For the best experience, open
https://m.grehlakshmi.com
on your mobile browser.

दामाद जी-गृहलक्ष्मी की कहानियां

01:00 PM May 02, 2024 IST | Sapna Jha
दामाद जी गृहलक्ष्मी की कहानियां
Advertisement

Hindi Story: आशीष एक गरीब परिवार का होनहार लड़का था। इस लिए गाँव से पढ़ने के बाद शहर आ गया और शहर में एक प्राइवेट नौकरी भी ढूंढ लिया था सैलरी तो कम थी लेकिन उसकी पढाई के हिसाब से इससे ज्यादा कोई भी सैलरी देने को राजी नही हुआ, वह जिस मकान में रह रहा था ,वह मकान उसके एक रिश्तेदार का था जिस कारण उसको किराया नही देना पड़ता था,
आशीष जहाँ रहता था उसके आस-पास सभी घर गरीब लोगों के थे।चूंकि वह उस घर में अकेला रहता था इसलिए खाना-बनाने व कपड़े धोने से लेकर घर की साफ -सफाई करने तक सारे काम उसे खुद ही करने होते थे। कुछ दिन बाद एक गरीब लड़की विमला अपने छोटे भाई के साथ आशीष के घर पर आयी।आते ही उसने पूछा -" आप मेरे भाई को ट्यूशन पढ़ा सकते हो क्या?" आप पढ़े लिखे हो साहब, आशीष ने कुछ देर सोचा फिर बोला "नहीं" लड़की उदास होकर पूछ बैठी क्यों नही पढ़ा सकते आप,
"मैं यहां काम आया हूं।मेरे पास टाइम नहीं है।मेरी नौकरी डिस्टर्ब होगी।" विमला को शायद पता था कि आशीष खुद से खाना बनाता है इसलिए उसने कहा , "अपने भाई को पढ़ाने के बदले मैं आपका खाना बना दिया करूंगी। इसमें जो समय बचेगा उसमें आप पढ़ा दिया करना।,
आशीष ने कोई जवाब नहीं दिया तो वह और लालच देते हुए बोली - "मैं कपड़े, बर्तन भी साफ़ कर दिया करूंगी।"
अब आशीष को भी लालच आ ही गया।उसने कहा-" ठीक है "
वह मान गयी, इस तरह उसका रोज घर में आना-जाना होने लगा। विमला काम करती रहती और आशीष उसके भाई को पढ़ा रहा होता, आशीष की उस (विमला) लड़की से ज्यादा बातें नहीं होती थी, उसका भाई 8 वीं कक्षा में था।पढ़ने में खूब होशियार था।इस कारण उसे पढ़ाने में ज्यादा माथा-पच्ची नहीं करनी पड़ती थी। आशीष के घर का काम हर काम विमला इतने मनोयोग से करती ,जैसे वह उसका अपना ही घर हो, धीरे-धीरे वक़्त गुजरने लगा।अब तो कभी-कभार आशीष भी विमला के घर जाने लगा। विशेषतौर पर किसी त्यौहार या उत्सव पर।कई बार विमला से आशीष की नजरें मिलती तो फिर मिली ही रह जाती। आशीष कुछ समझ नहीं पाता कि आखिर ऐसा क्यूँ हो रहा है? समय इसी तरह बीतता चला गया।इस बीच आशीष ने कुछ बातें विमला के बारे में भी जान ली कि वो सिलाई करती है और उसी से पैसें कमाती है थोड़ा बहुत जो मिल जाता है, आशीष ने एक दिन उससे पूछ लिया-" ये काम तुम क्यूँ करती हो?"इसके पैसे मिलते हैं।"
"क्या करोगी पैसों का?""इकठ्ठे करती हूँ।" ,"कितने हो गए?"
"यही कोई छः-सात हजार।"
"मुझे हजार रुपये उधार चाहिए।जल्दी ही लौटा दूंगा।" आशीष ने उसे आजमाना चाहा।
"किस लिए चाहिए?" , "कारण पूछोगी तो रहने दो।" आशीष ने थोड़ी मायूसी के साथ कहा।
"अरे मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया। आप माँगे तो सारे दे दूँ।"उसकी यह आवाज़ आशीष को आज बिल्कुल अलग सी ही जान पड़ी आशीष ने एक दोस्त से कुछ दिन पहले कुछ पैसे उधार लिए थे,
उसी को वापस करने के लिए विमला से उधार मांगे थे…
