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इस देश में कैलेंडर से गायब हो गए थे 11 दिन, जानिए क्या है मामला?: 11 days are missing in Calendar

02:30 PM Apr 20, 2024 IST | Sonal Sharma
इस देश में कैलेंडर से गायब हो गए थे 11 दिन  जानिए क्या है मामला   11 days are missing in calendar
11 days are missing in Calendar
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11 days are missing in Calendar: एक बार सोच कर देखिए कि आप एक दिन सोते हैं और अगली सुबह उठते हैं और देखते हैं कि आप लगातार 11 दिनों तक सोए हैं। यह किसी फ़िल्म जैसा लगता है, है ना? ख़ैर, ऐसा अतीत में 1752 में हो चुका है।आप जानने को उत्सुक हैं कि आखिर कैसे? आइए इस गायब 11 दिनों की कहानी जानें, जहां एक महीना 30 के बजाय 19 दिनों में खत्म हो गया था।

इस बारे में जानने से पहले जूलियन कैलेंडर के बारे में जान लें, जो उस समय इस्तेमाल किया जाता था। जूलियस सीज़र द्वारा प्रस्तावित जूलियन कैलेंडर में भी पोप ग्रेगरी XIII द्वारा अक्टूबर 1582 में स्थापित ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह 12 महीने शामिल थे जो आज भी उपयोग किया जाता है, फिर नए कैलेंडर की ज़रूरत क्यों है? पुराने में क्या खराबी थी? खैर, इसी में जवाब भी शामिल हैं।

calendar 1752

जूलियन कैलेंडर के मुताबिक, एक साल में 365 दिन और 6 घंटे होते हैं जबकि सौर वर्ष के मुताबिक इसमें 365 दिन 5 घंटे और 49 मिनट होने चाहिए, जो हर दिन 11 मिनट का अंतर दिखाता है और इसलिए हर 128 दिनों के बाद एक दिन कम हो जाता है। जूलियन कैलेंडर में इस त्रुटि के कारण ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया जाने लगा, जो उससे 11 दिन आगे चल रहा था।

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नॉर्वे, स्पेन, इटली, पुर्तगाल और फ्रांस जैसे ज्यादातर देशों ने नए कैलेंडर को आसानी से लागू कर दिया, जबकि इंग्लैंड जैसे कुछ देश अभी भी थे जिन्होंने बदलाव को स्वीकार नहीं किया। इस वजह से राष्ट्रों के बीच घटनाओं और व्यापारों में परेशानियां पैदा होती हैं।जब स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई, तो जूलियन कैलेंडर वाले देशों की सरकार को आखिरकार हार मानने और खुद को दुनिया के साथ मिलाने की जरूरत महसूस हुई। इस कारण 1752 में जूलियन से ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदलाव आया।

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जब इंग्लैंड के लोग सोए तो कैलेंडर में 2 सितंबर दिखाई दिया और अगले दिन जब आंख खुली तो 3 सितंबर की जगह 14 सितंबर थी। अचानक 11 दिनों की इस कटौती से लोगों में अफरा-तफरी मच गई। उन्होंने असहमति जतानी शुरू कर दी और अपने खोए हुए 11 दिन की मांग की। सरकार ने उन 11 दिनों के लिए कर्मचारियों को भुगतान करने जैसी स्थिति को निपटाने के लिए ज़रूर कदम उठाया, जो "पेड लीव्स" का कॉन्सेप्ट को दुनिया में लाया।

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