बच्चे में अच्छी लीडरशिप क्वालिटी विकसित करने के लिए इन बातों का रखें ध्यान: Develop Leadership Qualities in Children
Develop Leadership Qualities in Children: लीडरशिप ऐसी खूबी है, जो कि किसी भी बच्चे में बचपन से आना जरूरी माना जाता है, ताकि अपने भविष्य के प्रति उसका नजरिया सकारात्मक रहें। एक रिसर्च के हिसाब से हर बच्चे में लीडरशिप के गुण छुपे होते हैं। कुछ बच्चों को ये विरासत में मिलते है तो कुछ को इन्हें सीखना पड़ता है। लेकिन अगर सही समय पर बच्चों को सही दिशा दी जाए तो हर बच्चा एक अच्छा लीडर साबित हो सकता है।
छोटी-सी उम्र में बच्चों में लीडरशिप की खूबी को लाना आसान काम नहीं होता है, लेकिन आप छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखते हुए भी बच्चों में लीडरशिप की खूबियां ला सकती हैं। ताकि वे खुद का भविष्य आत्मविश्वास और लीडर वाली सोच के साथ लिख सकें। आइए जानते हैं कि कैसे आप बच्चों में लीडरशिप की खूबी ला सकती हैं।
बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करें
कई बच्चों में टैलेंट तो बहुत होता है, लेकिन हिचकिचाहट और आत्मविश्वास में कमी की वजह से दूसरों से पीछे रह जाते हैं। ऐसे में बच्चों में लीडरशिप गुण विकसित करने के लिए जरूरी है कि बच्चों में बचपन से ही आत्मविश्वास को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को उनके द्वारा किए गए कामों पर आप उन्हें प्रोत्साहित करें।
कठिन परिस्थितियों से बचाव के तरीके सिखाएं
एक लीडर के लिए जरूरी होता है कि वह कठिन परिस्थितियों में घबराए नहीं और लोगों की समस्या को हल करने के लिए रास्ते तलाशे। बच्चों में लीडरशिप विकसित करने के लिए जरूरी है कि आप उन्हें बचपन से समस्या को सुलझाने के तरीके सिखाएं।
हार के बाद ही जीत है
कई बार ऐसा होता है, जब हम बच्चों को जीतने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन इस वक्त यह बताना भूल जाते हैं कि हार भी दूसरी जीत की तरफ जाने का एक मौका देती है। बच्चों को जीत का हौसला देते समय यह भी बताएं कि हार के बाद भी जीत हो सकती है। अपनी हार से सीख लेते हुए हमेशा जीवन के हर मुकाबले के लिए तैयार रहें। जीत और हार से बड़ी चीज साहस, मेहनत और कोशिश होती है। किसी भी प्रतियोगिता में जीत और हार से अधिक खुद पर यकीन करते हुए अपना शत-प्रतिशत देने की चाह होनी चाहिए।
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उदाहरण पेश करें
अपने बच्चों के सामने खुद को उदाहरण के तौर पर पेश करें। अपने काम के जरिए यह बताने की कोशिश करें कि कैसे चुनौतियों का सामना धैर्य और समझदारी से करना चाहिए। साथ ही कैसे किसी भी हालात में खुद को संभालना कैसे चाहिए। घर के कुछ जरूरी फैसलों में बच्चों को जरूर शामिल करें। अगर घर पर कोई मेडिकल इमरजेंसी आती है, तो उसमें भी बच्चों को शामिल करें। जैसे आप उन्हें यह कह सकती हैं कि डायरी में डॉक्टर को फोन करो या फिर दवाई देने का काम आप उन्हें दे सकती हैं। इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और उन्हें यह समझ में आएगा कि घबराने से बेहतर समस्या का समाधान निकालना और उसका सामना सकारात्मक तरीके से करना है।
कम्युनिकेशन स्किल को दें बढ़ावा
लीडरशिप की खूबी का अहम हिस्सा कम्युनिकेशन भी होता है। यानी आप अपने बच्चों को बातचीत करने के लिए खुला मंच दें। आप उनके साथ ऐसा बर्ताव न करें कि कोई भी बात आपके पास बोलने से पहले बच्चों को डर लगें या फिर उन्हें झिझक महसूस होने लगे। आप बच्चों से बातचीत के दौरान उनसे ऐसे सवाल करें, जिससे उनके पास बात करने के लिए विषय हो। आप बच्चों के दिलचस्पी के विषय पर उनसे बात करें। इस तरह से उनकी कम्युनिकेशन स्किल बढ़ेगी और बाहरी दुनिया में भी लोगों के सामने बातचीत के दौरान उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
उनके फैसले को सुनें और समझें
लीडरशिप की खूबी का एक अहम हिस्सा सामने वाली की बात सुनना और समझना भी होता है। इसलिए जब भी बच्चा आपसे घर, स्कूल या फिर खेलने से जुड़ी भी कोई बात कहता है, तो उसे सुनने और समझने की कोशिश करें। किसी बात पर अगर आपको लगे कि बच्चे की सोच नकारात्मक है या फिर गलत दिशा में आगे बढ़ रही है, तो उसे शांति से समझाने की कोशिश करें। उनकी पूरी बात सुनने के बाद आप उनका मार्गदर्शन करें।
वॉलेंटियर बनने का दें मौका
बचपन से बच्चों में लीडरशिप के गुण डालने का एक सबसे अच्छा तरीका कि उन्हें अपने घर में होने वाले छोटे-छोटे कार्यक्रमों में जिम्मेदारी दें। आपके बच्चे को स्कूल में वॉलेंटियर बनने का अवसर मिलता है, तो उसके लिए प्रोत्साहित करें। या फिर सोसायटी के किसी कार्यक्रम में या फिर घर से जुड़े समारोह में उन्हें वॉलेंटियर बनाएं। इससे बच्चे में लीडरशिप वाली गुण आएंगे। उन्हें समस्याओं को सुलझाने और उससे निपटने के साथ टीम को संभालने का अनुभव मिलेगा।
दूसरों की तुलना न करें
पेरेंट्स द्वारा बच्चों को खुद के काम को दूसरे से तुलना न करने की आदत डालनी चाहिए। बच्चे को उनके लक्ष्य को पाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। इससे आपका बच्चा अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच सकता है। पेरेंट्स दूसरे के बच्चे के अच्छे या बुरे होने की तुलना अपने बच्चे से न करें। जब ऐसी बातें होती है तो बच्चे के दिमाग पर इसका प्रभाव पड़ता है और वो खुद को हर फील्ड में कमजोर समझने लगता है।
दूसरों के नजरिए से चीजें देखना सिखाएं
एक लीडर के लिए दूसरों का नजरिया समझना बेहद जरूरी है। जब तक आप दूसरे के नजरिए को नहीं समझेंगे, तब तक आप सब को साथ लेकर नहीं चल पाएंगे।