ये तो दामाद जी के शर्ट में थे—हाय मैं शर्म से लाल हो गई
Hindi Kahani: बात उस समय की है जब लड़कियाँ मायके में अपने पति से खुले आम नहीं मिला करतीं थी। मायके वालों से लुक छिप कर ही पति से मिलना हो पाता था।
मेरी नई-नई शादी हुई थी और मैं पहली बार मायके अकेले आई थी। अगले ही दिन मेरे नए नवेले दूल्हे राजा भी मेरे पीछे-पीछे मायके आ पहुंचे।
भरे पूरे संयुक्त परिवार से मिलते मिलाते सुबह से शाम हो गई लेकिन उन्हे मेरी शक्ल देखनी भी नसीब ना हुई। हारकर उन्होंने मेरे पाँच वर्षीय भतीजे को चुपके से अपने पास बुलाया और उसे एक चॉकलेट की रिश्वत देते हुए समझाया -
सोनू बेटा, जाकर अपनी बुआ के कान में धीरे से कहना कि फूफाजी के सिर में दर्द है। वे ऊपर वाले कमरे में लेटे हैं। उन्हे दवाई दे दो।
ऊपर वाला कमरा एक अकेला कमरा था जो सबसे अलग थलग छत पर बना था।
मैं श्री मान जी की मंशा समझती थी। उनके भोले से चेहरे पर छाई बेचैनी पर अब मुझे भी प्यार आ गया और मैं किसी तरह सबकी नजर बचाकर उस कमरे में जा पहुंची। मेरे दूल्हे राजा वहाँ हर आहट पर कान लगाए, अकेले बैठे इंतजार की घड़ियाँ गिन रहे थे। मुझे देखते ही उनका रोमांस उफन पड़ा और वे बोले-
कहाँ हो भई, सुबह से आँखें तरस गईं तुम्हें देखने को। इतनी दूर से, घर में सच झूठ बोलकर क्या मैं ससुर और सालों से मिलने आया हूँ?
कहते हुए उन्होंने मुझे बाँहों में भर लिया। मैंने भी अपना सिर उनके सीने पर रख दिया। उनके होंठ मेरी ओर बढ़े ही थे कि नीचे से अम्मा की आवाज आई-
सावी, कहाँ है बेटा? - मैं उनकी बाँहों से छूटकर तुरंत नीचे की ओर भागी और अपने गालों के गुलाल छुपाती हुई माँ के पास जाकर धीरे से बोली-
मैं कहाँ जाऊँगी माँ, यहीं तो हूँ - लापरवाही से झूठ बोलते हुए मैंने सीने पर झूल आई अपनी चोटी को पीछे की ओर फेंका, तभी चोटी में अटके पैन पर मेरी नजर पड़ी जो सारी कहानी कहते हुए मेरा मुंह चिढा रहा था। सामने बैठी मेरी भाभी शरारत से मुस्कुरा रही थी। मैं शर्म से नजरें झुकाकर बड़ी कमजोर सी दलील देते हुए धीरे से बोली-
ये पैन पता नहीं कहाँ से आ गया?
ये तो दामाद जी की शर्ट की जेब में देखा था हमने। बाकी हम क्या जाने, तुम्हारे बालों में कैसे आया ?अदा से आंखे मटकाकर भाभी बोलीं। उनकी शरारती नज़रों के सामने मैं शर्म से लाल हो गई और हाथों में अपना चेहरा छुपाकर वहाँ से भाग खड़ी हुई।
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