इंटरमिटेंट फास्टिंग से बढ़ सकता है हार्ट फेलियर होने का खतरा: Intermittent Fasting
Intermittent Fasting: आजकल हर कोई चाहता है कि वह फिट दिखें तो इसके लिए हर तरह से अपने शरीर के लिए मेहनत करते हुए दिखते हैं। खुद को फिट रखने की इस कड़ी में आजकल इंटरमिटेंट फास्टिंग काफी ट्रेन्ड में है। ये फास्टिंग इस तरह की है कि आपको घंटों इसमें भूखा रहना होता है। और कुछ सीमित समय तक ही भोजन खाना होता है। जिससे आपका वजन कम हो सके। इसमें दिन में सोलह घंटे उपवास रखा जाता है और आठ घंटे खाना खाया जाता है। लेकिन इस तरह की फास्टिंग जहां आप अपना वजन तो कम कर रहे होते हैं लेकिन दूसरी तरफ इससे स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। 91 प्रतिशत हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही ये फास्टिंग मौत का भी कारण बन सकती है।
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शोधकर्ताओं के अनुसार
इंटरमिटेंट फास्टिंग पर काफी रिसर्च चल रही है जिसमें शोधकर्ताओं के अनुसार जिन लोगों को पहले से स्वास्थ्य समस्याएं हो या जिनको हृदय सम्बन्धित बीमारियां या फिर जिन्हें डायबिटीज है उनके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग जानलेवा है। हृदय संबंधी रोगियों में इंटरमिटेंट फास्टिंग से हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर होने के खतरा 66 प्रतिशत ज्यादा देखा गया है। चीन में जिओ टोंग यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रभावों को जानने के लिए अध्ययन किया। इसमें अमेरिका में 2003 से 2018 की अवधि के दौरान 20,000 वयस्कों के डेटा का अध्ययन किया गया। कई स्तर पर किए गए विश्लेषण में पाया गया है कि जो लोग लंबे समय तक बिना कुछ खाए-पिए रहते थे, या फिर इंटरमिटेंट फास्टिंग करते थे उनमें गंभीर हृदय रोगों का जोखिम अधिक देखा गया।
क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग सही या गलत?
कई लोग बिना डॉक्टर की सलाह लिए ही वजन कम करने के लिए न जाने क्या-क्या करने लग जाते हैं लेकिन उन्हें पता ही नहीं होता है कि ये उनके लिए सही है या नहीं। उनको सिर्फ ये समझ आता है कि कुछ किसी से बता दिया या वीडियो देख ली तो वही सही है। लेकिन सबसे बड़ी बात है कि आप कुछ भी अपने स्वास्थ के लिए करें तो पहले डॉक्टर से सलाह लें लें। इसी तरह इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए है कि आपको यदि इससे अपनाना है तो सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लें और अपनी जांच पड़ताल करवाकर ही आगे इसको अपनाएं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार
- इसमें सबसे पहले सोलह घंटे की फास्टिंग आती है जिसमें आपको सोलह घंटे भूखा रहना होता है। और आठ घंटे खाना खाना होता है। सोलह घंटे में आप कोई भी ठोस आहार नहीं ले सकते है। आपको तरल पदार्थ पर रहना होता है। जैसे नींबू पानी, चाय, पानी आदि। इसमें हफ्ते में कुछ दिन तय किए जाते है। या फिर रोजाना भी इसे दोहराया जाता है।
- अब इसके दूसरे प्रकार की बात करते है जिसमें हफ्ते में 5 दिन सामान्य खाना खाया जाता है। और दो दिन फास्ट करना होता है। पांच दिनों में आप अपने अनुसार खाना खाते है। लेकिन दो दिन दूध, खिचड़ी या दलिया कम कैलोरी वाला खाना खाना होता है। साथ ही ज्यादा से ज्यादा पानी को पीना होता है।
- यदि इसके तीसरे प्रकार की बात की जाए तो इसमें अल्टरनेट डे पर फास्टिंग चलती है जिसमें एक दिन आपको सामान्य खाना होता है तो दूसरे दिन फास्टिंग करनी होती है। फास्टिंग वाले दिन कम कैलोरी का खाना खाना होता है जिससे वनज कम हो सके। साथ ही महीने भर ये फास्टिंग चलती है।
(डायटीशियन आषु गुप्ता से बातचीत पर आधारित)