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तलवों में छिपा भविष्य: Foot Reading

01:40 PM Nov 04, 2022 IST | grehlakshmi hindi
तलवों में छिपा भविष्य  foot reading
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Foot Reading: क्या आप जानते हैं कि पांव के तलवों में भी व्यक्ति का भविष्य छुपा हुआ होता है? बस उन्हें पढ़ने और समझने वाला चाहिए। पांव-तल में पाए जाने वाले तिल, त्रिकोण, चतुर्भज और क्रॉस मनुष्य की दशा-दुर्दशा को दर्शाते हैं। शुभ-अशुभ का ज्ञान कराते हैं।

  • व्यक्ति के पांव के अंगूठे पर बड़ा काला तिल होता है तो व्यक्ति को कफ की शिकायत रहती है। दूसरे अशुभ चिन्ह होते हैं तो व्यक्ति को टी.वी. हो सकती है। यदि यहां पर त्रिकोण पर चतुष्कोण हो तो व्यक्ति का बचाव हो जाता है। यहां पर क्रॉस का चिन्ह होने पर व्यक्ति को किसी स्नेही व्यक्ति का वियोग सहना पड़ता है।
  • पांव-तल के मध्य में सर्प की आकृति के समान बनी कुटिल रेखा ‘सर्प रेखाÓ कहलाती है। यह कई बार अंगूठे में भी कुंडली मारकर बैठे हुए सर्प की तरह दिखाई देती है। ऐसे लोग कपटी और जहरीले होते हैं। दूसरों की उन्नति और प्रगति से इनको ईर्ष्या होती है। ऐसे व्यक्ति दोगले होते हैं, इनसे बचना चाहिए।
  • व्यक्ति के पांव तल में कहीं भी स्वास्तिक की आकृति दिखाई पड़ जाए तो उसे अत्यन्त शुभ मानें। ऐसा व्यक्ति परम धार्मिक होता है तथा सदा प्रसन्न रहता है। वह आर्थिक और मानसिक दृष्टिï से भी पूर्णत: संपन्न और समृद्ध होता है।
  • पांव तल में पांव की मध्यमा उंगली की ओर न जाकर अनामिका उंगली की ओर जो रेखा चली जाए उसे ‘आलसी रेखा’ कहते हैं। ऐसी रेखा वाला व्यक्ति धनवान, धर्मात्मा और दानी तो होता है परंतु आलसी होता है तथा हर काम को कल पर टाल देने की कोशिश करता है जिससे उसका हर कार्य देर से होता है। तथा समाज में उसकी प्रतिष्ठïा कम होती है।
  • पद तल में एड़ी के नीचे जो रेखा शंकु की छोटी सी दिखाई पड़े उसे शंकु रेखा कहा गया है। यह रेखा जिस व्यक्ति के पांव में होती है वह अपनी पूर्व प्रवृत्तियों से विच्छेद कर लेता है यानी बाल्यावस्था एवं युवावस्था के प्रारंभ में उसकी जिन कार्यों में प्रवृत्ति होती है, आयु के बढ़ जाने पर वह उन कार्यों को छोड़कर उनसे भिन्न कार्यों को करने लग जाता है। परिवर्तनशीलता इस प्रकार के व्यक्ति की मुख्य विशेषता होती है।
Foot Reading
The line which is visible below the heel in the foot plane is called the cone line
  • जिन स्त्रियों के पग-तल में पद्ïम चिन्ह होतेे हैं वे स्त्रियां अखण्ड सौभाग्यवती होती हैं। जिन स्त्रियों के  पैरों में पदमों के निशान होते हैं वह कुलीन स्त्रियां महारानी बनती हैं। जिन स्त्रियों के पांव रक्तिम आभा से युक्त छेदरहित और स्निगध होते हैं तथा पैर की सारी उंगलियों पर यवों पर निशान अंकित होते हैं वे सुंदर पुत्रों से युक्त सधवा होती हैं।
  • जिन पुरुषों के हाथ व पैर कमल के फूल के समान होते हैं तथा पदतल या पाणितल में हल, मूसल, गदा, तलवार, शंख, चक्र, हाथी, मकर, कमल और रथ के समान रेखा होती है उन पुरुषों का जन्म ‘भद्रयोगÓ में होता है। ऐसे व्यक्तियों की जन्म कुंडली में बुध स्वगृह या उच्च का होकर केन्द्र में स्थित होता है। जिस व्यक्ति के पगतल में त्रिशूल रेखा होती है, वह किसी जनपद या शहर का प्रमुख होता है तथा इष्टï बली होता है। शिव तंत्र के अनुसार त्रिशूल जिसके पगतल में मध्य भाग में होता है वह व्यक्ति यज्ञ, धर्म व दान करने वाला तथा मनुष्यों के लिए पूजनीय होता है।
  • किसी व्यक्ति के पगतल में मध्य में नीचे की ओर झुकती हुई कोई रेखा अगर द्विशाखी होती है तो वह कृतहन रेखा होती है। ऐसा व्यक्ति झूठा और विश्वासघाती होता है। अंगुष्ठï या उंगली के पैर के संधि पर एक यव का बना चिन्ह बहुत ही शुभकारी होता है। यह दरिद्रता नाशक चिन्ह है। जिस प्राणी के अंगूठे में यव का चिन्ह होता है, वह धनी होता है और अंगूठे की जड़ में यव का चिन्ह होता है तो वह पुत्रवान एवं ऐश्वर्यवान होता है।
