कम खाएं लेकिन अच्छा खाएं: Eat Less But Eat Well
Eat Less But Eat Well: आमतौर पर हम वही खाना चाहते हैं जिसमें हमें स्वाद महसूस होता है, जबकि खाना वही चाहिए जो हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। यदि आप अपने भोजन को लेकर किसी प्रकार के भ्रम में हैं तो यह लेख आपकी इस समस्या को दूर करने में मदद करेगा।
ऑर्गेनिक फूड के फायदे
इन दिनों ऑर्गेनिक फूड का चलन काफी बढ़ गया है। यह महंगा जरूर होता है लेकिन इसके कई हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं। बाकी उत्पादों से यह थोड़े बेहतर होते हैं क्योंकि इनमें केमिकल, ब्लीच और सल्फर का इस्तेमाल नहीं होता है।

आज के समय में हमारे पास खाने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। इतना ही नहीं, इनसे जुड़ी कई सारी जानकारी भी है, जो अधिकतर परस्पर विरोधी है। यहां तक कि खाने के संबंध में अक्सर दोस्त और परिवार वाले भी सलाह देते हैं। जिसके कारण व्यक्ति खुद को एक भ्रम की स्थिति में पाता है। परिणामस्वरूप सही आहार का चयन करना उसके लिए मुश्किल हो जाता है
तो आइए जानते हैं आहार संबंधी मिथकों के बारे में-
रागी और जौ
जौ और रागी दोनों पोषक तत्वों से भरपूर अनाज हैं। यह अमीनो एसिड, कैल्शियम और आयरन से भरपूर है। साथ ही, इसमें उच्च मात्रा में सेल्युलोज (एक प्रकार का आहार फाइबर) होता है, जो पाचन को अच्छी तरह से ठीक रखता है। साथ ही साथ, ब्लड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को नियंत्रण में रखता है। दोनों नियमित रूप से खाए जाने वाले गेहूं और चावल जैसे अन्य अनाजों से बेहतर हैं, लेकिन दोनों में से केवल रागी ग्लूटेन मुक्त है, इसलिए जौ उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प नहीं है, जो ग्लूटेन एलर्जी से पीड़ित हैं।
मूसली और कॉर्न फ्लेक्स
पैकेज्ड मूसली आमतौर पर ओट्स, कॉर्नफ्लेक्स, ड्राइड फ्रूट्स और सीड्स का एक मिश्रण होता है। यह निश्चित रूप से प्लेन कॉर्न फ्लेक्स की तुलना में बेहतर पोषण प्रदान करता है क्योंकि इसमें मौजूद सभी पोषक तत्व इसकी गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। जबकि इन दोनों में कैलोरी ज्यादातर एकसमान ही रहती है। वहीं, प्रोटीन, विटामिन, फाइबर और मिनरल की मात्रा इसमें ज्यादातर पाई जाती है। हालांकि, आपको एक चीज को लेकर अतिरिक्त सावधान रहना चाहिए। दरअसल, कुछ पैकेज्ड मूसली में शुगर की उच्च मात्रा होती है, इसलिए आप अनस्वीटन मूसली का चयन करें।
ब्राउन शुगर और नॉर्मल शुगर
जबकि ब्राउन ब्रेड (होल व्हीट) व्हाइट ब्रेड (रिफाइंड) की तुलना में निश्चित रूप से कहीं अधिक हेल्दी है। लेकिन दुर्भाग्य से चीनी के मामले में इस तरह के समान लाभ नहीं मिलते हैं। ब्राउन शुगर आमतौर पर बाजार में उपलब्ध सफेद चीनी के साथ एक तरह के सिरप को मिलाकर तैयार किया जाता है। यह रिफाइनिंग प्रक्रिया के दौरान कच्ची चीनी से प्राप्त गाढ़ा व गहरे भूरे रंग का सिरप है। इसमें केवल बेहद ही कम मात्रा में कुछ मिनरल्स जैसे- कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन और मैग्नीशियम होता है। लेकिन इन मिनरल्स की मात्रा इतनी कम होती है कि इसके हेल्थ बेनिफिट्स नोटिस नहीं होते हैं। कच्ची चीनी, जो कुछ भूरे रंग की दिखने वाली हल्की गांठदार होती है। यह थोड़ी बेहतर होती है क्योंकि यह कम-से-कम केमिकल ब्लीचिंग और सल्फराइजिंग आदि से नहीं गुजरती है। हालांकि, यह इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं होती है। इसलिए जब शुगर की बात आती है तो इसके लिए आप एक ही नियम का पालन करें कि इसे जितना हो सके कम रखें। फिर चाहे इसका रंग कैसा भी हो।
ग्रीन और ब्लैक ऑलिव
वे दोनों एक ही पेड़ से हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि कच्चे जैतून हरे होते हैं, जबकि पूरी तरह से पके जैतून काले होते हैं। इन्हें पेड़ पर ही पकने दिया जाता है। पोषण और कैलोरी के लिहाज से वे दोनों समान हैं। इनमें अंतर केवल सोडियम कंटेंट का होता है। हरे जैतून में काले जैतून की तुलना में लगभग दोगुना सोडियम होता है। इसलिए, अगर आप अपना सोडियम कम मात्रा में लेना चाहते हैं तो ऐसे में आपको काले ऑलिव्स को चुनना चाहिए।
सामान्य दही और प्रोबायोटिक दही
यदि आप दही में पाचन और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले तत्व ढूंढ रहे हैं तो यकीनन प्रोबायोटिक्स दही का सेवन करना अच्छा विचार है। प्रोबायोटिक दही और सामान्य दही के बीच का अंतर यह है कि प्रोबायोटिक दही में सामान्य दही के दो बैक्टीरियल स्ट्रेन के साथ-साथ बैक्टीरिया का थर्ड स्ट्रेन (एल एसिडोफिलस) होता है, जो आपको प्रोबायोटिक लाभ प्रदान करता है। जबकि सामान्य दही में दो स्ट्रेन (लैक्टोबैसिलस बल्गारिकस और स्ट्रेप्टोकोकस थर्मोफी-लस) ही पाए जाते हैं।