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प्रसवोत्तर के बाद कंडोम या बर्थ कंट्रोल पिल्स से ज्यादा इफेक्टिव कैसे है लैक्टेशनल एमेनोरिया मेथड: LAM Postpartum Contraception

08:30 AM May 19, 2024 IST | Anuradha Jain
प्रसवोत्तर के बाद कंडोम या बर्थ कंट्रोल पिल्स से ज्यादा इफेक्टिव कैसे है लैक्टेशनल एमेनोरिया मेथड  lam postpartum contraception
LAM Postpartum Contraception
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LAM Postpartum Contraception: माता-पिता बनना किसी भी जोड़े के लिए उनके जीवन का एक नया अनुभव होता है। यह उनके जीवन में ना सिर्फ आनंद लेकर आता है बल्कि यह कई चुनौतियों और उत्साह से भरा होता है। लेकिन इस जोश और उत्साह में परिवार को बढ़ाने के बाद कपल एक चीज को अक्सर नजर अंदाज करते हैं और वह है गर्भनिरोधक का चयन करना। जी हां, खासतौर पर प्रसवोत्तर गर्भनिरोधक के बारे में जोड़े अक्सर उलझन में रहते हैं और आमतौर पर बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाएं या तो बर्थ कंट्रोल पिल्स लेना पसंद करती है या फिर पुरुष कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इन सब से भी प्रभावी एक ओर गर्भनिरोधक है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जी हां, यह है लैक्टेशनल एमेनोरिया मेथड जिसे एलएएम या लैम भी कहा जाता है। चलिए जानते हैं एलएएम क्या होता है, यह कैसे काम करता है और कंडोम या बर्थ कंट्रोल पिल्स से ये ज्यादा प्रभावशाली क्यों है, खास तौर पर प्रसवोत्तर गर्भनिरोधक के मामले में।

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क्या है एलएएम?

एलएएम का मतलब लैक्टेशनल एमेनोरिया मेथड से है। यह एक नेचुरल बर्थ कंट्रोल का प्रकार है जो ओव्यूलेशन को रोकने के लिए स्तनपान पर निर्भर करता है। जब महिला बच्चे को स्तनपान करवाती है तो उसके शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं जो ओवरी से एग को रिलीज करने से रोक सकते हैं जिससे महिला को गर्भधारण करने से रोका जा सकता है।

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कैसे काम करता है एलएएम?

लैक्टेशनल एमेनोरिया मेथड तीन प्रमुख तरीकों पर निर्भर करता है।

  • विशेष तरीके से ब्रेस्टफीडिंग - इसमें नवजात को सिर्फ स्तनपान करवाया जाता है और नवजात को किसी भी तरीके का खाद्य पदार्थ या तरल पदार्थ नहीं किया जाता है, यहां तक की पानी भी नहीं। दिन-रात नवजात को बार-बार स्तनपान कराया जाता है।
  • नवजात की उम्र - एलएएम प्रसवोत्तर के बाद यानी बच्चे को जन्म देने के शुरुआती 6 महीना के लिए प्रभावी होता है। इस अवधि में लगातार स्तनपान करवाने से ओव्यूलेशन की संभावना बढ़ जाती है।
  • मासिक धर्म का ना आना - बच्चे को जन्म देने के बाद महिला को पीरियड्स नहीं होने चाहिए, यदि स्तनपान करवाने के दौरान या बच्चे को जन्म देने के बाद महिला को रक्तस्राव होता है तो इससे ओव्यूलेशन फिर से शुरू हो जाता है।

यदि ये तीनों मानदंड पूरे होते हैं तो महिला के गर्भवती होने की संभावना 2 फीसदी से भी कम रह जाती है। ऐसे में एलएएम कई अन्य गर्भनिरोधकों की तुलना में अधिक प्रभावी बन जाता है।

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क्या कहना है डॉक्टर का

डीवाई पाटिल हॉस्पिटल की डॉ. आस्था सिंघल का लैक्टेशनल एमेनोरिया मेथड के बारे में कहना है कि इस मेथेड का इस्तेमाल ना सिर्फ बहुत आसान है बल्कि लैक्टेशनल एमेनोरिया का फेल्योर रेट बहुत कम है। साथ ही ये गर्भनिरोधकों के सर्वोत्तम प्राकृतिक तरीकों में से एक माना जाता है। एलएएम के ओरल कंट्रासेप्टिव पिल्स के विपरीत किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट नहीं है, जैसे वजन बढ़ना, मुंहासे से लेकर हृदय डिजीज जैसी गंभीर बीमारियां होना। ये गर्भनिरोधक तरीकों में सबसे प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है।

