कहानियों को सुनने के अलावा अन्य कहानियों को सुनना भी खूब भाता है।
दादी हमेशा मान्या को बताती हैं की "मुझे बचपन से पार्क में जाना और हरे-भरे मैदान में सांस लेना बहुत अच्छा लगता है। इसलिए जब तुम चल नहीं पाती थी तो मैं तुम्हें वॉकर में बैठाकर पार्क लाया करती थी। हम दोनों पार्क में बहुत मजे करते थे, मिट्टी में खेलते थे और झूले झूलते थे।" मान्या अब बड़ी हो रही है। अब उसके स्कूल जाने का भी वक्त आ गया है। उसे अब खेलने के अलावा, स्कूल का होमवर्क, ट्यूशन और हॉबी क्लास में भी जाना पड़ता है, जिस वजह से उसे अब दादी के साथ पार्क जाने तक का समय नहीं मिल पाता है और न ही अपने पार्क वाले दोस्तों से मिलने का।
दादी का मन तो बहुत करता है मान्या के साथ पार्क जाने का, लेकिन वह उसकी पढ़ाई और इतना सब करने के बाद वह और ज्यादा न थक जाए इसलिए कुछ बोलती नहीं हैं। लेकिन मान्या दादी के साथ समय बिताना कभी नहीं भूलती। वह उनके साथ ही खाना खाती है, उनके साथ पूजा-पाठ करती है और रात को दादी से कहानी सुनकर ही सोती है। वह दादी से रोज पूछती है कि "दादी आज आपने क्या किया?" मान्या के इस प्रश्न पर दादी हमेशा हंसकर कहती है "मैंने पूरा दिन तुम्हें याद किया मेरी बेटी।" जब दादी मान्या से यही प्रश्न करती तो मान्या कहती है "मैंने थोड़ी पढ़ाई की, दोस्तों के साथ मस्ती की, मम्मी का बनाया हुआ टेस्टी खाना खाया और अपनी प्यारी-सी दादी मां को याद किया।" यह कहते ही मान्या जोरों से हंसती और दादी भी मान्या के साथ दिल खोल के हंसती-मुस्कुराती और बातें करती-करती सो जाती।
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वृद्धावस्था की वजह से दादी धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है और उनके लिए ज्यादा चलना, ज्यादा देर एक जगह बैठे रहना मुश्किल होते जा रहा है। यहां तक की जब मान्या दादी से रात में कहानी सुनाती है तो दादी कहानी सुनाते-सुनाते ही आधे में सो जाती हैं। दादी की तबियत भी अब खराब रहने लगी है, जिस वजह से वह सुबह मान्या को स्कूल जाते समय बाय कहने के लिए भी उठ नहीं पाती हैं। उनके चेहरे पर पड़ी झुर्रियां मानों अब किसी पुराने घर की दीवारों सी लगती थी।
आज जब मान्या स्कूल की बस से उतर भागकर घर के अंदर घुसी तो घर में आस-पड़ोस के काफी लोग इकट्ठा हो रखे थे। मान्या घबरा गई और जोरों से मम्मी, पापा और दादी का नाम पुकारने लगी। तभी मान्या के पापा दिनेश उसके पास आए और उसे गले से लगा लिया, मान्या और ज्यादा घबरा गई और बोली, "पापा मम्मी और दादी कहा है।" जिस पर पापा ने जवाब दिया, "बेटा तुम्हारी मम्मी बिल्कुल ठीक है" मान्या की आंखों धीरे-धीरे भीगने लगी और थरथराते होठों से उसने कहा “पापा क्या दादी को कुछ हुआ है।" जिस पर पिता दिनेश ने जवाब दिया "बेटा तुम्हारी दादी बहुत कमजोर हो गई है, जिस वजह से वह आज सीढ़ियों से गिर गई थी और उनको काफी चोट लग गई है।” मान्या रोते हुए पापा की बात सुनकर बोली “पापा क्या मैं दादी से मिल सकती हूं?”