  • किसी व्यक्ति के अंगूठे के अग्रभाग पर चक्र का निशान होता है तो उस व्यक्ति को अपने पिता या दादा द्वारा संचित धन की प्राप्ति होती है। दाहिने पांव में चक्र का निशान होता है तो विशेष फलकारी होता है। बायें पांव में इसका प्रभाव आधा होता है। दोनों पांव के अंगूठों पर चक्र होता है तो व्यक्ति को निश्चित रूप से पैतृक दौलत मिलती है।
  • किसी के पांव के अंगूठे के अग्रभाग पर शंख का चिन्ह होता है तो इसका विपरीत फल मिलता है। उसे पैतृक संपत्ति नहीं मिलती है। अगर मिलती भी है तो उसमें बाधा कलह व झंझट उत्पन्न होता है। उसका धन का उचित लाभ नहीं मिलता है। किसी व्यक्ति के अंगूठे के अग्रभाग पर सीप का निशान होता है तो उसे मध्यम लाभ मिलता है। ऐसा व्यक्ति गुणवान होता है। वह पिता या दादा द्वारा संचित धन की परवाह नहीं करता है। अपने परिश्रम पर व कमाई पर ही विश्वास करता है।
  • व्यक्ति के पांव की तर्जनी उंगली के अग्रभाग पर चक्र होता है तो उसको मित्रों द्वारा धन लाभ होता है। यदि शंख का निशान होता है तो मित्रों से घारेवा, मित्र के लिए धन व्यय व हानि होती है। सीप के चिन्ह से व्यक्ति प्रखर वक्ता होता है। यदि पांव की मध्यमा उंगली के अग्रभाग पर चक्र का निशान होता है तो देवकृपा से धन-लाभ होता है। इस उंगली के अग्रभाग पर चक्र का निशान होता है तो देवकृपा से धन-लाभ होता है। इस उंगली के अग्रभाग पर शंख हो तो देव संबंध से धन हानि होता है। यदि सीप का चिन्ह होता है तो प्रयत्न करने पर लाभ मिलता है।
  • अनामिका के अग्रभाग पर चक्र होता है तो समाज या जनता से धन लाभ मिलता है। अनामिका के अग्रभाग पर शंख का निशान होता है तो लोगों द्वारा धन-हानि, जनकार्यों में धन खर्च करने पर भी अपयश मिलता है। इस उंगली के अग्रभाग पर सीप का निशान होता है तो व्यक्ति को मिला-जुला लाभ मिलता है। व्यक्ति के पांव की कनिष्ठïा उंगली के अग्रभाग पर चक्र होता है तो व्यापार में लाभ होता है। इस उंगली के अग्रभाग पर शंख होता है तो व्यक्ति को व्यापार में हानि होती है। इस उंगली के अग्रभाग पर सीप होने पर निर्माण कार्य व एजेंसी कार्य दोनों के माध्यम से पैसा मिलता है।
  • व्यक्ति के केवल अंगूठे पर ही एक चक्र होता है तो वह दूसरों पर शासन करता है। अगर अंगूठे व तर्जनी पर दो चक्र हों तो व्यक्ति महाधनी होता है। यदि अंगूठे व मध्यमा पर दो चक्र हों तो व्यक्ति करोड़पति होता है। अंगूठे और अनामिका उंगली पर दो चक्र हों तो व्यक्ति को बहुत ही सुंदर पत्नी मिलती है। अंगूठे व कनिष्ठिïका को मिलाकर कुल दो चक्र हों तो व्यक्ति पराक्रमी किन्तु हठी होता है। यदि तर्जनी व मध्यमा को मिलाकर कुल दो चक्र हों तो व्यक्ति सुन्दर स्त्री व पुत्रों वाला होता है। तर्जनी व अनामिका पर चक्र हों तो व्यक्ति हठी व घमंडी होता है। तर्जनी व कनिष्ठिïका पर चक्र हों तो व्यक्ति कीर्तिवान व यशस्वी होता है।
  • केवल तर्जनी पर ही चक्र होता है तो व्यक्ति सुंदर योग की रचना करता है। केवल मध्यमा पर चक्र हो तो इसे अशुभ मानिए। अनामिका पर चक्र होता है तो व्यक्ति सुपुत्रवान होता है। अगर कनिष्ठïका पर चक्र होता है तो व्यक्ति सरकारी कर्मचारी होता है। मध्यमा व कनिष्ठिïका पर चक्र होता है तो व्यक्ति पराक्रमी लेकिन विलासी होता है। अगर पांचों यानि दसों पर चक्र होते हैं तो व्यक्ति चक्रवर्ती सम्राट होता है। उसके पराक्रम व शौर्य का कोई उल्लंघन नहीं करता। अगर दसों उंगलियों पर शंख होता है तो व्यक्ति साधू प्रकृति का, सज्जन व सहृदय होता है।
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