एक नई सुबह - गृहलक्ष्मी कहानियां
Hindi Story: चाँद बादलों के संग लुका -छिपी खेल रहा है ,पर्दो से छन कर आ रही चाँद की शीतल रोशनी सागर के मन में सुलग रही आग को बुझा नहीं पा रही, सागर ठहरे हुए पानी की तरह शांत और स्थिर नजर आ रहा है, लेकिन उस के मन में अनगिनत विचारों का ज्वार भाँटा उफान पर है।
सुधा खाना बना ,डॉयनिंग पर रख, पानी से भरा जग सागर के बगल में रखे स्टूल पर रखती हुई बोली –
” भैया जी मैं घर जा रही हूँ,आप को कुछ चाहिए तो नही ?”
सुधा के सवाल से सागर अपने चिंतन पर विराम लगाता हुए बोला –
“नहीं…. नहीं… मुझे कुछ नहीं चाहिए,तुम जाओ,बस जाती हुई दरवाज़ा लगाती जाना। ”जी भैया जी”- कहती हुई सुधा सागर के बिना कहे हॉल में चल रहे पंखे को धीमा कर टीवी पर न्यूज चैनल लगा एक पतली सी शॉल और टीवी का रिमोट सागर के समीप रख गई ।
पिछले छ: महीनों से सुधा का यही रूटीन चल रहा है क्योंकि मृदुला ऑफिस से घर लौटते हुए अक्सर लेट हो जाती।
सुधा का रोज इस प्रकार सागर के लिए काम करना ,सागर को शूल की तरह चुभते हुए उसे अब अपने दोनों पाँव ना होने का एहसास दिलाता है,लेकिन सागर बगैर कुछ कहे शांत चित्त से सुधा को सारे काम करने देता, क्योंकि उसे मालूम है सुधा घर के सारे काम मृदुला के कहे अनुसार करती है ।मृदुला ने सुधा को विशेष हिदायत दे रखी है मृदुला की अनुपस्थिति में सागर की सारी जरूरतों का पूरा-पूरा ख्याल रखना उसकी जिम्मेदारी है। जिसे सुधा पूरी निष्ठा से निभाती है।
सुधा के जाते ही सागर,मृदुला के इन्तजार में न्यूज चैनल बदलता रहा, तभी मृदुला अपने कांधे पर बैग लटकाए दोनों हाथों में सब्जियां, कुछ फल और सागर की दवाईयाँ का पैकेट लिए हॉल के अन्दर आ सभी सामानों को रखती हुई सागर से पूछने लगी –
“सुधा चली गई क्या? तुम्हारा दिन कैसा रहा….. तुम ने दवाई ली”।
मृदुला के किसी भी प्रश्नों के उत्तर दिये बगैर सागर न्यूज चैनल बदलता रहा ।सागर से कोई जवाब न पा मृदुला, सागर के पीछे जा खड़ी हुई और उसके कांधे पर अपना हाथ रखती हुए बोली –
” क्या हुआ,तुम ठीक तो हो”? सागर अपने कांधे से मृदुला का हाथ हटाते हुए रूखे स्वर में कहने लगा -“हाँ ठीक हूँ । जिन्दा हूँ अभी मरा नही”।
सागर की बातें सुन ,आँखों में पानी लिए मृदुला उसके सामने आ घुटनों के बल बैठ उसकी हथेलियों को अपने हाथों में लेती हुई कहने लगी –
” तुम एेसा क्यों कह रहे हो,सब ठीक हो जाएगा रात चाहे कितनी ही अंधेरी या काली क्यों ना हो हर रात की सुबह जरूर होती है ।”
एेसा कहते वक्त मृदुला के गालो से लुढ़कता आंसू उसका दर्द बयाँ करने लगा। सागर मृदुला की पीड़ा को जान विचलित हो उसके आंसू पोंछते हुए दोहराने लगा -” मुझे माफ़ कर दो मृदु….. मुझे माफ़ कर दो….. मैं तुम्हें दु:ख नहीं देना चाहता ,पर क्या करूँ मेरी वजह से तुम्हारी जिन्दगी तबाह हो गई,तुम क्या-क्या सपने संजोए मेरे संग चली थी और मैं तुम्हें क्या दे रहा हूँ “।
मृदुला, सागर को बीच में ही रोकती हुई उसके गोद में अपना सर रखती हुई बोली -” तुम ने मुझे सब कुछ दिया है ।तुम्हारा प्यार मेरे जीवन का बहुमूल्य उपहार है जो मुझे तुम से मिला।तुम्हारा प्यार मुझे मजबूत बनाता है और हर हालात से लड़ने की ताकत देता है। तुम देखाना एक दिन सब ठीक हो जाएगा”।
मृदुला के ऐसा कहते ही सागर भावुक हो मृदुला का माथा चूमते हुए निराशा भरे शब्दों में बोला- ” तुम झूठे ख़्वाब देखना बंद करो मृदु।अब कुछ ठीक नहीं हो सकता ,पिछले एक साल से मैं अपाहिज, इस व्हील चेयर पर हूँ और अब मैं कभी अपने पैरों पर खड़ा नही हो पाऊँगा, कभी वापस अपने काम पर नहीं लौट पाऊँगा और तुम इसी तरह सारी उम्र मेरे लिए जीवन की चक्की में अपने आप को पीसती रहोगी।मृदु तुम मुझे मेरे हाल में छोड़ चली क्यों नहीं जाती” ?
