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देश की 70 % वर्किंग वूमन करती हैं घर चलाने में मदद, फिर भी नहीं मिलती निवेश की आजादी-investment Independance

ऑनलाइन मार्केटप्लेस इंडियालैंड की ओर से वर्किंग स्त्री शीर्षक से यह सर्वे देश की दस हजार महिलाओं पर किया गया। सर्वे में सामने आया कि दिल्ली की 67% से अधिक ज्यादा कामकाजी महिलाएं घर खर्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें से 30% महिलाएं तो हर माह अपनी आधी सैलरी घर में ही खर्च कर देती हैं।
03:00 PM Aug 22, 2023 IST | Ankita Sharma
देश की 70   वर्किंग वूमन करती हैं घर चलाने में मदद  फिर भी नहीं मिलती निवेश की आजादी investment independance
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वर्किंग वूमन को लेकर अकसर लोगों की कई धारणाएं होती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि वे घर के कामकाजों पर ध्यान कम देती हैं तो कुछ सोचते हैं कि वे आर्थिक रूप से आजाद होती हैं और अपने वित्तीय निर्णय खुद ही लेती हैं। लेकिन यह सोच पूरी तरह से सही नहीं है। हाल ही में वर्किंग स्त्री रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि देश की आधी से अधिक वर्किंग वूमन घर खर्च में तो मदद करती हैं, लेकिन उनके निवेश के निर्णय आज भी घर के पुरुष ही करते हैं। आइए जानते हैं कैसा है देश की वर्किंग वूमन का फाइनेंशियल मैनेजमेंट।

30% महिलाएं आधी सैलरी करती हैं घर में खर्च

About 70 percent working women of the country are shoulder to shoulder with their husbands and are fully participating in household expenses..
About 70 percent working women of the country are shoulder to shoulder with their husbands and are fully participating in household expenses..

सर्वे के अनुसार देश में महिलाओं की भूमिका बदल रही है। अब घर संभालने के साथ ही वे घर खर्च में मदद भी करने लगी हैं। ऐसे में देश के आर्थिक विकास में उनकी भूमिका बढ़ रही है।  देश की लगभग 70 प्रतिशत वर्किंग वूमन पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घर खर्च में पूरी भागीदारी निभा रही हैं। ऑनलाइन मार्केटप्लेस इंडियालैंड की ओर से वर्किंग स्त्री शीर्षक से यह सर्वे देश की दस हजार महिलाओं पर किया गया। सर्वे में सामने आया कि दिल्ली की 67% से अधिक ज्यादा कामकाजी महिलाएं घर खर्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें से 30% महिलाएं तो हर माह अपनी आधी सैलरी घर में ही खर्च कर देती हैं।

सेविंग और इन्वेस्टमेंट में पीछे

47% women are not even able to track the expenses of the house.
47% women are not even able to track the expenses of the house. Credit: istock

सिक्के का दूसरा पहलू ये है कि घर के बाहर खुद की पहचान बनाने वाली ये महिलाएं वित्तीय फैसले लेने में काफी पीछे हैं। 47% महिलाएं तो घर के खर्च को ट्रैक तक नहीं कर पातीं। यहां तक कि उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं है कि अपनी सैलरी को वे कैसे बचाएं और निवेश करें। दिल्ली जैसे मेट्रो सिटी की वर्किंग वूमन तक की ये हालत है। दिल्ली की करीब 32% कामकाजी महिलाओं ने कहा कि सेविंग और इन्वेस्टमेंट से जुड़े फैसले लेने में परेशानी महसूस करती हैं। ऐसे में वे निवेश और सेविंग के मामलों को लेकर अपने पति, भाई और पिता पर ही निर्भर हैं।

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इसलिए नौकरी कर रही हैं महिलाएं

Women in the survey admitted that they are doing the job for financial independence.
Women in the survey admitted that they are doing the job for financial independence.

सर्वे में महिलाओं ने माना कि वे नौकरी वित्तीय आजादी के लिए कर रही हैं। महिलाओं ने कहा कि नौकरी करने से उन्हें परिवार और समाज में कुछ अहमियत मिलने का एहसास होता है। इतना ही नहीं निवेश की जानकारी से महत्वपूर्ण हर महिला ने अपने परिवार की जरूरत को माना। सर्वे में शामिल 21 साल से 65 साल तक की महिलाओं ने कहा कि अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करना ही उनका पहला उद्देश्य है। हालांकि ये स्थितियां देखकर साफ है कि उन्हें निवेश के फैसले लेने की लंबी राह तय करनी है।

सोशल मीडिया से लेती हैं निवेश की टिप्स

only one third of the women of the country are such who take all their decisions with confidence.
only one third of the women of the country are such who take all their decisions with confidence.

