हार्ट बर्न की समस्या से बचाव है संभव: Heartburn Precaution
Heartburn Precaution : हम सभी को कभी न कभी हार्ट बर्न या सीने में जलन या एसिडिटी की समस्या हो जाती है। जिसके उपचार के लिए कई तरह की दवाइयां, एंटासिड्स, चूर्ण, तरह-तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। हार्ट बर्न और एसिडिटी के समान हैं यानी व्यक्ति को खट्टी डकार आने की समस्या रहती है। लेकिन अगर आपको हार्ट बर्न की दिक्कत हो ही नहीं, तो कितना अच्छा होगा। कुछ बातों का ध्यान रखकर ऐसा संभव है और हार्ट बर्न की समस्या को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
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क्या है हार्ट बर्न
आमतौर पर हार्ट बर्न और एसिडिटी को एक ही माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। हालांकि दोनों के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं जैसे सीने में जलन होना। लेकिन जब सीने में जलन के साथ सीने में दर्द भी होने लगता है, तब इसे हार्ट बर्न कहते हैं। अक्सर हार्ट बर्न जीईआरडी यानी गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज के साथ देखा जाता है। जीईआरडी में पेट का एसिड और खाना वापस भोजन नली में आने लगता है जिससे हार्ट बर्न की समस्या और बढ़ जाती है।
क्या है समाधान
हम अपनी लाइफ स्टाइल में कुछ बदलाव लाकर हार्ट बर्न की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
- जब भी आप सोए या लेटे तो हमेशा अपने सर का लेवल बाकी शरीर के लेवल से ऊपर रखें। कई लोगों को हार्ट बर्न की दिक्कत रात को सोते समय ज्यादा होती है और इससे उन्हें नींद भी ठीक से नहीं आती है। लेकिन अगर आप सोते समय अपना सर एलिवेटेड रखते हैं तो आपको हार्ट बर्न की समस्या कम होगी। इससे होने वाले लक्षण भी रात को आपको परेशान नहीं करेंगे और आप आराम से सो पाएंगे। इसके लिए आप सोते समय सर के नीचे तकिया लगा सकते हैं या फिर बेड के सर के साइड वाले पायों को ईंट लगा के ऊंचा कर सकते हैं।
- हार्ट बर्न से बचने का अगला टिप भी आपकी सोने की पोजीशन से जुड़ा है। कोशिश करें जब भी सोए या लेटें, तो बाईं करवट लेकर लेटें। इसके पीछे हमारी बॉडी की एनाटॉमी का लॉजिक है। हमारी भोजन की नली हमारे पेट में दाई तरफ से प्रवेश करती है। यानी कि भोजन नली का इसोफैगस स्पिंटर दाईं तरफ होता है। अगर हम बाईं करवट लेकर सोते हैं, तो एसिड और खाना पेट के पाउच में ही बाईं तरफ रहेगा और पेट का एसिड इतना जल्दी इसोफैगस स्पिंटर तक नहीं पहुंच पाता है। इससे हमें हार्ट बर्न के लक्षण कम होते हैं।
- हार्ट बर्न कम करने का जरूरी टिप है आप अपने वजन को मेंटेन करें। अपनी उम्र और हाइट के अनुसार एक आइडल बॉडी वेट मेंटेन करें। अगर आपका वजन ज्यादा है तो उसे कम करें। इसके लिए है अगर आपको किसी न्यूट्रीशनिस्ट या ट्रेनर की राय लेनी पड़े, तो जरूर लें। क्योंकि जब आपका बेली फैट ज्यादा होता है यानी आपके तोंद होती है। तब पेट पर एक दबाव बनता है और इससे हार्ट बर्न और जीईआरडी जैसी समस्याएं ज्यादा होती हैं। इसोफैगस या भोजन की नली का नीचे वाला स्पिंटर हमारे डायफ्राम से ऊपर की तरफ चला जाता है। यानी डायफ्राम इसोफैगस नली को सपोर्ट नहीं कर पाता है। ऐसे में आपको हाइटल हर्निया जैसी समस्या भी हो सकती है।
- हार्ट बर्न से बचने के लिए ध्यान रखें कि एक बार में एक साथ ज्यादा खाना नहीं खाएं। आप दिन में तीन बड़े मील खाने के बजाय पांच से छह बार थोड़ा-थोड़ा खाना खाएं। आप हर दो घंटे में थोड़ा-थोड़ा खा सकते हैं। कोशिश करें कि डिनर सोने से दो-तीन घंटे पहले जरूर कर लें। खाना खाते ही सोने बिल्कुल नहीं चाहिए। अगर आपको कहीं बाहर खाने के लिए जाना है, तो भी आप निश्चित समय पर अपना डिनर जरूर कर लें। बेहतर होगा कि जहां तक हो सके बाहर का खाना अवायड करें।
- अपनी डाइट में कार्बोहाइड्रेट कम करें और एक बैलेंस डाइट लें जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स आपकी जरूरत के अनुसार हों। इससे आपका वजन भी रेगुलेट होगा और एक बैलेंस डाइट लेने की वजह से आपको क्रेविंग्स भी कम होंगी।
- वेट लॉस करने के लिए डाॅक्टर आमतौर पर डाइट में ज्यादा से ज्यादा सलाद शामिल करने के लिए कहते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग सलाद के नाम पर कच्चा प्याज ही खाते हैं। वैसे तो कच्चा प्याज खाना नुकसानदायक नहीं है, लेकिन हार्ट बर्न की समस्या से जूझ रहे लोगों को कच्चा प्याज का सेवन अवायड करना चाहिए। उन्हें सिर्फ पका हुआ प्याज और वो भी सीमित मात्रा में लेना चाहिए।
- शराब भी हार्ट बर्न का एक मुख्य कारण है। शराब पीने से हार्ट बर्न की समस्या बढ़ जाती है। रिसर्च में साबित हो कि शराब के ज्यादा सेवन से शरीर में एसिड रिफ्लक्स की प्रक्रिया बढ़ जाती है। क्योंकि शराब पेट में एसिड का रिसाव बढ़ाती है। पेट के पास वाले इसोफैगस स्पिंटर को रिलैक्स करती है और इसोफैगस नली से एसिड को हटाने की प्रक्रिया धीरे कर देती है।
- चाय और कॉफी के ज्यादा सेवन भी हार्ट बर्न की समस्या बढ़ सकती है।
- सोडा, कोका कोला, पेप्सी, जैसे कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स भी हार्ट बर्न की समस्या में इजाफा करते है। क्योंकि इन्हें पीने के बाद पेट फूल जाता है और आपको डकार आती है। बार-बार डकार आने से एसिड रिफ्लक्स भी बढ़ जाता है।
- इसके अलावा जिन लोगों को हार्ट बर्न की समस्या रहती है, उन्हें ऑरेंज जूस, नींबू पानी जैसे खट्टे जूस भी ज्यादा नहीं पीने चाहिए। क्योंकि इनमें एस्कॉर्बिक एसिड होता है जो कि बहुत ज्यादा एसिटिक होता है। वो अपच की समस्या पैदा कर सकता है और इसोफैगस की लाइनिंग को भी इरिटेट कर सकता है। जिससे व्यक्ति की परेशानी बढ़ सकती है।
(डाॅ मनीषा कौशिक, जनरल फिजीशियन, दिल्ली)