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ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जीवन परिचय

02:00 PM Nov 21, 2023 IST | Reena Yadav
ए पी जे  अब्दुल कलाम जीवन परिचय
A.P.J. Abdul Kalam
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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से हैं। वे एक जाने-माने प्रोफेसर, वैमानिकी इंजीनियर व आई.आई.एस.टी. (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साईंस एंड टेक्नोलॉजी) के चांसलर पद पर हैं।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में अपने पद पर रहे। प्रायः उन्हें ‘पीपल्स प्रेसीडेंट’ भी कहा जाता है। वे भारत के ‘मिसाइल मैन’ के नाम से भी जाने जाते हैं। यह नाम इस लिए दिया गया क्योंकि उन्होंने बालिस्टिक मिसाइल परियोजना व स्पेस रॉकेट तकनीक में असाधारण योगदान दिया। वे इसरो तथा डीआरडीओ में वैज्ञानिक पद पर भी रहे। उन्हें 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया।

Dr. A P J Abdul Kalam
Dr. A P J Abdul Kalam

उनका जन्म रामेश्वरम (तमिलनाडु) के मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में, 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ। उनके पिता का नाम जैनुलाबदीन तथा मां का नाम आशीअम्मा था। डॉ. कलाम का पूरा नाम है, अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम। उनके पिता एक सच्चे मुसलमान थे। रामेश्वर के मंदिरों के पुजारियों से भी उनके स्नेही संबंध थे। वे स्थानीय मछुआरों को अपनी नावें किराए पर देने का काम करते थे। वे हिंदू धार्मिक नेताओं व रामेश्वर स्कूल के अध्यापकों के अच्छे मित्र थे।

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डॉ. कलाम बचपन में समुद्र के बहुत निकट रहे। उन्हें प्रकृति व समुद्र से गहरा लगाव है। वे सागर की लहरें देखने में काफी समय बिताते। संगीत व काव्य में उनकी रुचि के लिए मां काफी हद तक प्रेरणास्रोत रहीं।

Birth and early years of Dr. Kalam
Birth and early years of Dr. Kalam

कलाम के पिता का परिवार बहुत ही सादा जीवन व्यतीत करता था। उन्होंने बच्चों को अच्छे नैतिक संस्कार दिए। डॉ. कलाम बचपन से ही धर्म के प्रति गहरा रुझान रखते थे। वे प्रतिदिन कुरान व भगवद्गीता का पाठ करते व शाकाहारी भोजन खाते थे। उन्होंने पूरा जीवन पठन-पाठन, शोध व कार्य को समर्पित कर दिया।

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उनका बचपन आर्थिक तंगी में बीता। प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम की ग्रामीण पाठशाला में हुई। फिर उन्हें रामनाथपुरम मिशनरी स्कूल में भेजा गया।

वे बचपन से ही काम करने लगे थे। अपनी पढ़ाई का खर्च स्वयं निकालने के लिए वे शहर में समाचार-पत्र बांटने का काम करते।

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माता-पिता, अध्यापकगण व अन्य व्यक्ति भी इस छात्र की प्रतिभा को पहचानते थे। कुछ अध्यापकों ने तो स्वेच्छा से सहायता भी की। 1954 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में स्नातक की उपाधि ली। 1957 में उन्होंने मद्रास के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में विज्ञान में स्नातक की उपाधि ली। फिर उन्होंने उसी संस्था से, अपने संबंधित क्षेत्र में स्नातकोत्तर की उपाधि भी ली।

Birth and early years of Dr. Kalam
Birth and early years of Dr. Kalam

एम.आई.टी. में तीन वर्ष पूरे करने के बाद, वे बंगलौर के हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लि. में एक प्रशिक्षु के रूप में भरती हुए, वहां उन्होंने पिस्टन व टरबाइन इंजिनों पर काम किया। 1958 में, वे वहां से ग्रेजुएट होकर निकले।

फिर उन्हें इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन) के साथ काम करने का अवसर मिला। कई परियोजनाओं पर कार्य करने के बाद वे थुंबा में भारत के पहले देशी सेटेलाइट लांच वीइकल (एस .एल. वी. 3) के परियोजना निर्देशक बने।

