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आखिर क्यों मनाया जाता है ईस्टर संडे ? जानें इस दिन का इतिहास और परंपरा: Easter Sunday 2023

ईस्टर वीक त्योहारों की पूरी श्रृंखला है जिसमें ईसा मसीह के जीवन त्याग और पुनरूत्थान का दिन शामिल है। ये दिन किसी बड़े जश्न से कम नहीं है और पुनरूत्थान के इसी दिन को ईस्टर संडे कहा जाता है।
07:00 AM Apr 09, 2023 IST | Renuka Goswami
आखिर क्यों मनाया जाता है ईस्टर संडे   जानें इस दिन का इतिहास और परंपरा  easter sunday 2023
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Easter Sunday 2023 : ईसा मसीह के जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन का हर पड़ाव ईसाई धर्म में त्योहार का कारण बनता है। इसी कड़ी में ईस्टर वीक त्योहारों की पूरी श्रृंखला है जिसमें ईसा मसीह के जीवन त्याग और पुनरूत्थान का दिन शामिल है। ये सप्ताह होली मंडे से शुरु होकर ईस्टर संडे तक चलता है। गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया और ईस्टर संडे के दिन भगवान यीशु का पुनरूत्थान हुआ। मान्यता है की अपने अनुयायियों और साथियों के लिए ईसा मसीह अपनी कब्र से जीवित हो उठे। इसके बाद करीब 40 दिन तक उन्होंने प्यार और सौहार्द का संदेश जन जन में फैलाया और फिर स्वर्ग की ओर लौट गए। आइए जानते हैं, क्या है ईस्टर संडे और किस तरह ये ईसाई समाज को मानवता की प्रेरणा प्रदान करता है।

Easter Sunday 2023: क्या है ईस्टर संडे

Easter Sunday 2023
Easter Sunday

बाइबल के अनुसार ईसा मसीह को गुड फ्राइडे के दिन सूली पर चढ़ा दिया गया था, उनके अनुयायियों के लिए यह बेहद दुखद और कष्टदायी अनुभव था। सभी जगह शोक और मातम की लहर दौड़ गई थी, लोगों ने अपने गुरु के साथ ही जीवन का उद्देश्य भी खो दिया था। इसके बाद ईसा मसीह ने रविवार के दिन पुनरुत्थान का निर्णय लिया, वे अपनी कब्र से जीवित उठ खड़े हुए और आम जनमानस के बीच पहुंचे। ये दिन किसी बड़े जश्न से कम नहीं है और पुनरूत्थान के इसी दिन को ईस्टर संडे कहा जाता है।

समाज को मानवता की प्रेरणा देना है उद्देश्य

Easter Sunday
Easter Sunday Significance
  • भगवान यीशु ने 40 दिन तक आम लोगों को फिर से प्रेम, सद्भावना, सद्विचार, सहकार और परोपकार की भावनाओं को बढ़ाने का संदेश दिया। ईसा मसीह ने जन जन को आपसी प्रेम और भाईचारे की प्रेरणा प्रदान की, जिसके बाद वे स्वर्ग को लौट गए।
  • ईसा मसीह का जीवन समस्त ईसाई समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है। मानव जीवन के उसूलों से लेकर व्यक्तित्व परिष्कार के नियमों तक ईसाई धर्म के लोग भगवान यीशु को ही अपनी प्रेरणा मानते हैं। ईस्टर संडे के दिन गिरजाघरों में त्योहार जैसा माहौल होता है।

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इस तरह मनाया जाता है ईस्टर संडे

Celebration of Easter
Easter Sunday Celebration
  • सप्ताह भर के शोक, शांति और प्रार्थनाओं के बाद भगवान यीशु का पुनरुत्थान जन-जन में खुशी की लहर लेकर आता है। इसी का जश्न ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है, इस दिन मिठाईयां बांटना, खुशियां मनाना और बड़े-बड़े आयोजन कराना आम है। गिरजाघरों में भगवान यीशु के स्वागत में दिव्य प्रार्थनाएं होती है।
  • ईसा मसीह ने अपने अनुयायियों को कर्म फल सिद्धांत समझाया और उन्होंने जन-जन को परोपकारी बनने का संदेश दिया। उन्होंने सिखाया कि अपने जीवन में आने वाले कष्ट और समस्याओं से डरकर कभी मानवता के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
  • व्यक्ति के कर्म ही उसे स्वर्ग या नरक की यात्रा पर ले जाते हैं, उन्होंने मानवता को भलमनसाहत के नियम बताए।

40 दिन तक चलता है व्रत और अनुष्ठान

  • पुनरुत्थान के बाद ईसा मसीह के धरती पर बिताए 40 दिन ईसाइयों के लिए व्रत और अनुष्ठान के दिन माने गए हैं। इन दिनों में लोग ईसा मसीह की प्रार्थनाएं करते हैं, सात्विक जीवन शैली का पालन करते हैं तथा व्रत का आचरण भी करते हैं।
  • सच्चाई, इमानदारी और सहकारिता की भावना का विकास ही ईसा मसीह का उद्देश्य था। गिरजाघरों में इन 40 दिनों तक बाइबल का पाठ और भगवान यीशु के संदेशों का मनन चिंतन किया जाता है।
  • ईसा मसीह से बलिदान का दुख जितना प्रगाढ़ होता है, उनके पुनरुत्थान पर उतनी ही प्रसन्नता उमड़ती है। एक दूसरे को गिफ्ट बांटना, खाने की दावतें आयोजित करना और एक साथ त्यौहार मनाना ईस्टर संडे का दस्तूर है।
  • हर जगह ईस्टर संडे मनाने के अपने अलग तरीके हैं, लेकिन उसके पीछे की भावना एक है। ईस्टर संडे खुशियों का त्योहार है और ईसा मसीह के संदेशों को जीवन में उतारकर ही सच्ची खुशी की संकल्पना की
  • जा सकती है।
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