For the best experience, open
https://m.grehlakshmi.com
on your mobile browser.

हवन और वास्तु: Vastu Tips

02:22 PM Feb 29, 2024 IST | Srishti Mishra
हवन और वास्तु  vastu tips
vastu tips
Advertisement

Vastu Tips: हवन कार्यों पर भी वास्तु का व्यापक प्रभाव पड़ता है। यदि हवन कार्य वास्तुनुसार वांछित दिशा तथा अऌिग्नवास ज्ञात किए बिना किया जाए तो वह सफल नहीं हो सकता क्या संबंध है हवन और वास्तु का तथा अग्निवास कैसे जाना जाए, जानने के लिए पढ़ें यह लेख।

read also: जीवन में सफलता के लिए घर में रखें अशोक स्तंभ: Vastu Tips

सामान्यतः किसी भी शुभ कार्य के लिए हवन अनिवार्य होता है चाहे वह षोड्श संस्कार हों, मंत्र जाप या सिद्धि प्राप्ति के पश्चात् किया जाने वाला दशांश हवन हो या अभीष्ट कार्य की सफलता की प्राप्ति या किसी कल्याण के लिये किया जाने वाला अनुष्ठान हो।

Advertisement

हवन की महत्ता इतनी अधिक है कि ये व्यक्ति के जीवन के आरंभ से लेकर अंतिम यात्रा तक मृत शरीर को हवन में समर्पित करने पर समाप्त होती है। वेदों ने इसके गूढ़ रहस्य को बहुत सहज भाषा में सामान्य जन तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया है। संसार में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो प्रतिदिन किसी न किसी रूप में हवन या यज्ञ न करता हो। प्रत्येक व्यक्ति कम से कम पेट की अग्नि में तो भोजन रूपी सामग्री की आहुति देता है। माता या गृहणी अग्नि के माध्यम से उस सामग्री का निर्माण करती है अर्थात् हवन से आरंभ दिनचर्या हवन पर ही समाप्त होती है।

वास्तु शास्त्र की दृष्टि से विचार किया जाये तो गृह निर्माण में भूमि पूजन, शिलान्यास, गृहारम्भ, गृहप्रवेश, वास्तुशांति जैसे प्रत्येक कार्य का शुभारम्भ हवन से होता है। कोई भी अनुष्ठान हवन के बिना अधूरा माना जाता है।

Advertisement

सामान्यत: लोग स्थान विशेष के मध्य में हवन कुंड स्थापित करते हैं और चारों ओर स्वयं बैठते हैं। यहां तक कि कुछ आधुनिक धर्मशालाओं-यज्ञशालाओं के मध्य में पक्के हवन कुंड बनाए जाते हैं जो कि वास्तु की दृष्टि से पूर्णत: वर्जित हैं क्योंकि किसी भी स्थान विशेष के मध्य में वास्तु पुरुष की नाभि व मर्म स्थानों की कल्पना की गई है।

हवन स्थल का चुनाव कार्य की प्रकृति व काल के अनुसार निर्धारित किया जाता है। हवन के कार्य को संपादित करने के लिये वास्तु का बहुत अधिक महत्त्व है। हवन की वेदी किस दिशा में स्थापित की जाये? वेदी किस प्रकार से निर्मित की जाये? हवन की वेदी का आकार व आकृति किस प्रकार की हो।

Advertisement

यदि किसी कारणवश वांछित दिशा में हवन करना संभव न हो, तो अग्निकोण को प्राथमिकता देनी चाहिये किंतु निर्माण कार्यों से संबंधित अनुष्ठानों में सभी हवन अग्निकोण में ही किये जायें ऐसा भी नहीं है। यह उस कार्य की प्रकृति व किस समय हवन किया जाना है, उस पर निर्भर करेगा कि हवन कौन सी दिशा या किस दिन किया जाये।

हवन के लिये शास्त्रों में अग्निवास का विचार करने का निर्देश दिया गया है कि वांछित दिन अग्नि का वास पृथ्वी पर है भी या नहीं। क्योंकि यदि हवन वाले दिन अग्नि का वास पृथ्वी पर नहीं होगा तो हवन का यथोचित फल प्राप्त नहीं होगा। अग्नि का वास आकाश लोक, पाताल लोक व पृथ्वी लोक पर माना गया है। आकाश व पाताल लोक में अग्नि का वास सकारात्मक फल देने में सक्षम नहीं होता।

किंतु कुछ कार्यों जैसे विवाह, ग्रहण, नवरात्रों या अनुष्ठानों के दशांश हवन में नित्य कर्म पूजा में, कुल देवता की पूजा में अग्निवास का विचार नहीं किया जाता। अग्निवास का विचार एक या दो दिन चलने वाले अनुष्ठानों में ही किया जाता है। लंबे समय तक चलने वाले अनुष्ठानों जैसे शतचंडी नवरात्रों, रुद्र यज्ञ आदि में अग्निवास का विचार नहीं किया जाता। इसलिए उन दिनों शुभ मुहूर्तों में किसी भी दिन हवन किये जा सकते हैं।

अग्निवास पता लगाने की विधि- [तिथि + वार (रवि (1), सोमवार (2)…) -] + 1] / 4 = प्राप्त संख्या

  1. तिथि- (हवन वाले दिन की)
  2. वार- (हवन वाले दिन का) (रविवार को 1 मानें सोमवार को 2 मानें)
    यदि शेष 1 बचे तो अग्नि का वास पाताल में, यदि शेष 2 बचे तो अग्नि का वास आकाश में यदि शेष 0 या 3 बचे तो अग्नि का वास पृथ्वी पर माना जाता है।
    यदि अग्नि वास आकाश में हो तो इसका परिणाम मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट माना गया है।
    यदि अग्नि का वास पाताल लोक में हो तो इसका परिणाम आर्थिक हानि माना गया है।
    यदि पृथ्वी पर अग्नि का वास हो तो यह सुख-संपत्ति तथा अभीष्ट सिद्धिदायक होता है।
    वास्तु संबंधित सभी कार्यों में अग्नि के वास का विचार परमावश्यक माना गया है।
Advertisement
Advertisement