डिजाइनर बेबी की चाहत पूरी करेगा आईवीएफ: Designer Baby with IVF
Designer Baby with IVF: महाभारत में कई प्रसंग ऐसे हैं जो आज के दृष्टिकोण से काफी ताकक और वैज्ञानिक नजर आते हैं जैसे- वासुदेव और देवकी के सातवें पुत्र का रोहिणी के गर्भ में स्थान्तरित हो जाना। देखा जाए तो सेरोगैसी में भी आप यही करवाते हैं, बच्चा आपका लेकिन कोख किराये की होती है पांडवों के जन्म की कथा भी इससे मिलती-जुलती है, कुंती यह पता चलने पर कि महाराज पांडु श्राप के कारण अब कभी समागम नहीं कर पाएंगे तो वह ऋषि दुर्वासा द्वारा दिए गए उस शक्तिशाली मंत्र के बारे में बताती है जिससे उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है और इस तरह पांडवों का जन्म होता है। यदि आप इस घटना का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि यह काफी हद तक आईवीएफ जैसा प्रतीत होता है जहां भ्रूण को विशेष तकनीक द्वारा गर्भ के बाहर तैयार किया जाता है और फिर मां के गर्भ में डाला जाता है।
पांडवों से पहले धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर के जन्म की कथा भी बहुत रोचक है। कथा इस प्रकार है कि माता सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य की क्षय रोग से मृत्यु हो जाती है तो वह ऋषि वेद व्यास को बुलवाकर प्रार्थना करती हैं कि केवल वही अपनी योग शक्ति और विद्या से विचित्रवीर्य की पत्नियों अंबालिका और अंबिका को गर्भवती कर सकते हैं। बाद में इन्ही से धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर का जन्म होता है। इसी तरह त्रेता युग में खीर खाने से माता कौशल्या को श्री राम, कैकई को भरत और सुमित्रा को लक्ष्मण-शत्रुघ्न हुए।
उपरोक्त सभी उदाहरणों का एक ही निष्कर्ष निकलता है कि बांझपन और नपुंसकता की समस्या प्राचीन काल से चली आ रही है, तब ऋषि-मुनि अपनी योग शक्ति के माध्यम से संतान प्राप्ति का समाधान ढूंढ़ा करते थे और आज डॉक्टर आईवीएफ के जरिये नि:संतान दम्पतियों की गोद भर रहे हैं। अंतर केवल इतना है कि उस समय केवल धनवान लोग ही इसका लाभ उठा पाते थे लेकिन आज आईवीएफ सभी के लिए सहज उपलब्ध है। आश्चर्य है कि आईवीएफ से आप डिजाइनर बेबी भी पा सकते हैं लेकिन सबसे पहले आपको बताते चलते हैं कि आखिर आईवीएफ किस बला का नाम है!
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डिजाइनर बेबी की अवधारणा
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अगर आप किसी फिल्म स्टार, गायक या फिर किसी नेता जैसा बच्चा पाना चाहते हैं तो अब आईवीएफ आपकी यह मांग भी पूरी करेगा! दरअसल, माता-पिता आईवीएफ तकनीक की मदद से अपने बच्चे में उन्हीं जीन को डलवा सकते हैं, जो कि मजबूत हैं, जिससे भविष्य में उन्हें अनुवांशिक बीमारियां होने का खतरा कम होगा। इस नई अवधारणा को बेबी डिजाइन या डिजाइनर बेबी करना कहते हैं। डिजाइनर बेबी आनुवंशिक रूप से संशोधित होते हैं। यह आईवीएफ ट्रीटमेंट की एडवांस तकनीक है। उन्हें एक भ्रूण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसकी आनुवंशिक संरचना को विशिष्ट लक्षणों को शामिल करने या बाहर करने के लिए बदल दिया जाता है या चुना जाता है। एक डिजाइनर बच्चा पैदा करने की प्रक्रिया में आईवीएफ के दौरान प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (पीजीडी) नामक प्रक्रिया शामिल होती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से वांछित लक्षणों के लिए या आनुवंशिक रोगों से बचने के लिए भ्रूण की जांच की जाती है।
आईवीएफ का लाभ
