गणपत- अ हीरो इज़ बॉर्न (Ganapath– A Hero is born)
टाइगर श्रॉफ (Tiger Shroff) और कृति सेनन (Kriti Sanon) की फिल्म 'गणपत- ए हीरो इज बॉर्न' (Ganapath - a hero is born) शुक्रवार, 20 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। विकास बहल निर्देशित इस एक्शन फिल्म का अमिताभ बच्चन भी हिस्सा हैं। यह फिल्म भविष्य की दुनिया की बात करती है जब सारे संसाधन खत्म हो जाते हैं। इस 'डायस्टोपियन' की दुनिया में गुड्डू को गणपत बनते हुए बताया गया है जिसका किरदार टाइगर श्रॉफ ने निभाया है।
फिल्म बर्बाद हो चुकी दुनिया के बारे में है जो कि दो हिंस्सों में बंट गई है। एक तरफ अमीर और दूसरी तरफ गरीब और मजबूर लोग। टाइगर ने गुड्डु के रूप में पहले अमीरों की दुनिया के थे लेकिन हालात उन्हें गणपत के रूप में गरीबों के लिए खड़ा करवाता है। अमिताभ बच्चन ने फिल्म में कैमियो किया है।
गणपत- अ हीरो इज़ बॉर्न (Ganapath– A Hero is born) : Review of Review
The Times of India (द टाइम्स ऑफ़ इंडिया)
अनावश्यक गाने, रोमांस और ह्यूमर फिल्म में परेशान करते हैं। खराब ग्राफिक्स फिल्म के पैमाने को ऊपर उठाने या निर्देशक के नज़रिये समझाने में विफल होते हैं। टाइगर श्रॉफ को अपनी संवाद अदायगी पर ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है और जो भूमिकाएं निभा रहे हैं उनमें ज्यादा इमोशनल इंवेस्टमेंट करने की जरूरत है। फाइट सीन्स को बारीकी से कोरियोग्राफ किया गया है, और इस मामले में टाइगर अच्छा परफॉर्म करते हैं। कृति सेनन अपने वारियर अवतार में प्रभावशाली हैं, लेकिन उनका किरदार एक प्रेमिका तक सीमित रह गया है। ज़ियाद बकरी जैसे अच्छे अभिनेता को एक अच्छे लिखे गए किरदार की ज़रूरत थी।
फिल्म बर्बाद हो चुकी दुनिया के बारे में है जो कि दो हिंस्सों में बंट गई है। एक तरफ अमीर और दूसरी तरफ गरीब और मजबूर लोग। टाइगर ने गुड्डु के रूप में पहले अमीरों की दुनिया के थे लेकिन हालात उन्हें गणपत के रूप में गरीबों के लिए खड़ा करवाता है।
NDTV (एनडीटीवी)
क्वीन और सुपर 30 जैसी फिल्में देने वाले विकास बहल गणपत के साथ भी निर्देशन के मोर्चे पर चूक जाते हैं और निराश करते हैं। फिल्म की स्टोरी में गहराई नहीं है और ना ही कुछ ऐसा जो पहले ना देखा गया हो। टाइगर श्रॉफ अभिनय कर नहीं पाते हैं और हर समय एक्शन मोड में रहते हैं लेकिन यह एक्शन भी काफी घिसा-पिटा दिखता है। कृति सेनन भी एक्टिंग में एवरेज हैं और एक्शन में दमदार लगीं।
इंडिया टुडे (India Today)
फिल्म के किरदार कैरिकेचर जैसे लगते हैं और मुख्य और सहायक कलाकारों का प्रदर्शन भी मेल नहीं खाता है। टाइगर श्रॉफ हमेशा की तरह एक्शन दृश्यों में बहुत अच्छे हैं, लेकिन गुड्डु/गणपत के रूप में इमोशन पैदा करने में विफल रहते हैं। कृति सेनन जस्सी के रूप में अपनी सीमित भूमिका के कारण परफॉर्म नहीं कर पाईं। कृति एक प्रोफेशनल की तरह एक्शन सीक्वेंस करती हैं, लेकिन उन सीन्स को कैप्चर करते समय सिनेमैटोग्राफी सपाट लगती है।
हिंदुस्तान टाइम्स (Hindustan Times)
भविष्यवादी होने के नाम पर गणपत एक मूर्खतापूर्ण आधार पेश करता है जिसके ना सिर है ना कोई पैर। अगर कुछ हैं तो बस कुछ फाइट सीन और डांस नंबर लेकिन मुश्किल हैं कि दर्शक इसे भी पसंद करेंगे। टाइगर से थोड़ी अभिनय की भी उम्मीद रहती है लेकिन क्लाइमेक्स में थोड़ी प्रभावी संवाद देने की कोशिश करते हैं लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है। कृति को नानचाकू चलाते हुए देखना शानदार है।
गृहलक्ष्मी (Grehlakshmi)
टाइगर श्रॉफ से एक्शन और डांसिग के अलावा एक्टिंग की भी उम्मीद की जाती है लेकिन इस फिल्म में भी यह देखने को नहीं मिला। बेशक उनके इन चिर-परिचित अंदाज में बेहतरीन काम किया लेकिन डायलॉग डिलीवरी और एक्सप्रेशन में मात खा गए। सुपर 30 और क्वीन जैसी फिल्म बनाने वाले विकास बहल को पटकथा पर काम करना था जिसने इन कलाकारों के साथ भी न्याय नहीं किया।
ऑडियंस रिएक्शन (Audience's Reaction)
फिल्म की रिलीज़ के साथ दर्शकों की सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया आने शुरू हो गई। फिल्म को लेकर कई फैंस निराश हुए तो ऐसे भी थे जिन्होंने इस फ्यूजरिस्टिक फिल्म को थ्रिलिंग बताया। सभी ने अपने-अपने अंदाज में अपनी प्रतिक्रिया दी।