अगर बच्चों को उनकी गलतियों पर इस तरह दें रहे हैं सजा, अनुशासन और समझदारी दोनों में होगी बढ़ोतरी: Discipline and Child
Discipline and Child: हर माता पिता चाहते की उनका बच्चा सही रास्ते पर चले, उसकी परवरिश अच्छी हो। वहीं बच्चों को कुछ सिखाने, उन्हें अपनी गलती का एहसास करवाने और सही रास्ते पर लाने के लिए अक्सर पैरेंट्स उन्हें सजा भी देनी पड़ती है।
बच्चों को सजा देना बिलकुल भी गलत नहीं है। लेकिन आप बच्चे को किस बात पर क्या सजा दे रहे हैं, ये अहम मुद्दा है। अगर आप अपने बच्चे को सबक सिखाने या उसे सही रास्ते पर लाने के लिए कोई नेगेटिव या फिर सख्त सजा दे रहे हैं, तो आप बिलकुल गलत कर रहे हैं।
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इस तरीके से बहुत कम ही बच्चे सही रास्ते पर आते हैं क्योंकि गलत सजा से बच्चे अक्सर जिद्दी हो जाते हैं साथ ही आपसे बदतमीज़ी पर भी उतर आते हैं। गलत शब्दों का इस्तेमाल करना जैसे कि अपने बच्चों के लिए नेगेटिव बोलना और उन्हें खराब फील करवाना होता है। इससे एक समय आएगा कि बच्चे आपकी भी नहीं सुनेंगे।
सजा की वजह बताएं

जब आप अपने बच्चे को सजा दें, तो उन्हें पता होना चाहिए कि उसे किस बात की सजा मिल रही है। उन्हें बताएं कि असल में उनकी कौनसी बात या काम गलत था। ताकि बच्चे को पता चल सके कि अगली बार उसे क्या करना है और क्या करने से बचना है। जब भी कोई नियम बनाएं, तो बच्चों को उसे अच्छी तरह से स्पष्ट कर दें। ऐसा करने से आपकी बात उनके दिमाग में बैठ जायेगी और वो गलतिया या फिर ऐसा कोई काम करने से बचेंगे जिससे उन्हें सजा मिल सकती है।
अपनी कही बात से हेट न

आप अपने बच्चे को अकसर सजा के तौर पर उन्हें हफ्तेभर उसे फोन इस्तेमाल करने के लिए मना करते हैं। लेकिन वहीं 2 दिन बाद ही आप उन्हें फ़ोन दे भी देते हैं। इससे आपके बच्चे को लगेगा कि आप अपनी दी गई सजा को लेकर बिलकुल भी सीरियस नहीं है। और वो आपकी बातों को गंभीरता से लेना धीरे धीरे बंद कर देंगे। अगर आपने अपने बच्चे को कोई सजा दी है तो तो उस पर अटल रहें और अपने बच्चे से उस दौरान स्ट्रिक्टनेस से पेश आएं। ताकि उन्हें इस बात का एहसास हो कि उन्होंने कोई गंभीर गलती की है।
गिल्ट फील करवाएं

आप बच्चे के लिए कोई ऐसी सजा तय न करें जिसमे उन्हें भी मज़ा आये। जैसे कि अगर आपके बच्चे को अकेले रहना पसंद है, तो उसे पनिशमेंट के तौर पर किसी कमरे में या फिर घर से भर अकेला न छोड़ें। ऐसे बच्चे को इसकी आदत लग जायेगीं। साथ ही बच्चे की पर्सनैलिटी के हिसाब से भी ये सजा बिलकुल गलत होगी। बच्चों को सजा के समय गिल्ट फील करवाना बेहद जरूरी है। ताकि उनके मन में ये बात बेथ जाए की ये चीज नहीं करनी चाहिए थी। अगली बार भी अगर कि तो ऐसे ही सजा फिर से मिलेगी।
सुधार के बारे में बात न करना

ऐसा कई बार होता है की बच्चों को अपनी गलती पर किसी भी तरह का पछतावा नहीं होता है। ऐसे समय पर बच्चों को अच्छे से समझाएं और वो उन्हें अपनी गलती को सुधारने के लिए तैयार करें। ऐसे में उन्हें बताएं कि उन्होंने कुछ गलत किया है जिसे सुधारना बेहद जरूरी है। क्योंकि बच्चों को हर कदम पर अपने पैरेंट्स की मदद और सलाह की सख्त जरूरत होती है। अपने बच्चों को हमेशा गाइड करते रहे सजा पूरी होने के बाद उनसे बैठ के इस बारे में बात करें और उन्हें समझाएं।