कंडोम गर्भ निरोधक से कैसे अधिक प्रभावी है एलएएम

LAM is More Effective Than Condoms
LAM is More Effective Than Condoms

इसमें कोई शक नहीं कि गर्भनिरोधक के रूप में सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यहां ये जानना जरूरी है कि एलएएम, कंडोम से भी ज्यादा प्रभावी कैसे हैं।

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  • इस्तेमाल में हो सकती है गलती- कंडोम का प्रभावी होने के लिए उसका सही ढंग से इस्तेमाल आवश्यक है। कई बार इसे गलत तरीके से कंडोम लगाना या फाड़ना जैसी गलतियां हो सकती हैं या कई बार क्वालिटी भी इसकी खराब हो सकती है।
  • इसका प्रभाव- कंडोम का इस्तेमाल करने के बावजूद यह सिर्फ 85 फीसदी ही प्रभावशाली है। एक सर्वे के मुताबिक, सिर्फ कंडोम को बर्थ कंट्रोल मेथड के रूप में इस्तेमाल करने वाले 100 में से 15 जोड़ो को एक न एक बार अनचाहे गर्भवस्था का सामना करना पड़ा है। वहीं इसके विपरीत सही ढंग से अभ्यास करने पर एलएएम का फेल्योर रेट 2 फीसदी से भी कम है और यह ज्यादा विश्वसनीय है।

बर्थ कंट्रोल पिल्स गर्भ निरोधक से कैसे अधिक प्रभावी है एलएएम

कंडोम की तरह ही बर्थ कंट्रोल पिल्स भी लोकप्रिय गर्भनिरोधक के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं लेकिन इसके दैनिक सेवन की आवश्यकता होती है। चलिए जानते हैं, इसकी चुनौतियों के बारे में।

  • लेना होता है रोजाना - बर्थ कंट्रोल पिल्स को रोजाना एक ही समय पर लेना होता है। यदि कभी खुराक नी ली जाए या गलत समय पर ली जाए तो इसका प्रभाव कम हो जाता है।
  • हार्मोंस में होता है बदलाव - बच्चों के जन्म के बाद महिला पहले से ही हार्मोनल बदलावों से गुजर रही होती है और बर्थ कंट्रोल पिल लेने से सिंथेटिक हार्मोन भी शरीर में जाता है जिससे कभी-कभी मूड में बदलाव होना, वजन का बढ़ना या दूध की आपूर्ति ठीक से ना होना जैसे दुष्प्रभाव दिखाई दे सकते हैं।
  • इफेक्टिव दर होती है कम - बर्थ कंट्रोल पिल्स लगभग 91 फीसदी प्रभावशाली होती हैं। इसका मतलब ये है कि बर्थ कंट्रोल पिल्स का उपयोग करने वाली 100 में से 9 महिलाएं हर साल गर्भवती होती हैं।

वहीं दूसरी और एलएएम को दैनिक गोली की तरह लेने की जरूरत नहीं होती। साथ ही इससे प्राकृतिक हार्मोनल स्थिति ज्यों की त्यों बरकरार रहती है और इसका सही ढंग से अभ्यास करने पर इसका प्रभाव अधिक होता है।

लैक्टेशनल एमेनोरिया मेथड (एलएएम) के फायदे

एलएएम एक प्रभावी गर्भनिरोधक मेथड होने के अलावा इसके कई और फायदे भी हैं। जैसे -

  • संबंधों को देता है बढ़ावा - मां जब बार-बार बच्चे को स्तनपान करवाती है तो मां और बच्चे के बीच में बंधन मजबूत होता है।
  • बच्चे की सेहत के लिए है लाभकारी - बार-बार स्तनपान करवाने से बच्चे को मां के दूध से मिलने वाले आवश्यक पोषक तत्व और एंटीबॉडीज मिलते हैं जो बच्चे के इम्यून सिस्टम को बढ़ाते हैं।
  • प्राकृतिक रूप से वजन कम होना - स्तनपान करवाने वाली महिला में गर्भावस्था के दौरान बढ़ने वाला वजन भी प्राकृतिक रूप से कम होने लगता है।
  • सुविधाजनक और लागत प्रभावी - अन्य तरीकों के विपरीत एलएएम गर्भनिरोधक के लिए डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन या अतिरिक्त लागत की आवश्यकता नहीं होती।