"बेटा दादी अभी हॉस्पिटल में हैं, मैं उनका कुछ सामान लेने आया हूं। तुम अभी मम्मी के साथ रहो दादी को जैसे ही होश आएगा मैं तुम्हें उनके पास ले जाऊंगा।" लेकिन मान्या रोते हुए जिद्द करने लगी कि "मैं हॉस्पिटल में शोर नहीं करूंगी, आपको परेशान नहीं करूंगी और दादी से मिलने की भी जिद्द नहीं करूंगी, बस उन्हें देखुंगी।" दादी के प्रति मान्या का यह प्यार देखकर पापा से रहा नहीं गया और वह मान्या को गोद में उठाकर गाड़ी की और चल दिए। गाड़ी में मान्या बहुत ही शांत होकर बैठी हुई थी। उस समय दिनेश को अपनी बेटी उसकी उम्र से कई गुना ज्यादा परिपक्व लगी। हॉस्पिटल पहुंचकर मान्या दादी को खिड़की से देखने का प्रयास कर रही थी, लेकिन खिड़की अधिक ऊंची होने के कारण देख नहीं पा रही थी। दिनेश से मान्या को गोद में उठा लिया और कहा तुम दादी से ज्यादा प्यार करती हो या मुझसे। जिसका जवाब मान्या ने बिना कुछ सोचे तुरंत देते हुए कहा “दादी से”, मान्या के इस जवाब पर दिनेश भी दिल में भरे दर्द और घबराहट में मुस्कुरा उठा।
मान्या और दिनेश वही चेयर पर बैठे रहे। दिनेश बीच-बीच में मान्या से दादी के बारे में बात कर रहा था, ताकि वह सहज महसूस करें। तभी डॉक्टर ने दिनेश को अपने केबिन में आने के लिए कहा। दिनेश मान्या को अपने साथ नहीं लेकर जाना चाहता था, इसलिए उसने मान्या को प्यार से कहा "बेटा तुम यही रहना मैं बस दस मिनट में आता हूं। दिनेश के केबिन में पहुंचते ही डॉक्टर ने कहा, "आपको सुनकर बुरा लगेगा, लेकिन अब आपकी मां अपने पैरों पर नहीं चल पाएंगी। वह वैसे ही उम्र के इस पड़ाव पर काफी कमजोर हो गई हैं, वहीं गिरने की वजह से उनकी नसों पर काफी दवाब पड़ा है।" दिनेश ने तो हिम्मत करके डॉक्टर की यह बात सुन ली, लेकिन मन में बस यही बात थी कि मान्या को यह जानकर कितना बुरा लगेगा, इसलिए दिनेश ने मान्या को यह बात बताना सही नहीं समझा। मान्या रोज-दादी से स्कुल के बाद मिलने हॉस्पिटल आती और उन्हें अपनी पूरे दिन की कहानियां सुनाती।
आज दादी को हॉस्पिटल से छुट्टी मिलती है मान्या बहुत खुश है, इसलिए आज वह स्कूल भी नहीं गई। दादी को व्हीलचेयर पर देखते मान्या अपने पापा से बोली "पापा दादी व्हीलचेयर पर क्यों हैं”, जिस पर दिनेश ने जवाब दिया “उन्हें चोट लगी है न इसलिए।” दादी को अब महीना हो गया है व्हीलचेयर पर मान्या भी रोज पापा से यही पूछती है कि दादी कब अपने पैरों पर चलेंगी? मगर दिनेश के पास इसका कभी कोई जवाब न होता। आज जैसे ही मान्या स्कूल की बस से उतरकर घर की ओर भागी तो दादी घर की चौखट से ही बाहर आते-जाते लोगों को देख रही थी, अपनी व्हीलचेयर पर बैठे।
मान्या को अहसास हुआ कि दादी न चल पाने की वजह से घर में कैद हो गई हैं और अपनी पसंद की जगह पार्क में नहीं जा पा रही हैं। मान्या को घर आते देख दादी के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गई। मान्या भी भागते हुए कमरे में गईं और जल्दी-जल्दी हाथ-पैर धोकर कपड़े बदलकर खान खाने बैठ गई। मां ने मान्या को इतनी जल्दी-जल्दी खाना खाने की वजह से फटकार भी लगा दी… मगर जल्दी-जल्दी खाना खाकर मान्या दादी के पास गई और उनकी व्हीलचेयर को अपने नन्हे-नन्हे हाथों से आगे की ओर धकेलने लगी, दादी डर गई की वह खुद से आगे क्यों बढ़ रही है। मगर जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो बोली "अरे मेरा बच्चा! तू है।" "दादी आज मैं आपको अपने साथ घुमाने लेकर जाउंगी",
मान्या बोली। "मगर कहा मेरी बेटी" दादी ने मुस्कुराते हुए पुछा, "आपकी फेवरेट जगह पार्क मेरी प्यारी दादी" "लेकिन बच्चा तुम मुझे कैसे लेकर जा पाओगी इस व्हीलचेयर से", मान्या बोली "ठीक वैसे ही दादी जैसे आप मुझे बचपन में लेकर जाती थी, जब मैं चल नहीं पाती थी। फर्क बस इतना ही है कि वह वॉकर था और यह व्हीलचेयर है।" यह कहकर मान्या दादी की व्हीलचेयर को धक्का लगाने लगी और घर की चौखट पार करके उनको घुमाने निकल पड़ी।
दोनों रास्ते में चलते हुए अपना पसंदीदा गाना गाने लगे और रास्ते में लगे नए-नए पेड़-पौधों और पक्षियों को निहारते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे तभी दुकान वाली आंटी बोली "अरे वाह! आज पोती दादी को घुमाने निकली है", मान्या हंसकर बोली "हां क्योंकि दादी की पोती अब बड़ी हो गई है।" थोड़ा और आगे बढ़ने पर मान्या के दोस्त सोनू के दादा मिले जो, अपने हमउम्र लोगों से हंसी-ठिठोली कर रहे थे उन्होंने मान्या और दादी को देखा और बोले… "अरे इतने दिनों बाद तुम दोनों को देख काफी अच्छा लगा," फिर मान्या से बोले "तो अब तुम दादी को घुमाने निकली हो जैसे वो तुम्हें घुमाया करती थी?, "हां… दादा जी।"
पार्क में पहुंचने के बाद सभी बच्चे दादी के पास भागकर आए और दादी से लिपट गए और उनके साथ खेलने लगे। गोलू दादी की गोद में बैठ गया तो सौरभ व्हीलचेयर को आगे धकेलने लगा। सारे बच्चों को आज एक नया खेल मिल गया था, दादी भी सभी को बारी-बारी व्हीलचेयर की सवारी कराने लगी, जिससे न सिर्फ उनका मन, बल्कि उनका तन भी मुस्कुरा उठा।