फैसला नई जिंदगी का-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Decision Story: अपने कमरे से अचानक सासु मां ने आवाज लगाई, शगुन ओ शगुन जल्दी आना!मैं अचानक तेज आवाज सुनकर मांजी के कमरे में गई!मांजी ने कहा रमा बुआ की लड़की की शादी में जाना है कल सुबह!सामान की पैकिंग कर लेना और सोना को भी लेते चलना!
जब से रौनक गुजर गया है तब से ऐसा लग रहा है जैसे तुमने अपना सारा वजूद खो दिया है !दिल पर पत्थर रखकर उन्होंने ऐसा कहा रौनक उनका इकलौता बेटा था!जो इस महामारी कोरोना में गुजर गया!
शगुन के जीने का सहारा सिर्फ उसकी बेटी सोना ही तो है,रौनक की निशानी!रौनक के चले जाने के बाद से शगुन के जीवन में कोई नहीं रह गया था!चुपचाप से गुमसुम सी रहने लगी थी,मैं कहां जाऊंगी मांजी शगुन ने कहा! मांजी ने कहा जाना तो पड़ेगा, मैं अकेली कैसे जाऊंगी!इसी बहाने मिलना जुलना हो जाएगा सबसे,
हां सुन अच्छी साड़ियां और कुछ गहने भी रख लेना!शगुन ने सिर हिला कर अपनी सहमति दी फिर अपने काम में लग गई!नियत समय पर सभी बुआ के घर पहुंचे,पूरा घर शादी के माहौल में डूबा हुआ था!धीरे-धीरे समय बिता सभी बारात के आने की तैयारी में लग गए!निश्चित समय पर बारात पहुंची तभी मेरी नजरें बारात में आए एक व्यक्ति जो पहचाना सा चेहरा था से जा टकराई! उसनेभी आगे बढ़कर कहां पहचाना नहीं मैं मयंक मैंने कहा हां हां!
फिर सभी शादी की रस्मों में लग गए,कल शाम में जब विदाई हो गई !हम लोग भी अपनी जाने की तैयारी में लग गए,तभी अचानक मयंक सबके बीच में आकर मुझसे कहता है मेरे साथ ताउम्र चलोगी!शगुन कुछ बोल पाती उससे पहले मयंक ने कहा मुझे सारी बातें पता है मैंने मांजी से आज्ञा ले लिया है शगुन मां की तरफ देखती है मांजी ने सर हिलाकर अपनी सहमति दे दी!मयंक ने मुस्कुराहट भरी नजरों से शगुन की ओर देखते हुए,अपना हाथ बढ़ाया फैसला नई जिंदगी का अब तुम्हारे हाथ में है!शगुन ने अपना हाथ मयंक को देते हुए दुबारा जीवन में रौनक लाने का फैसला किया!