रिपोर्ट के अनुसार देश की सिर्फ एक तिहाई महिलाएं ऐसी हैं जो अपने सारे फैसले आत्मविश्वास के साथ लेती हैं। इसमें निवेश भी शामिल है। हालांकि उन्हें इसकी जानकारी भी परिवार से सीधे नहीं मिल रही है। रिपोर्ट के अनुसार वर्किंग वूमन के लिए निवेश की जानकारी एक सबसे बड़ा माध्यम खबरें और सोशल मीडिया हैं। 30% महिलाओं ने बताया कि उन्हें अखबारों और न्यूज साइट्स या फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से निवेश की जानकारी मिलती है। वहीं 20% महिलाओं को वर्कशॉप और सेमिनार से निवेश की टिप्स मिली हैं।

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वर्किंग वूमन होती हैं घरेलू हिंसा की ज्यादा शिकार

women in India who get paid more than their husbands are also more likely to be victims of domestic violence.
women in India who get paid more than their husbands are also more likely to be victims of domestic violence.

कामकाजी महिलाएं भले ही अपने आत्मसम्मान के लिए घर और ऑफिस के बीच दो पाटों में पिस रही हैं, लेकिन फिर भी उनकी स्थितियों में ज्यादा सुधार नहीं आया है। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक अध्ययन के अनुसार भारत में जो महिलाएं अपने पति से ज्यादा वेतन पाती हैं, वे घरेलू हिंसा की शिकार भी ज्यादा होती हैं। भारत में किए गए ऑनलाइन पोर्टल जॉब फॉर हर के एक सर्वे के अनुसार देश की महिलाएं भले ही आत्मनिर्भर बनने के लिए नौकरी करती है, लेकिन पैसों को लेकर वे फिर भी आजादी नहीं पातीं। सर्वे में सामने आया कि पत्नी की सैलरी को सिर्फ पति ही नहीं ससुराल वाले भी अपना अधिकार समझते हैं। इतना ही नहीं कामकाजी महिलाओं को सैलरी का हिसाब अपने परिवार को देना पड़ता है।

आज उठाएं कदम, सुरक्षित होगा भविष्य

Every parent should understand that along with good education, practical knowledge should also be given to the daughters.
Every parent should understand that along with good education, practical knowledge should also be given to the daughters.

यह बात सच है कि महिलाएं अब पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। हर माता-पिता बे​टियों को बेटों जैसी ही परवरिश दे रहे हैं। बेटियों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही कई और कदम उठाने की भी जरूरत है।

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परवरिश में करें बदलाव : हर माता-पिता को यह समझना चाहिए कि अच्छी शिक्षा के साथ ही बेटियों को व्यवहारिक ज्ञान भी दें। बेटों की तरह उनको भी वित्तीय जानकारी और कामकाज सिखाएं। जिससे उन्हें हर बात का ज्ञान हो। वहीं बेटों को भी सीख दें कि महिलाओं और उसके निर्णय का सम्मान करे।

बैंकिंग के कार्यों से दूर न रखें: अक्सर महिलाएं बैंकिंग से संबंधित कार्यों से बचती हैं, लेकिन यह गलत है। परिवार की महिलाओं को बैंकिंग से संबंधित सभी कामों की जानकारी दें। जिससे अपनी सैलरी और निवेश से संबंधित कार्य वे खुद कर सकें।

आत्मविश्वास बढ़ाएं : बच्चियों को बचपन से ही आत्मविश्वास से भरें, जिससे वे अपने फैसले खुद लेने में सक्षम बनें। उन्हें समझाएं कि अपने निर्णय खुद लेने के ​कई फायदे हैं। बच्चियों को कभी भी ये नहीं बोले कि तुम लड़की हो, ये नहीं कर सकती। उन्हें हमेशा समझाएं कि ऐसा कोई काम नहीं है जो वो नहीं कर सकती।

बचत का महत्व समझाएं: बचत की नींव बच्चियों में बचपन से ही डालें। इसकी शुरुआत पॉकेट मनी से करें। बच्चों को हर माह रुपए दें और उसमें से बचत करने का टारगेट भी उन्हें दें। इससे उन्हें बचत की आदत पड़ जाएगी।

निवेश की सही ​स्कीमों पर रखें नजर: आजकल निवेश की कई स्कीमें उपलब्ध हैं। हर महिला को इसकी स्टडी कर इनमें ​छोटे-छोटे निवेश करने चाहिए। ये छोटी-छोटी रकम आगे चलकर बड़ी हो जाएगी। म्यूचुअल फंड, एसआईपी, पोस्ट ऑफिस की स्कीमें अच्छे विकल्प हैं।

ऑनलाइन कोर्स करें : अगर आप निवेश के बारे में नहीं समझती और किसी से ज्यादा सलाह भी नहीं लेना चाहती हैं तो अब ऑनलाइन ऐसे कई कोर्स उपलब्ध हैं, जिन्हें कर सकती हैं। इनमें से कई कोर्स आपको फ्री मिलेंगे, तो कुछ पेड भी होंगे। आप अपनी सुविधा के अनुसार उन्हें चुनें।

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