चैत्र नवरात्रि में इन 9 मंदिरों में करें मां दुर्गा के दर्शन, पूर्ण होगी मनोकामना: Durga Mandir
Durga Mandir: मां दुर्गा को समर्पित चैत्र नवरात्रि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, एक वर्ष में चार बार नवरात्रि आती है। चैत्र, शारद और दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। इन चारों नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। इस साल 2023 में चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरु होकर 30 मार्च को संपन्न होंगे। इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा के प्रमुख मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। आज हम आपको मां दुर्गा के प्रमुख 9 मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां इस बार आप भी मां दुर्गा का आशीर्वाद लेने जा सकते हैं।
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Durga Mandir:वैष्णो देवी मंदिर
जम्मू के त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता वैष्णों के मंदिर में देश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में देवी मां के तीन स्वरुप लक्ष्मी, सरस्वती और काली विराजमान हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले भक्तों को मंदिर तक पहुंचने के लिए कटरा से 13 किलोमीटर की चढ़ाई करनी होती है। जो लोग चढ़ाई करने में असमर्थ होते हैं उनके के लिए कटरा से पालकी और घोड़ों से जाने की भी सुविधा होती है। माता वैष्णो देवी का मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है।
नैना देवी मंदिर
देव भूमि उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित नैना देवी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। नैना झील के किनारे मौजूद मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मंदिर में माता सती के शक्ति स्वरुप की पूजा की जाती है। मंदिर में माता के दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। इस स्थान पर माता सती के नैन गिरे थे। इसलिए इस स्थान पर नैना देवी के रूप में पूजा की जाती है।
मनसा देवी मंदिर
मनसा देवी का मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित है। हर की पेड़ी के पीछे शिवालिक पहाड़ियों पर बलवा पर्वत पर स्थित इस मंदिर में तीन मुख और पांच भुजाओं वाली माता दुर्गा की प्रतिमा को पूजा जाता है। मनसा देवी को नागवंशियों ,वनवासियों और आदिवासियों की देवी माना गया है। नवरात्रों में यहां बड़ी संख्या में भक्तजन माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
चामुंडा देवी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मां दुर्गा स्वरुप मां चामुंडा देवी का मंदिर है। धर्मशाला से 15 किलोमीटर और पालमपुर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर में हर साल नवरात्रि पर लोगों की काफी भीड़ रहती है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
कोलकाता के हुगली नदी के किनारे दक्षिणेश्वर काली का मंदिर है। इस मंदिर में मां दुर्गा के काली स्वरुप की पूजा की जाती है। हर बार नवरात्रों में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि नवरात्रों में माता के दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस मंदिर में मुख्या देवी भवतारिणी है जोकि काली माता ही हैं।
करणी माता मंदिर
राजस्थान के बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर माता करणी का मंदिर है। ये मंदिर ‘चूहों वाला मंदिर’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है। क्योंकि यहां आने वाले भक्तों को चूहों द्वारा झूठा किया गया प्रसाद वितरित किया जाता है। इस अद्भुत मंदिर का निर्माण आज से 600 साल पहले किया गया था। मंदिर का आकर्षण का केंद्र मंदिर के चांदी के दरवाजे और संगमरमर की नक्काशी है।
कामाख्या देवी मंदिर
कामाख्या देवी मंदिर की अपनी ही विशेषता है। कामाख्या शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में सर्वोत्तम माना गया है। ये मंदिर असम के पश्चिम में गुवाहाटी से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर नीलांचल पर्वत स्थित है। कहा जाता है कि इस स्थान पर माता सती का योनि भाग गिरा था और इसी से कामाख्या माता की उत्पत्ति हुई। इस स्थान पर माता की महामुद्रा (योनि कुंड) स्थित है जिसकी पूजा की जाती है।
ज्वाला देवी
ज्वाला देवी का स्थान माता के 51 शक्तिपीठों में है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित इस मंदिर में माता अग्नि की ज्योति के स्वरूप में स्थापित हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां पर माता सती की जिह्वा गिरी थी। यहां माता का ज्वाला स्वरुप है, जो सदियों से बिना किसी गहि या तेल के अल रही है। नवरात्रि पर बड़ी संख्या में भक्त माता ज्वाला देवी के दर्शन के लिए आते हैं।
श्री महालक्ष्मी मंदिर
माता के 51 शक्तिपीठों में प्रमुख स्थान श्री महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर में स्थित है। मंदिर का निर्माण चालुक्य साम्राज्य द्वारा किया गया था। माता के लक्ष्मी स्वरुप को इस मंदिर में पूजा जाता है माता लक्ष्मी के साथ यहाँ पर भगवान विष्णु की भी प्रतिमा है। नवरात्रों में श्री महालक्ष्मी मंदिर में दर्शन का विशेष महत्त्व है।