अचानक इधर दो दिन हो गया था न विमला आयी न ही उसका भाई पढ़ने आया, आशीष शाम को जब दफ्तर से आया तो सीधा विमला के घर पहुँचाI वह जानना चाहता था कि आखिर क्या कारण है कि विमला और उसका भाई क्यों नही आ रहें हैं , जबकि अपनी ओर से उसने कभी भी उसके साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया था।घर में अकेली लड़की को देख उसका फायदा उठाना तो दूर ,वह पढ़ने-पढ़ाने में इतना मशगूल रहता था कि उसने आज तक विमला को ठीक से देखा तक नही…
आशीष जब उसके घर पहुंचा तो उसे पता चला कि विमला की माँ बीमार है।वह एक छप्पर के नीचे चारपाई पर अकेली लेटी थी। घर में विमला और उसका छोटा भाई जो जो काम में लगी थी। आशीष ने पूछा तो पता चला कई दिन से माँ बीमार है दवाई के लिए पैसे नही है यहीं के डॉक्टर से दवाई ली थी आराम नही मिल रहा है.. आशीष ने तुरंत गाड़ी की व्यवस्था की और हॉस्पिटल ले गए। डॉक्टर ने कुछ दवाएं दी और एडमिट कर लिया।कुछ जाँच वगैरह होनी थी क्यूंकि शहर में एक दो डेंगू के मामले आ चुके थे। आशीष को अब विमला को लेकर कुछ चिंता सी होने लगी थी, इस दुनिया में विमला का उसकी माँ और छोटा भाई ही तो है . विमला और उसके भाई का रो कर बुरा हाल था आशीष ही दोनों को सभाल रहा था,,
रात हो गयी थी। विमला की माँ की हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ।देर रात तक उसकी बीमारी की रिपोर्ट आ गयी।बताया गया कि उसे डेंगू है।यह जान कर आशीष का सीना किसी अज्ञात भय से जोरों से धड़कने लगा। डॉक्टर ने बोला खून की कमी हो गयी है, तुरन्त चढ़ाना होगा , आशीष का खून मैच कर गया। आशीष ने दो बोतल खून दिया , लेकिन विमला की माँ में कोई सुधार नही हुआ।बार-बार अचेत अवस्था में वह उल्टियाँ कर देती थी। आशीष उस रात एक मिनिट भी सो नहीं पाया। डॉक्टरों ने दूसरे दिन बताया कि रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम हो रही है।उसे और खून देना होगा।डेंगू का वायरस खून का थक्का बनाने वाली प्लेटलेट्स पर हमला करता हैं।अगर प्लेटलेट्स खत्म हो जाते हैं तो पूरे शरीर के अंदरूनी अंगों से ख़ून का रिसाव शुरू हो जाता है और फिर बचने का कोई चांस नहीं रह जाता।
आशीष ने अपने नौकरी के दो-चार दोस्तों को वहां बुलाया। आशीष था ही इतना लोकप्रिय की दो-चार कौन कहे, दस दोस्त एक साथ आ गए।सभी ने खून दिया और उसे हिम्मत भी बंधायी।पैसों की भी जरूरत पड़ने पर उसे देने का आश्वासन दिया और वहां से चले गए।उस वक्त उसे भी पता चला कि जिंदगी में दोस्त होना भी कितना जरूरी है।
अभी आशीष के पास पैसों की भी कमी नहीं थी क्योंकि सैलरी आ ही गयी थी।
आशीष ने रात दिन एक कर दिया दवा ,सुई ,जांच इधर विमला का रो- रो कर बुरा हाल था.. शायद विमला की माँ को आभास हो गया था कि अब वो बचेगी नही उसने आशीष के सर पर हाँथ रखा और कहा बेटा बिना किसी रिश्तें जो तुम इतना कर रहे हो उसका एहसान मैं नही चुका पाऊँगी लगता है तुम मेरे दामाद हो बेटा मैं न रहूँ तो मेरी बेटी से शादी कर लेना ,, तभी नर्स बोली ज्यादा देर नही रहना मरीज के पास आप लोग बाहर जाइये..
अगली सुबह बड़ी ही मनहूस थी। विमला के सर से उसकी माँ का साया उठ चुका था..
आशीष ही था जो घर के दामाद होने का फर्ज़ निभा रहा था और माँ के जाने के बाद दोनों बच्चों का ध्यान रख रहा था…

Advertisement
Tags :
Advertisement