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अपनी बेटी से भूलकर भी ना कहें ये छह बातें: Daughter Parenting Tips

12:30 PM Mar 20, 2024 IST | Mitali Jain
अपनी बेटी से भूलकर भी ना कहें ये छह बातें  daughter parenting tips
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Daughter Parenting Tips: बदलते जमाने में लोगों की सोच में भी काफी परिवर्तन आया है और इसलिए अब पैरेंट्स अपने बच्चों के दोस्त बनने में विश्वास करते हैं। हालांकि, कुछ चीजें अभी तक नहीं बदली हैं। बेटियों को लेकर अभी भी बहुत से लोगों की सोच रूढ़िवादी हैं। उन्हें हमेशा ही अधिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।

भले ही बेटियों को सौभाग्य की निशानी माना जाता है और वे घर की शोभा बढ़ाती हैं। लेकिन फिर भी उनकी परवरिश अलग तरह से की जाती है। अमूमन यह देखने में आता है कि एक लड़की होने के कारण कई बार बेटी को ऐसी बातें भी सुननी पड़ती हैं, जो कहीं ना कहीं उन्हें दुखी कर सकती हैं। आपको यह समझना चाहिए कि लड़कों की तुलना में लड़कियां कुछ चीजों को लेकर ज्यादा गंभीर होती हैं। जिस बात को एक लड़का मजाक समझ सकता है और जल्द ही भूल सकता है, वहीं उसे एक लड़की बहुत गंभीरता से ले सकती है। इसीलिए, चाहे कुछ भी हो जाए, पैरेंट्स को कुछ बातों को अपनी बेटी से बिल्कुल भी नहीं कहना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको अपनी बेटी से नहीं कहना चाहिए-

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तुम्हारा फैसला सही नहीं है

Daughter Parenting Tips
Decision

अक्सर यह देखने में आता है कि जब कभी बेटी किसी तरह का कोई फैसला लेती है तो उसकी क्षमताओं पर सवाल उठाए जाते हैं। यहां तक कि खुद पैरेंट्स ही अपनी बेटी के फैसले पर संदेह करते हैं और उन्हें यह कहते हैं कि वे सही फैसले लेने में सक्षम नहीं हैं। हो सकता है कि माता-पिता अपनी बेटी को आवेग में आकर कुछ करने से रोकने के लिए ऐसा कहते हों। हालांकि, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। उनके फैसलों पर सवाल मत उठाइए। बल्कि उन्हें अधिक आत्मविश्वासी बनाइए। अगर वे गलती करती भी हैं तो हर गलती से उन्हें एक सीख मिलती है, जो उन्हें और भी अधिक बेहतर इंसान बनाती है।

यह मत पहनो

अमूमन लड़कियों के कपड़ों और उनके पहनावे पर घर में ही सेंसर लगाया जाता है। अमूमन घरों में पैरेंट्स उन्हें बताते हैं कि उन्हें क्या पहनना है और क्या नहीं। अगर आपको लगता है कि कोई कपड़ा उन पर अच्छा नहीं लग रहा है, तो उन्हें समझाएं। छोटी स्कर्ट को लेकर कोई सीन न बनाएं। हमेशा ध्यान रखें कि प्रतिबंध एकतरफ़ा नहीं होने चाहिए। अगर आप बेटी को रोक रहे हैं और बेटे को सबकुछ पहनने की आजादी दे रहे हैं तो इससे आपकी बेटी को ऐसा लगने लगेगा कि उसके साथ कोई समस्या है।

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कई पैरेंट्स अपनी बेटी को जितना संभव हो सके बाहर जाने से रोकते हैं। हालांकि, यह बेटी को सुरक्षित रखने का कोई तरीका नहीं है। यदि आप चाहते हैं कि वह सुरक्षित रहे, तो उसे दुनिया की असलियत के बारे में बताएं और उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार करें। उसे मार्शल आर्ट और सेल्फ डिफेंस जैसी क्लासेस दिलवाएं और थोड़ा अधिक सावधान रहने के लिए कहें। एक पैरेंट के रूप में उसकी गतिविधियों पर सिर्फ इसलिए रोक न लगाएं क्योंकि वह एक लड़की है।

ज्यादा बात मत करो

अक्सर यह देखने में आता है कि भारतीय घरों में लड़कियों को बहुत अधिक बोलने की आजादी भी नहीं दी जाती है। अगर कोई लड़की किसी विषय पर अपनी राय व्यक्त कर रही है तो पैरेंट्स अक्सर उसे चुप करा देते हैं। यह बात बिल्कुल भी ठीक नहीं है। चूंकि वह सिर्फ एक लड़की है, इसलिए उसे अपने मन की बात कहने से रोका जाए। इसे बिल्कुल भी उचित नहीं कहा जा सकता। उसे भी अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। उसे सेंसर मत करो। जब कोई कुछ गलत कर रहा हो तो उसे जवाब देना और विरोध करना सिखाएं। उससे यह मत कहो कि उसे चुप रहना चाहिए।

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लड़कियों को ऐसा नहीं करना चाहिए

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girls shouldn't do this

रूष प्रधान समाज में सिर्फ लड़कियों के बोलने या पहनावे पर ही प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है, बल्कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यह भी पहले से ही तय कर दिया जाता है। हालांकि, बदलते परिवेश में अब लोगों की सोच काफी हद तक बदली है, लेकिन फिर भी अधिकतर घरों में लड़की को किस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहिए या नहीं, यह पहले ही तय कर दिया जाता है। अगर लड़की को खेल पसंद है तो उसे यह कहा जाता है कि लड़कियों को खेल नहीं खेलना चाहिए। हालांकि, आपको ऐसा करने से बचना चाहिए। वह जो भी करे उसमें उसे मोटिवेट करें।

काश तुम एक लड़का होती

यह एक ऐसी लाइन है, जो अक्सर पैरेंट्स अपनी बेटी से कहते हैं या फिर बेटी के सामने किसी अन्य व्यक्ति से। लेकिन यह यकीनन बेटी के दिल को बहुत अधिक दुखा देता है। इससे उन्हें मन ही मन ऐसा लगने लगता है कि एक बेटी के रूप में जन्म लेकर उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है और वह अपने माता-पिता पर सिर्फ एक बोझ हैं। यह वाक्य यकीनन मन को अंदर से झकझोर देता है। एक पैरेंट के रूप में आपको अपनी बेटी के अस्तित्व पर ही सवाल बिल्कुल भी नहीं उठाना चाहिए।

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