एसएलवी 3, जुलाई 1980 में, एक वैज्ञानिक सेटेलाइट रोहिणी को स्थापित करने में सफल रहा। 1981 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इस दौरान उन्हें तीन महान हस्तियों के साथ कार्य करने का अवसर मिला डॉ. विक्रम साराभाई, प्रोफेसर सतीश धवन व डॉ. ब्रह्म प्रकाश। उन्होंने अपनी आत्मकथा में भी इनके प्रति आभार प्रकट किया है।

जब 1982 में डॉ. कलाम डिफेंस रिसर्च डेवलेपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) से जुड़े तो उनके व्यावसायिक जीवन का दूसरा चरण आरंभ हुआ। यहां निर्देशक पद पर उन्हें गाइडेड मिसाइल डेवलेपमेंट प्रोग्राम (आई.जी.एम.डी.पी.) सौंपा गया।

Dr. Kalam's professional life
Dr. Kalam's professional life

उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण भारतीय मिसाइलों जैसेः नाग, आकाश, त्रिशूल, अग्नि व पृथ्वी आदि के विकास में प्रमुख भूमिका निभाईं।

उनके कार्यकाल में मिसाइल तकनीकों के लिए तीन नई प्रयोगशालाएं भी विकसित की गईं। भारत के रक्षा तंत्र में उनका योगदान प्रशंसनीय है।

इसके बाद डॉ. कलाम ने टेक्नोलॉजी, इन्फार्मेशन, फारकास्टिंग एंड काउंसिल (टी.आई.एफ.ए.सी.) के चेयरमैन पद पर कार्य किया।

डॉ. कलाम ने, 1998 में भारत के पोखरण-2 परमाणु परीक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाईं।

नवंबर 1999 में डॉ. कलाम को भारत सरकार का प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया।

नवंबर 2001 में वे चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय के टेक्नोलॉजी व सोसाइटल ट्रांसफारमेशन के प्रोफेसर बने।

Dr. Kalam's professional life
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जब कलाम थुंबा के रॉकेट लांचिग स्टेशन में कार्यरत थे तो उनके अधीन 70 वैज्ञानिक कार्य कर रहे थे। काम का दबाव इतना था कि वैज्ञानिकों को प्रतिदिन 12 से 18 घंटे काम करना पड़ता था। उन्हें अपने परिवार के साथ भी समय बिताने का अवसर नहीं मिलता था।

एक दिन, एक वैज्ञानिक ने डॉ. कलाम से आकर कहा: "सर, मैंने बच्चों को शहर में लगी प्रदर्शनी दिखाने का वादा किया है। यदि आप अनुमति दें तो मैं शाम को 5:30 बजे जाना चाहता हूं।

डॉ. कलाम ने अनुमति दे दी। वैज्ञानिक अपने काम में लग गया पर जब उसका काम खत्म हुआ तो रात के आठ बज रहे थे। उसे बहुत बुरा लगा कि वह बच्चों को किया वादा नहीं निभा सका। डॉ. कलाम उस समय ऑफिस में नहीं थे।

Dr. Kalam a great leader
Dr. Kalam a great leader

वैज्ञानिक उदास व खिन्न मन से घर लौटा तो पाया कि बच्चे घर पर नहीं थे। पत्नी से पूछा तो वह बोली: आपके मैनेजर पांच बजे से पहले यहां आए थे। वे बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने ले गए हैं।

वैज्ञानिक अपने बॉस के इस कार्य की प्रशंसा किए बिना न रह सका। दरअसल डॉ. कलाम ने देखा कि वैज्ञानिक बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य में व्यस्त था और वे बच्चों को निराश नहीं देखना चाहते थे इसलिए वे स्वयं ही उन्हें प्रदर्शनी दिखाने ले गए।

डॉ. कलाम ऐसे स्नेही व आपसी समझ रखने वाले बॉस भी थे।

Dr. Kalam a great leader
Dr. Kalam a great leader

जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.) सरकार ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. कलाम को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना तो सारा राष्ट्र आश्चर्यचकित रह गया। कलाम काफी वोट से जीते व 25 जुलाई, 2002 को, भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया।

शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उन्होंने भाषण में कहा, ‘‘हमें अपने देश पर गर्व करना चाहिए। पिछले 50 वर्षों में भारत ने खाद्य उत्पादन, स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा, मीडिया व जनसंचार, सूचना तकनीक, विज्ञान व रक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। इन सभी प्रगतियों के बावजूद हमारी जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा अब भी निर्धनता, बेरोजगारी, रोग व शिक्षा के अभाव से जूझ रहा है।"