एलएएम की चुनौतियां

LAM is More Effective Than Condoms
LAM is More Effective Than Condoms

एलएएम जैसे की बहुत फायदेमंद है लेकिन इसकी कुछ चुनौतियां भी हैं। जैसे -

  • सख्त मानदंड - एलए एम तभी सफल है जब तीनों मानदंड पूरे हों। यदि इन तीनों मानदंडों में से कोई भी एक पूरा नहीं होता तो अनचाही गर्भावस्था का खतरा बढ़ सकता है।
  • शॉर्ट टर्म मेथड- एलएएम केवल बच्चे को जन्म देने के 6 महीने के बाद तक की प्रभावी है। इसके बाद वैकल्पिक गर्भनिरोधक विधि अपनाने पर विचार किया जाना चाहिए।
  • फीडिंग शेड्यूल- एलएएम में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण स्तनपान का शेड्यूल बनाए रखना है, जो कि 6 महीने तक के लिए सभी महिलाओं के लिए संभव नहीं होता, खासतौर पर जो काम पर लौटने वाली महिलाओं के लिए। दरअसल, एलएएम सक्सेसफुल बनाने के लिए सुबह-शाम बच्चे को बिना किसी भी तरह का तरल पदार्थ या खाद्य पदार्थ दिए बिना सिर्फ मां के दूध का ही सेवन करवाया जाता है।

एलएएम से अन्य गर्भनिरोधकों के विकल्प चुनना

जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, स्तनपान का पैटर्न बदलता जाता है। भविष्य में गर्भनिरोधक की योजना बनाना आवश्यक है। ऐसे में एलएएम के अलावा अन्य गर्भनिरोधक तरीकों के भी कुछ सुझाव अपने डॉक्टर से लेने चाहिए। जैसे -

  • अपने डॉक्टर से संपर्क करें- परिवार नियोजन खासतौर पर बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर से खुलकर चर्चा करनी चाहिए। बेशक, आप एलएएम तरीका अपना रहे हों लेकिन 6 महीने बाद आपके लिए कौन सा गर्भनिरोधक तरीका बेहतर होगा यह इस पर भी डॉक्टर से चर्चा करें, क्योंकि एलएएम सिर्फ 6 महीने तक प्रभावी होता है।
  • दीर्घकालिक तरीकों का पता लगाएं- कुछ महिलाएं आईयूडी (अंतर्गर्भाशयी उपकरण) या इंप्लांट्स जैसे दीर्घकालिक विकल्पों पर भी विचार कर सकती हैं। इसमें दैनिक रखरखाव के बिना कुछ सालों तक अनचाही गर्भावस्था से सुरक्षा मिलती है। कॉपर टी भी इसी का ही एक तरीका है।
  • स्तनपान जारी रखें- भले ही एलएएम केवल 6 महीने के लिए प्रभावी गर्भनिरोधक है लेकिन मां और बच्चे दोनों के सेहत के लिए स्तनपान जारी रखना जरूरी है।

निष्कर्ष

लैक्टेशनल एमेनोरिया मेथड (एलएएम) के बारे में ये तो आप समझ गए होंगे कि बच्चे के जन्म के बाद यानी प्रसवोत्तर महिलाओं के लिए यह एक नेचुरल गर्भनिरोधक का सबसे प्रभावशाली तरीका है, जो कि पूरी तरह से महिला के स्तनपान पर निर्भर है। इससे ना सिर्फ मां बल्कि बच्चे की सेहत को भी लाभ पहुंचता है, खासतौर पर बच्चे के जन्म की शुरुआत के 6 महीने के बाद। जबकि कंडोम और बर्थ कंट्रोल पिल्स जैसे गर्भनिरोधक प्रभावशाली हैं लेकिन एलएएम की तरह 98 फीसदी तक प्रभावशाली और प्राकृतिक नहीं हैं। एलएएम का यदि सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो इसका अच्छे नतीजे देखने को मिल सकते हैं और आपएलएएम के यदि सभी मानदंडों को पूरा करते हैं तो यह आपके बच्चे और आपके भविष्य दोनों के लिए ही बहुत अच्छा गर्भनिरोधक विकल्प हो सकता है। इससे न सिर्फ कपल्स को मानसिक शांति मिलती है बल्कि अन्य गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने से होने वाले साइड इफेक्ट से भी बचा जा सकता है।

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