गृहलक्ष्मी की कहानियां - पहने या ना पहने
11:44 AM Sep 21, 2017 IST | grehlakshmi hindi
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गृहलक्ष्मी की कहानियां - जब मेरी शादी हुई तो मुझे ठीक से साड़ी बांधनी आती नहीं थी। ससुराल आई तो वहां साड़ी शादी के बाद साड़ी ही पहनने का रिवाज़ था। ऐसे में मैं परेशान हो गई। एक रोज मेरी परेशानी मेरी ननद ने भांप ली। उसने कहा, ‘भाभी हैरान ना हो, मैं त्वानू साड़ी बांधनी सिखा दूंगी। और उसने उस दिन सचमुच उसने मुझे साड़ी पहना दी, जिसमें मेरी सुंदरता को चार-चांद लगा दिए। साड़ी पहनाकर उसने मेरे पति से कहा, ‘देखो भैया, भाभी कितनी सुंदर दिख रही है। तभी मेरे पतिदेव बिना सोचे-समझे बोल उठे, ‘यह कुछ पहने या ना पहने, तो भी चंगी (सुंदर) दिखेगी। उनकी बात सुनकर ननद मुस्कराने लगी। उनकी मुस्कुराहट के बीच मैंने पतिदेव की बात पर गौर किया तो मुझे बहुत शर्म आई और भागकर भीतर चली गई।
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