इन 6 लक्षणों से जानें कि कहीं आप एलीफेंट पेरेंट्स तो नहीं: Elephant Parents
Elephant Parents: आजकल के माता-पिता अपने बच्चों की हर फीलिंग और एक्टिविटी को लेकर बहुत सतर्क हैं। दुनिया के हर माता-पिता अपने बच्चे के लिए बेहतर सोचते हैं। लेकिन, अब सख्त पेरेंटिंग का जमाना नहीं है। आज के समय में पेरेंट्स अपने बच्चों की भावनाओं को समझते हुए उनका पूरा ख्याल रखते हैं। ऐसे पेरेंट्स को ‘एलीफैंट पैरेंट्स’ कहा जाता है, जो अपने बच्चे के लिए हमेशा मदद के लिए तत्पर रहते हैं। एक उम्र तक पेरेंट्स का बच्चों के लिए सहायक होना ठीक है। लेकिन, उम्र के उस पड़ाव पर बच्चे की मदद के लिए हमेशा मौजूद रहना, जहां बच्चे को खुद सीखने की जरुरत है, वह बच्चे माता-पिता पर निर्भर बन जाते हैं। ऐसे में बच्चे छोटी से छोटी मदद के लिए पेरेंट्स से उम्मीद करते हैं। इस आर्टीकल में हम उन छह लक्षणों का जिक्र कर रहे हैं जिससे कि आपको पता चलेगा कि कहीं आप भी एलिफेंट पेरेंट तो नहीं हैं।
Elephant Parents:बच्चे के लिए हमेशा अवेलबेल रहना
एलीफैंट पैरेंट्स अपने बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए जाने जाते हैं। अगर उनका बच्चा देर रात को उठकर रोता है तो वह बिना परेशान हुए उसे चुप कराने की पूरी कोशिश करते हैं। उनके अंदर अपने बच्चे को सपोर्ट करने की भावना इतनी ज्यादा होती है कि वह इस बात को दरकिनार कर देते हैं कि उनकी नींद डिस्टर्ब हो रही है। हर वक्त वह अपने बच्चों के लिए अवेलबेल रहते हैं।
अगर बच्चा गिर जाए तो
बच्चे तो बच्चे हैं, वह मैदान में खलते हुए गिरते हैं और फिर संभल जाते हैं। कई बार उन्हें चोट भी लगती है। जाहिर है जब बच्चा गिरता है या उसे चोट लगती है तो मां-बाप को बुरा लगता है। लेकिन एलीफैंट पैरेंट्स बिना से समझे की ऐसी स्थिति में बच्चे को उनकी जरुरत है भी या नहीं। वो बच्चे के गिरते ही उसे गले लगा लेते हैं। इतना ही नहीं वे आश्वस्त नहीं होते कि बच्चे को लगी है या नहीं, वो उसे दुलारते रहते हैं।
मदद करना
कई बारे खेल-खेल में पेरेंट्स बच्चे के साथ बच्चे बन जाते हैं। लेकिन, तीन साल के बाद बच्चा इंडिपेंडेंट होने लगता है। अक्सर पेरेंट्स बच्चों को काम करने के लिए मोटिवेट करते हैं। लेकिन एलीफैंट पैरेंट्स के साथ ऐसा नहीं होता है। अगर बच्चा खुद से जैकेट पहन भी रहा है तो वह जिप लगाने के लिए अवेलेबल होंगे। वो नहीं चाहते कि बच्चा खुद से सैंडल या जूते पहनें। वह चाहते हैं कि उनका बच्चा ज्यादा से ज्यादा अपने कामों को करने में उनकी मदद ले। ऐसा वे प्यार में करते है। ऐसा नहीं है कि वे अपने बच्चे का डवलपमेंट नहीं चाहते। लेकिन, हां जरूरत नहीं पड़ने पर भी वे मदद की पेशकश के लिए तैयार रहते हैं।
रिजल्ट और फीलिंग
एलीफैंट पैरेंट्स के लिए बच्चों को रिजल्ट का डर जरा भी नहीं सताता। वे इस बात को लेकर कंसर्न रहते हैं कि कहीं उनके बच्चे को अपने मार्क्स की वजह से स्ट्रस न हो जाए। उनके लिए एकेडमिक्स में मार्क्स आना जरुर नहीं है। अगर बच्चा खराब भी स्कोर करता है तो वह इस बात को जानना चाहते हैं कि बच्चा कैसा फील कर रहा है। वो कहीं इमोशनली हर्ट तो नहीं है। वे बच्चे को मोटिवेट और उसे सपोर्ट करते हैं।
बच्चे को खुद के साथ सुलाना
जाहिर है कि एलीफैंट पैरेंट्स अपने बच्चे को बेबी बनाकर रखना पसंद करते हैं तो वह अपने 5 साल के बच्चे को बेड पर अपने साथ लेकर सोने में बहुत सहज महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चा बहुत छोटा है। कहीं रात में वो कोई सपना देखकर डर न जाए। अगर आपका बच्चा स्कूल गोइंग हो चुका है और आप उसे अलग कमरे में नहीं अपने साथ सुलाना चाहते हैं तो आप एक एलीफैंट पैरेंट्स हैं।
बच्चों के लिए सख्त नियम नहीं
वैसे तो वो दौर ही अब बीत चुका है जब लोग सख्त परवरिश की जाती थी। लेकिन, एलीफैंट पैरेंट्स की पेरेटिंग को लेकर कॉन्सेप्ट थोड़े अलग हैं। उनके पास अपने बच्चों की परवरिश के लिए कोई रुल नहीं होते। अगर वह होते भी हैं तो अक्सर टूट ही जाते हैं। उनके लिए उनके बच्चों की खुशी से अहम कुछ भी नहीं होता। अगर 7 साल का बच्चा अपना रुम साफ नहीं कर रहा तो आपको यह चीज बुरी नहीं लगेगी, बल्कि आप यह खुद को ये समझाने की कोशिश करेंगे कि वो जरूर थका हुआ होगा, बच्चा ही तो है मन नहीं किया होगा। इस तरह के जवाब वो अपने मन में पहले ही तैयार कर चुके होते हैं।
तो क्या गलत है एलीफैंट पेरेंटिंग?
आप इस बात को जान लें कि कोई भी पेरेंटिंग कभी भी गलत नहीं होती। हर चीज की अति बुरी होती है। अगर आप एक एलीफैंट पैरेंट्स हैं तो इन बातों को स्वीकार करें और उसके साथ बैलेंस बनाने की कोशिश करें। बच्चे की इमोशनल हेल्थ मैटर करती है लेकिन अपने दिमाग को अलर्ट मोड पर रखें। कहीं ऐसा न हो कि वो आपकी इस फितरत को भांपकर आपको इमोशनल फूल बनाने लगे। क्योंकि आप जिंदगी के हर मोढ़ पर बच्चों के साथ खड़े नहीं हो सकते।