आईवीएफ नि:संतान दंपतियों के लिए एक वरदान है। यह प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने वाले जोड़ों के लिए एक मात्र विकल्प है। इसके कई फायदे हैं, जिसमें गर्भावस्था दर में वृद्धि, नियंत्रित डिम्बग्रंथि उत्तेजना, भ्रूण चयन, पुरुष कारक बांझपन के लिए उपचार, उम्र से संबंधित बांझपन, परिवार निर्माण के विकल्प और विशिष्ट स्थितियों के लिए उपचार शामिल हैं। आईवीएफ का इस्तेमाल सेरोगेसी, एग फ्रीजिंग, एग या स्पर्म डोनर के लिए भी किया जाता है। समय के साथ आईवीएफ की सफलता दर में काफी बढ़ोतरी हुई है।
आईवीएफ के लिए आयु सीमा
दो महीने पहले एक खबर आई कि गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के 2 साल बाद उनकी मां फिर से गर्भवती हो गई हैं। उनकी मां 58 साल की हैं और गर्भवती होने के लिए उन्होंने आईवीएफ का सहारा लिया है। हालांकि बच्चे के जन्म के बाद कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई कि क्योंकि भारत में 50 वर्ष के बाद आईवीएफ की अनुमति नहीं दी जाती है। इस उम्र में आईवीएफ तकनीक करवाना काफी जोखिम का काम हो सकता है। शायद इन्हीं कारणों से सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) कानून के अनुसार, भारत में आईवीएफ उपचार पर विचार करने वाली महिलाओं के लिए आयु सीमा 50 वर्ष रखी है। इस अधिनियम का उद्देश्य जच्चा और बच्चा दोनों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए एक उम्र सीमा तय की गई है।
आईवीएफ उपचार की लागत
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स्थान, प्रतिष्ठा, सफलता दर और केंद्र द्वारा प्रदान की जाने वाली विशिष्ट सेवाएं जैसे प्रमुख कारक हैं जो कि आईवीएफ की लागत को प्रभावित करते हैं। भारत में आमतौर पर आईवीएफ के पहले चक्र की लागत औसतन 1.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये या उससे अधिक तक हो सकती है।
किश्तों में आईवीएफ ट्रीटमेंट
देश में कई ऐसे फर्टिलिटी क्लीनिक हैं, जहां आप अपनी किश्त बंधवा सकते हैं। इससे आईवीएफ करवाने आए दंपतियों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता है। किश्तों में भुगतान करने से नि:संतान दंपती बिना किसी अधिक दबाव के इलाज करवा सकते हैं।
बेहतरीन आईवीएफ सेंटर्स और सफलता दर
यह व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, जरूरतों, सामर्थ्य और परिस्थितियों जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। भारत में सबसे प्रसिद्ध प्रजनन केंद्रों में से एक बिड़ला फर्टिलिटी और आईवीएफ है जो पारदर्शी और किफायती कीमतों पर चिकित्सकीय रूप से विश्वसनीय, दयालु और भरोसेमंद प्रजनन उपचार प्रदान करता है।
आईवीएफ की चुनौतियां और जोखिम
आईवीएफ जहां नि:संतान दंपतियों के लिए वरदान है, वहीं इसकी कई चुनौतियां भी हैं। आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिला को कई तरह के इंजेक्शन और दर्द से गुजरना पड़ता है जैसे- आईवीएफ का खर्च, एकाधिक गर्भधारण की संभावना जो जटिलताओं के जोखिम को बढ़ाती है और डिम्बग्रंथि हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (ओएचएसएस) इत्यादि। हालांकि, उपचार के दौरान एक्सपर्ट महिला की काउंसलिंग भी करते हैं साथ उसे इससे भावनात्मक रूप से निपटने के लिए तैयार करते हैं।
आईवीएफ
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिला के गर्भ से मैच्योर अंडे को अंडाशय से हटाकर पुरुष के शुक्राणु द्वारा प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है। इसके बाद, एक या अधिक निषेचित अंडों को गर्भाशय में प्रत्यारोपित करके एक भ्रूण बनाया जाता है। आईवीएफ चक्र आम तौर पर दो से तीन सप्ताह तक चलता है। वर्तमान में आईवीएफ को बांझपन के इलाज का एक प्रभावी तरीका माना जाता है और इसके कई फायदे हैं-
- डॉ. शिखा टंडन, कंसल्टेंट (बिरला फर्टिलिटी और आईवीएफ) से बातचीत पर आधारित।