दिल की उथल पुथल को मात्र 13 मिनट में ऐसे करें शांत…: International Day Of Peace 2023
International Day Of Peace 2023: इंटरनेशनल डे ऑफ पीस 2023 दुनियाभर में हर साल 21 सितंबर को सेलिब्रेट किया जाता है। यह खास दिन यूनाइटेड नेशनल जनरल असेंबली ने राष्ट्रों और लोगों के बीच अहिंसा, शांति और युद्ध विराम के आदर्शों को प्रसारित करने के लिए मनाना शुरू किया। हर साल इस दिन की एक खास थीम रखी जाती है। इस बार इसकी थीम है 'एक्शन फॉर पीस' यानी शांति के लिए कार्य। अब ये तो हुई राजनीति की बात। लेकिन क्या आप जानते हैं जीवन की खुशियां 'शांति' में ही है। चलिए जानते हैं कैसे।
तो क्यों न हम करें ये शुरुआत

दरअसल, इंटरनेशनल डे ऑफ पीस सेलिब्रेट करने का एक साफ संदेश है, एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना, जहां लोग आपस में प्रेम और सद्भाव से रह सकें। तो क्यों न इसकी शुरुआत हम अपने घर, ऑफिस, स्कूल और आसपास से ही करें। जी हां, जीवन में शांति से कई बड़े और मुश्किल काम बहुत ही आसानी से पूरे किए जा सकते हैं। बस जरूरत है तो शांति के साथ मुद्दे को समझने की और सामने वाले की बात सुनने की। खुशियां बेशकीमति हैं। आज हर कोई इसे पाने की ही जद्दोजहद में है। अकसर घरों में बच्चों को बड़े होने के साथ ही लोगों से बात करने का ढंग, रुपयों की अहमियत, रिश्तों का मान, पढ़ाई का महत्व आदि सिखाया जाता है। लेकिन सबसे अहम बात खुश कैसे रहा जाए, अक्सर लोगों की परवरिश की इस लिस्ट में शामिल ही नहीं होता। जबकि यह बहुत जरूरी है।
दूर होगी टेंशन

अक्सर परिवार में पति-पत्नी या फिर अन्य सदस्यों में असहमति या झगड़े होने आम बात है। ऐसे में आप बहस में पड़ने या झगड़ने के बजाय शांत रहेंगे तो न सिर्फ मामला वहीं रुक जाएगा, बल्कि कुछ ही देर में सब शांत भी हो जाएगा। अगर आपको भी बहुत गुस्सा आ रहा है या फिर आप दुखी हैं तो आप म्यूजिक का सहारा लें। ब्रिटिश एकेडमी ऑफ साउंड थेरेपी के हाल ही में हुए शोध के अनुसार मनपसंद संगीत सुनने से मात्र 13 मिनट में आपकी उदासी और गुस्सा दूर हो सकता है। इतना ही नहीं म्यूजिक सुनने के मात्र 9 मिनट में आपका मूड अच्छा होना शुरू हो जाएगा। इस शोध के दौरान 89 प्रतिशत लोगों ने माना कि संगीत से उनके मूड पर पॉजिटिव असर हुआ है। 90.15 प्रतिशत लोगों ने कहा कि म्यूजिक सुनने से वे रिलेक्स होते हैं। 81.80 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे उन्हें खुशी मिलती है।
शांत माहौल से मन भी रहता है शांत
कहते हैं शांतचित से किया गया हर कार्य ठीक से होता है। अब यह बात विज्ञान भी मानता है। विभिन्न शोधों के अनुसार शोर का स्तर इंसान पर विपरीत प्रभाव डालता है। शोध के अनुसार जिन स्कूलों में शोर का स्तर ज्यादा होता है, वहां के बच्चे पढ़ाई पर एकाग्रता नहीं लगा पाते, इतना ही नहीं टीचर्स भी स्टूडेंट्स पर पॉजिटिव असर नहीं डाल पाती हैं। जब वातावरण शांत होता है तो स्टूडेंट्स खुश महसूस करते हैं और पढ़ाई पर ध्यान ज्यादा लगा पाते हैं। ऐसे में पीस यानी शांति यहां भी जरूरी है।
खुद को शांत रखने के लिए करें ये

रिश्तों और करियर के बीच बैलेंस, घर का काम और समाज में स्तर बनाए रखने के लिए आज हर किसी को बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है। इसी का नतीजा है एंग्जाइटी। एंग्जाइटी के कारण कई बनते काम बिगड़ सकते हैं। इससे हर समय एक चिड़चिड़ाहट महसूस होती है और नतीजा घर या ऑफिस में झगड़ों पर जाकर खत्म होता है। ऐसे में अगर आप खुद को शांत रखना चाहते हैं तो सबसे बेहतर है मेडिटेशन। वैज्ञानिकों ने एंग्जाइटी की हैवी दवा लेने वालों और आठ सप्ताह का गहन माइंडफुलनेस मेडिटेशन करने वालों का अध्ययन करने पर पाया कि दोनों के परिणाम एक समान थे। ऐसे में दवा की जगह आप मेडिटेशन से भी तनाव दूर कर सकते हैं।