क्या है जेलीफिश पेरेंटिंग, जानें बच्चों के लिए कितनी है फायदेमंद: Jellyfish Parenting
Jellyfish Parenting: पेरेंटिंग बेहद चुनौतीपूर्ण होती है लेकिन ये बच्चे की पर्सनेलिटी, बिहेवियर और करियर के लिए महत्वपूर्ण है। पेरेंटिंग कई प्रकार की होती हैं जो समय के साथ बदलती और विकसित होती रहती है। हर पेरेंट्स का अपना नजरिया और पद्धति है। पेरेंट्स के रूप में हमें मॉर्डन पेरेंटिंग के सकारात्मक पहलुओं को भी अपनाना जरूरी होता है। बच्चों को भी अपने विचार रखने और अपने तरीके से जिंदगी को जीने की आजादी देनी चाहिए। ऐसी ही एक पेरेंटिंग है जेलीफिश परेंटिंग जिसमें पेरेंट्स द्वारा बच्चे को खुलकर जीने की आजादी दी जाती है साथ ही परिवार की परंपरा और संस्कृति को भी सिखाया जाता है। आखिर ये जेलीफिश पेरेंटिंग क्या है और ये बच्चों के लिए कितनी फायदेमंद है जानते हैं इसके बारे में।
क्या है जेलीफिश पेरेंटिंग

ट्रेडिशनल ऑथोरिटेटिव और हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग टेक्नीक से जेलीफिश पेरेंटिंग काफी अलग होती है। जेलीफिश पेरेंटिंग में पेरेंट्स काफी शांत और सुलझे हुए होते हैं जिसमें वह बच्चों को स्वयं निर्णय लेने की आजादी देते हैं। साथ ही वह बच्चों को पुरानी परंपराओं और विचारों से भी अवगत कराते हैं ताकि बच्चे अपनी सीमाओं में रहकर जीवन का आनंद उठा सकें। इसका नाम एक फिश पर रखा गया है जिसकी विशेषता है अडैप्टीबिलिटी और फ्लेक्सीबिलिटी।
जेलीफिश पेरेंटिंग की प्रक्रिया
जैसा कि आप जानते हैं कि जेलीफिश एक मछली है जो स्वतंत्र और आजाद मानी है। उसी प्रकार जेलीफिश पेरेंट्स बच्चों को अपने अनुभवों और गलतियों से सीख हासिल करते हुए मार्गदर्शन करते हैं। ये बच्चों पर नियमों को लागू नहीं करते बल्कि बच्चों को कार्य करने और जीवन जीने के लिए आजाद छोड़ देते हैं। इस पेरेंटिंग की प्रक्रिया में माता-पिता भावनात्मक रूप से बच्चों का समर्थन करते हैं जिससे उनके बीच ईमानदारी और संचार बना रहता है।
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क्या है भारत में इसका स्कोप
भारत में बच्चों का परपंरावादी सिद्धांतों से पालन पोषण किया जाता है जिसमें परिवार और अनुशासन के महत्व पर जोर दिया जाता है। यहां आज भी बच्चों के सभी निर्णय पेरेंट्स द्वारा ही लिए जाते हैं। संयुक्त परिवारों की सांस्कृतिक सेटिंग के कारण एक बच्चे की अपब्रिंगिंग में कई पीढि़यों का योगदान होता है। ऐसे में जेलीफिश पेरेंटिंग को अपनी जगह बनाने में काफी समय लग सकता है। भारत में बच्चे को पेरेंट्स की देखरेख में ही पाला जाता है।
जेलीफिश का बच्चों पर प्रभाव

जेलीफिश की विशेषता है कि इसमें पेरेंट्स की बच्चों से कम डिमांड होती है साथ ही आपस में संचार भी कम होता है। अलग-अलग पेरेंटिंग स्टाइल का बच्चे के विकासात्मक परिणामों और उनकी स्वास्थ्य आदतों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
- जेलीफिश पेरेंटिंग में बच्चों पर किसी प्रकार का कंट्रोल नहीं होता जिस वजह बच्चों में आत्म-नियंत्रण की कमी हो जाती है।
- उनका आत्म-सम्मान कम होता है और वे अपने दोस्तों की अपेक्षा निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते।
- बच्चों को न टोकने की वजह से बच्चों का स्कूल में प्रदर्शन खराब हो सकता है।
- बच्चे नशीली दवाओं और शराब का उपयोग कर सकते हैं।
- कई बार बच्चे मनमर्जी करने लगते हैं और वे बिगड़ सकते हैं।
- उनमें पेरेंट्स के प्रति सम्मान कम हो सकता है।
- कुछ मामलों में जेलीफिश पेरेंटिंग फायदेमंद भी होती है जैसे बच्चों की काम करने की क्षमता में विकास होता है, उनका मानसिक विकास होता है और वे बेहतरीन डिसीजन मेकर बनते हैं।