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एक ईट से शुरू होकर-गृहलक्ष्मी की कविता

01:00 PM Mar 28, 2024 IST | Sapna Jha
एक ईट से शुरू होकर गृहलक्ष्मी की कविता
Ek Eit se Shuru Hokar
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Hindi Poem: एक घर तक की कहानी नारी है|
जहाँ दरवाजे से समृद्धि प्रवेश करती है|
खिड़कियों से प्रेम और,
रोशनदानो से कष्टों की हवाएँ
वातायन करती रहती है|
दीवारों पर घर के प्राणियों के स्वप्न,
किसी खुबसूरत पेंटिंग की तरह,
वो अपने हाथों से सजाती है|
एक चाय की प्याली से शुरू होकर,
एक रोटी तक का हुनर स्त्री है|
जहाँ हर कोर में फिक्र होती है|
प्यार उसकी मंद मुस्कान में खिलता है|
नारी घर के आंगन से शुरू होकर,
दुनिया के आखिरी छोर तक की यात्रा है|
जहाँ अनुभवों के रास्ते हैं|
सफलताओं की मंजिलें है|
घर की बरकत उसके साथ चलती है|
जहाँ वो खाली हाथ कभी नहीं लौटती,
सुकून, शांति और स्थिरता लेकर,
वो संवार लेती है, अपने घर का हर कोना,

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