सुबह उठते ही दंपति को करने चाहिए अपनी हथेली के दर्शन, होते हैं अनेक लाभ: Hand Vastu
Hand Vastu: सुबह की शुरुआत अगर अच्छी हो तो दिन भी अच्छा व्यतीत होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि सुबह के समय व्यक्ति का मन शांत रहता है और इसी शांत मन से सुबह उठते ही अगर हथेलियों का दर्शन करते हैं तो हमें देवताओं के दर्शन करने जितना ही शुभ फल प्राप्त होता है। माना जाता है कि आंख खुलते ही हथेलियों को देखने से हमारा दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है। गृहस्थ जीवन जीने वाले विवाहित जोड़े को सुबह उठते ही अपनी हथेलियों को जरूर देखना चाहिए। इससे पति की आर्थिक उन्नति होती है और पत्नी को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हथेलियों के दर्शन से दंपति को पूरे दिन सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। आइए जानते हैं कि हथेलियों के दर्शन करने के और कौनसे लाभ हैं।
Hand Vastu: खुशहाली और सुख समृद्धि का आशीर्वाद
![Hand Vastu](https://grehlakshmi.com/wp-content/uploads/2023/03/New-Project-2023-03-02T143704.553-1024x576.jpg)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बाएं हाथ में नकारात्मक ऊर्जा होती है और दाएं हाथ में सकारात्मक ऊर्जा होती है। ऐसे में जब दोनों हथेलियों को एक साथ जोड़कर किताब की तरह खोलते हैं, तो दाएं हाथ के स्पर्श से पूरे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसके साथ ही दंपति को कराग्रे बसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविंद: प्रभाते करदर्शनम मंत्र का जाप करना चाहिए।
इस मंत्र का अर्थ है कि हथेलियों के आगे के भाग में लक्ष्मी देवी, सरस्वती देवी और मूल भाग में श्रीहरि रहते हैं। इसलिए उनके दर्शन कर अपने दिन की शुरुआत करने से दंपति को साथ में तीनों देवताओं का आशीर्वाद मिलता है, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में खुशहाली, सुख समृद्धि और मानसिक शांति बनी रहती है। साथ ही देवी लक्ष्मी और श्रीहरि के जैसे दंपति के बीच में असीम स्नेह और मधुरता भी बनी रहती है और देवी सरस्वती के आशीर्वाद से किसी भी काम को बुद्धिमता से करने की क्षमता आती है।
तीर्थ दर्शन
![Samudrik shastra](https://grehlakshmi.com/wp-content/uploads/2023/03/New-Project-2023-03-02T143605.637-1024x576.jpg)
शास्त्रों के अनुसार, शादी होने के बाद किसी भी तीर्थ स्थान पर विवाहित जोड़े को साथ में जाना चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। दोनों हाथों की हथेलियों में भी तीर्थ होते हैं। बाएं हाथ की चारों उंगलियों के सबसे आगे वाले भाग में देवतीर्थ, तर्जनी उंगली के मूल भाग में पितृतीर्थ, कनिष्ठा उंगली के मूल भाग में प्रजापतितीर्थ, अंगूठे के मूल भाग में ब्रह्मतीर्थ होता है।
दाएं हाथ के बीच में अग्नितीर्थ और बाएं हाथ के बीच में सोमतीर्थ होते हैं और उंगलियों के सभी पोरों में ऋषितीर्थ होते हैं। इसलिए जब भी दंपति अपनी दोनों हथेलियों को देखते हैं, तो उन्हें एक साथ सभी तीर्थों के दर्शन जितना कल्याणकारी फल मिलता है। इससे दंपति के जीवन में भक्तिभाव आता है जो उन्हे धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। साथ ही आलस खत्म होता है और नए जोश से दिन की शुरुआत करने की प्रेरणा मिलती है जिसके कारण सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
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