एक नारी का रिश्तों से समझौता-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Ek Naari Story: बात कुछ साल पहले की है , कविता नाम की लड़की जो बेहद आकर्षक और हंसमुख मिज़ाज की थी, मेरे बगल के स्कूल में पढ़ने आती थी l अच्छी खासी मेरी पहचान हो गई थी उससे जब भी उसको मौका मिलता कुछ ना कुछ पूछने चली आती l उसके मां, बाप में तलाक हो चुका था,,,, मां ने भी दूसरी शादी कर ली थी और बाप ने भी l जब भी मौका मिलता चली आती थी मैं भी कभी-कभी उसकी मदद कर देती थी, फिर अचानक उसका आना बंद हो गया,कई महीने हो गए स्कूल भी आई नहीं, और मुझे लगा शायद वो बीमार होगी, मैं भी अपने दिनचर्या में व्यसत हो गई।
कुछ महीने बाद अचानक अपने सामने देख उसे मैं सिहर सी गई । देखती हूं कि वो पेट से है करीब चार महीने का गर्भ होगा l पहले मुझे बहुत गुस्सा आया फिर मैं उससे पूछी क्या हुआ ये सब कैसे उसने बताया कि किसी से प्रेम करती थी उसने शादी का वादा करके अब पहचानने से इनकार कर दिया है,प्लीज आप मेरी मदद किजिए।
मैं भी क्या कर सकती थी उस लड़के से मिली उसने साफ इंकार कर दिया कि मैं नहीं जानता l वो बहुत रोयी तड़पी लेकिन उस इंसान का दिल नहीं पिघला ।
अंत मे उससे तीन गुना उम्र में बड़ा जिसकी बीवी नही थी उसने उसके साथ विवाह के लिए राजी हुआ l वो उस ऐसे इंसान के बच्चे को पाल रही और एक अपने पति के बच्चे को। चेहरे पे जबरदस्ती की खुशी लिए जिंदगी काट तो रही थी पर शायद वो एकाकीपन की आग में आज जल रही थी ।
एक अधेड़ उम्र के इंसान के साथ जिसने उसे समाज में इज्जत दी l घर दिया वो सब कुछ दिया जो उसकी जरूरतों की पूर्ति हो सके l
पर क्या वो अंतर्मन से खुश थी, शायद नहीं..
वो समझौता कर चुकी थी हर रिश्ते से,माँ और पत्नी बनकर
जो समाज में उसे मान और सम्मान दिया ।
यह भी देखे-आखिरी पत्र-गृहलक्ष्मी की कहानियां