दामाद जी या बहू-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Story: ममता को सब बहुत पसंद करते थे। वह जितनी अच्छी गृहणी, पत्नी, मां थी उतनी ही अच्छी दोस्त और पड़ोसी। बहुत ही कायदे और समझदारी से उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया और बड़ा किया था।
ममता ने पहले अपनी बेटी प्रिया की शादी मुंबई के अच्छे खाते पीते परिवार के इंजीनियर लड़के अरुण से की। प्रिया की शादी के एक साल बाद ही ममता ने अपने बेटे आकाश की शादी उसी शहर के डॉक्टर परिवार की अच्छी पढ़ी-लिखी बेटी सोनिया से की। प्रिया सीए थी और सोनिया एक फैशन डिज़ाइनर। दोनों बहुत कायदे से अपने करियर और घर दोनों का ध्यान रखतीं। अपने काम के सिलसिले में अरुण पुणे में रहता था और आकाश भी अपने काम के चलते दूसरे शहर में रहता था। ममता जब तब दोनों बच्चों के घर रहने जाती थीं।
प्रिया के जब बेटा हुआ तब ममता ने उसका पूरा ध्यान रखा और अरूण ने भी अपना काम घर से करना शुरू कर दिया था। वह हर तरह से प्रिया का साथ देता और उसका ध्यान रखता था। ममता यह देखकर बहुत खुश हुई थीं कि उनका दामाद उनकी बेटी का कितना ध्यान रखता है।
कुछ महीनों बाद सोनिया ने भी एक बेटी को जन्म दिया। ममता ने जिस तरीके से प्रिया का ध्यान किया था वैसे ही सोनिया का भी पूरा ध्यान करती थीं। लेकिन बेटे के घर बेटी के घर के मुकाबले एक बहुत बड़ा फर्क करती थीं। आकाश जब किसी तरह अपनी पत्नी का ध्यान करता था या उसके लिए कुछ बनाने की और करने की कोशिश करता तो ममता उसी वक्त टोक देतीं, “अरे तू रसोई में क्या कर रहा है। बच्चे के कपड़े क्यों बदल रहा है” या फिर “बेचारा आकाश, मेरा बेटा रात को सो भी नहीं पता बच्चे के रोने की वजह से।” यहां तक की 2 दिन की छुट्टी के बाद आकाश के पीछे पड़ गई थीं, “तेरा घर में क्या काम। मैं संभाल लेती हूं ना। काम वाली भी तो है ना मदद के लिए। प्रिया के घर में जबकि अपने भाई से ज़्यादा पैसा और नौकर चाकर थे।
सोनिया को यह भेदभाव बहुत परेशान करता था। वह ममता की इज्ज़त करती थी और हर बात का ध्यान रखती लेकिन दामाद और बेटे के अच्छे पति होने की उनकी जो अलग परिभाषा थी वह सोनिया को बहुत तकलीफ देती थी। सोनिया के ससुर भी इस भेदभाव को लेकर परेशान थे। वह सोनिया के मन के दुख को अच्छी तरह समझते थे। उन्होंने कईं बार सोनिया को प्यार से कहा, “ मैं अच्छी तरह समझता हूं बेटा और तुम भी समझती हो की ममता बुरी नहीं है। पता नहीं दामाद और बेटे के फर्जों में क्यों फर्क करती है। भरोसा रखो, सब ठीक हो जाएगा। सोनिया बहुत समझदार थी इसलिए उसने अपने ससुर की बात की हमेशा इज़्ज़त रखी।
एक बार ममता और अरविंद प्रिया के घर से लौटे तो ममता बहुत खुश थीं। “देखो दामाद जी कितने अच्छे हैं। सुबह से प्रिया का कितना हाथ बंटाते हैं काम में और मुन्ने का भी ध्यान रखते हैं। हमारी प्रिया आराम से अपना काम कर पाती है। पूरे दिन की कामवाली भी लगा रखी है और जब खुद घर में होते हैं तो प्रिया को कोई परेशानी ना हो उसका पूरा ध्यान भी रखते हैं। हमारी तो इतनी इज्ज़त करते हैं कि बस मन भरपूर खुश होता है उन दोनों को देखकर।”