डॉ. कलाम ने इन सभी समस्याओं को मिटाने के लिए अपने विचार प्रस्तुत किए ताकि भारत को एक बलशाली राष्ट्रों की कतार में खड़ा किया जा सके।

Dr. Kalam on the post of President of India
Dr. Kalam on the post of President of India

डॉ. कलाम ने अपने कार्यकाल के दौरान विशेष रूप से विज्ञान व शिक्षा के क्षेत्र में कार्य किया। वे एक विनम्र राष्ट्रपति बने रहे, जिनसे भेंट करना आसान था। वे बच्चों से लगाव रखते थे इसलिए हमेशा उनके कल्याण व विकास के लिए योजनाएं बनाते थे। उन्होंने भारत को वैज्ञानिक रूप से समृद्ध बनाने के अतिरिक्त युवा पीढ़ी के मन में भी प्रेरणा व देशभक्ति का संचार किया।

डॉ. कलाम एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे। वे एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ कला व संस्कृति के क्षेत्र में भी रुचि रखते थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘विंग्स ऑफ फायर’ सहित अनेक पुस्तकें लिखीं। उनकी कुछ प्रसिद्ध पुस्तकें- ‘वैज्ञानिक से राष्ट्रपति’, ‘इग्नीटिड माइंड्स’, 'अनलीशिंग द पावर विद इन इंडिया,’ ‘इंडिया 2020’ आदि हैं।

वे तमिल भाषा में कविताएं भी लिखते थे। डॉ. कलाम वीणावादन में भी निपुण थे।

Dr. Kalam on the post of President of India
Dr. Kalam on the post of President of India

डॉ. कलाम के तीन विज़न थे। पहला, ‘स्वतंत्रता'। वे कहते थे कि हमारा देश दूसरों के अधीन रहा तथा काफी लंबे समय तक दूसरों पर निर्भर रहा किंतु हम भारतीय दूसरों की स्वतंत्रता को मान देते हैं। हमें इस स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए।

उनका दूसरा विज़न, ‘विकास'। उनका कहना था कि यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में हमने बहुत कुछ पाया है, किंतु अभी और विकास की आवश्यकता है, विशेष रूप से शिक्षा, विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में।

उनका तीसरा विज़न था कि भारत को एक मजबूत व सुपरपावर के रूप में सामने आना चाहिए और दुनिया को अपनी ताकत दिखानी चाहिए।

डॉ. कलाम भारत को एक उन्नत व तकनीकी रूप से विकसित राष्ट्र बनाना चाहते थे। उनकी पुस्तक ‘इंडिया 2020’ में भारत को एक सुपरपावर विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ठोस योजना दी गई है।

Dr. Kalam on the post of President of India
Dr. Kalam on the post of President of India

डॉ. कलाम को 1997 में भारत रत्न, 1990 में पद्मविभूषण व 1981 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त अनेक सम्मानीय पुरस्कार व उपाधियां भी दी गईं।

वे आई.आई.एस.टी. के चांसलर पद पर थे और अन्ना विश्वविद्यालय (चेन्नई) में प्रोफेसर भी रहे। वे पूरे देश के अनेक शैक्षिक व शोध संस्थानों से भी जुड़े हुए थे।

मई, 2011 में डॉ. कलाम ने भारतीय युवाओं के लिए नया मिशन ‘व्हाट कैन आई गिव मूवमेंट’ आरंभ किया। यह अनूठा मिशन युवाओं में व्यापक दृष्टिकोण की भावना को पोषित करेगा।

डॉ. कलाम वर्षों से अनेक व्यक्तियों के प्रेरणास्त्रोत रहे। वे ज्ञान के सागर थे। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए, राष्ट्र को प्रगतिशील बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।

Dr. Kalam on the post of President of India
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27 जुलाई, 2015 की शाम को शिलांग के आई. आई. एम संस्थान मे व्याख्यान देते समय उनका देहांत हो गया | 30 जुलाई ,2015 को डॉ. कलाम को पूरे सम्मान के साथ रामेशवरम के.पी. करूम्बू मैदान में धरती मां की गोद में सुला दिया था | उनके निधन पर समूचा देश मर्माहत हो गया | राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत हर-छोटे बड़े ने उनके अप्रतीम कार्यों को सहारते हुए श्रद्धांजलि दी |

Dr. Kalam on the post of President of India
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