एेसा कहते हुए सागर ने तेजी से अपना व्हील चेयर घुमा,मृदुला की ओर पीठ कर लिया और उसकी आँखों में बर्फ की तरह जमा पानी फूट पड़ा ।
मृदुला व्हील चेयर को अपनी ओर घुमाती हुई गुस्से से सागर की आँखों में अपनी नजरें गड़ाती हुई बोली-
“तुम मुझे जबाव दो यदि ये रोड एक्सीडेंट तुम्हारे साथ ना हो के मेरे साथ हुआ होता और मैं अपने दोनों पाँव गँवा बैठती तो क्या तुम मुझे मेरे हाल में छोड़ जाते”?
मृदुला के इस सवाल से पूरे कमरे में सन्नाटा पसर गया।दोनों बिना कुछ कहे अपने नयनों से बहते पानी को रोके बगैर एक दुजे को थामे देखते रहे।
थोड़े अन्तराल के बाद मृदुला ने कहा – “सागर इस दुनिया में ना जाने एेसे कितने लोग हैं जिनके पैर नहीं होते,तो क्या उन सब की जिन्दगी रूक जाती है?क्या वे सब जीना छोड़ देते है ?और क्या वे अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ते,तुम क्यों जिन्दगी की जंग बिना लड़े हार जाना चाहते हो।
मृदला को बीच में ही टोकते हुए सागर बोला -” लेकिन मृदु मैं जीवन के उस मोड़ पर खड़ा हूँ जहाँ से मुझे समझ ही नही आ रहा मुझे जाना किस ओर है”।
“तुम्हारे हर सवाल का जवाब तुम्हारे भीतर है सागर…. तुम्हारे भीतर, इसे बाहर तलाश मत करो, बाहर तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। तुम ने केवल अपने पैर खोए हैं परन्तु तुम्हारी काबिलियत,तुम्हारा हुनर अब भी तुम्हारे पास है। तुम कल भी एक अच्छे वित्तीय सलाहकार थे और आज भी हो।तुम्हारे क्लाइंट (ग्राहक) आज भी तुम्हारे अपने ऑफिस में आने को तैयार बैठे हैं। दरवाजा तो तुम ने बंद कर रखा है।एेसा कहते हुए मृदुला निढाल सी सोफे पर बैठ अपना चेहरा छुपा रोने लगी। सागर डबडबाई आँखों में मृदुला को देखता रहा।
मृदुला थोड़ी देर बाद अपने आप को सामान्य करती हुई सागर से कुछ कहे बगैर अपने चेहरे पर पानी के छीटे मार ,दो प्लेट में खाना लगा डायनिंग टेबल पर जा बैठी ।सागर भीे बगैर कुछ कहे व्हील चेयर के सहारे डायनिंग पर आ अपना खाना खत्म कर बेड रूम में चला गया ।
मृदुला भी बिस्तर पर लेटी हुई काफी देर तक सुबकती हुई सो गई गई ,लेकिन सागर की आँखों से नींद कोसो दूर थी ,वह सारी रात जागता रहा ।सुबह सुबह किसी नतीजे पर पहुँचने के बाद उसकी आंख लगी और जब वह जागा तब तक मृदुला ऑफिस के लिए निकल चुकी थी। सुधा घर के कामो में लगी थी ।
आज सुधा को सागर के व्यवहार में परिवर्तन नजर आ रहा है , सागर पहले की तरह ऊर्जा से लबरेज दिखाई दे रहा है ।सारा दिन सागर अपने लेपटाप पर कुछ करता रहा। सुधा अपने कामों में व्यस्त रही ।पूरा दिन गुजर गया और सुधा के जाने का वक्त हो चला । जाने से पहले सुधा जैसे ही टीवी ऑन करने लगी सागर सुधा को रोकते हुए बोला –
” आज टीवी नही, मेरे ऑफिस का लाईट ऑन कर दो मेरे क्लाइंट आने वाले है ।उनके आने पर तुम कॉफ़ी ले आना”।
सुधा “जी भैया “कहती हुई ऑफिस का लाईट जला किचन की ओर चली गई ।
ऑफिस से लौट सागर को हॉल में ना पा मृदुला घबरा गई तभी सुधा ने इशारे से बताया कि सागर ऑफिस में है। मृदुला भाग कर ऑफिस की अोर बढ़ी ।सागर को काम करता देख मृदुला दरवाजे पर खड़ी हो शरारती अंदाज़ मे बोली – ” क्या मैं अन्दर आ सकती हूं……।मृदुला को मसखरी करता देख सागर मुस्कुराने लगा। सागर को मुस्कुराता देख मृदुला अपने आँखों के कोर में आए पानी को दुप्पटे से पोछती हुई सोचने लगी आज की रात एक नई सुबह ले कर आई है ।