अरविंद जवाब देते हैं, “ यह खुशी तुम्हें आकाश और सोनिया के लिए क्यों नहीं होती। उल्टा तुम आकाश को टोकती रहती हो कि वह घर के काम में क्यों मदद करता है। पति-पत्नी एक दूसरे का साथ दें यह बात होनी चाहिए या फिर दामाद बेटी का साथ दें लेकिन बेटा बहू का साथ ना दे। आकाश ने तो शायद ही कभी हमारी जानकारी में अपने सास ससुर को चाय तो क्या पानी भी नहीं दिया लेकिन जब दामाद जी हमारे लिए खाना तक बनाते हैं तो तुम्हें बड़ी खुशी होती है। यह फर्क क्यों?” ममता कुछ बोली नहीं।
एक दिन आकाश के घर में काम करते-करते ममता को तेज़ चक्कर आया और वह गिर गईं। सोनिया और आकाश उसी वक्त उनको डॉक्टर के यहां ले गए। उनका बी-पी बहुत कम था और पैर की हड्डी भी टूट गई थी। डॉक्टर ने उनको पूना में एक अच्छे डाक्टर का नाम बताया। 2 घंटे का रास्ता था। एंबुलेंस में सोनिया ममता के साथ थी। पीछे कार में अरविंद और आकाश थे। ममता को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। ऑपरेशन के बाद ममता को जब कमरे में शिफ्ट करा गया तो सोनिया ने आकर आकाश से कहा, “आप और पापा घर जाओ। मैं ध्यान कर लूंगी। उसने प्रिया के घर बेटी को छोड़ा। कंप्यूटर पर अपना काम करते सास का भी ध्यान रखती। उस 10 दिन के टाइम में अरुण एक बार भी नहीं आ पाए जबकि वह उसी शहर में थे। प्रिया भी कम आ पाती थी।
अस्पताल से छुट्टी मिलने पर जब ममता को प्रिया के यहां कुछ दिन रहने की बात आई तो अरूण टालने से लगे, “वैसे तो कोई बात नहीं लेकिन देख लीजिए। मम्मी को पता नहीं कितना आराम मिले।” ममता चुप हो गईं। प्रिया भी लाचार सी दिख रही थी।
सोनिया ने अपनी सास को हिम्मत दी, “कोई नहीं मम्मी, एंबुलेंस में आपके घर ले चलते हैं, थोड़ी देर का तो रास्ता है।
“वहां अकेले कैसे होगा? तुम्हें भी तो अपना काम करना पड़ता है।” सोनिया ने बताया, “मैंने एक महीने की छुट्टी और ले ली है। आप चिंता ना करें। ममता को बाद में पता चला कि उनकी वजह से सोनिया की तनख्वाह में कटौती की गई है। वह बहुत शर्मिंदा हुईं।
सोनिया की दिन रात की सेवा से ममता 1 महीने से पहले ही चुस्त दुरुस्त हो गईं। उन्होंने एक दिन सोनिया, आकाश और अरविंद को हाॅल में बुलाया, “आप सबने मेरा बहुत ध्यान रखा लेकिन सबसे ज़्यादा सोनिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी। मैं माफी चाहती हूं सोनिया। मैं हमेशा यह सोचती रही कि दामाद जी बहु से बढ़कर होते हैं। उनको मेरी बेटी का ध्यान रखना चाहिए लेकिन बेटे को बहु का नहीं। अगर दामाद जी से बेटी की खुशी है बहु से बेटे की। तुम्हें दुखी करके मैंने अपने बेटे को भी दुखी करा। मुझे माफ कर दो आप सब। सोनिया ने अपनी सास का हाथ पकड़ कर अपने सर पर रखा और आंखों में आंसू की नमी के साथ मुस्कुराई। उस दिन सभी खुश थे की ममता को बहु और दामाद दोनों की अहमियत पता चली।