रखें नजर अपने बी.पी. पर: Blood Pressure Tips
Blood Pressure Tips: आज हर उम्र के लोगों में बी.पी. की समस्या को आम देखा जा सकता है। ऐसे में बहुत जरूरी है आप अपने बी.पी. की जांच कराएं एवं जरूरी सावधानियां बरतें।
हाई ब्लड प्रेशर एक आम बीमारी है सौ में से 97-98 लोगों में ब्लड प्रेशर बीमारी होती है। सिर्फ 2-3 प्रतिशत मरीजों में मूल बीमारी कोई दूसरी होती है और साथ में हाई बी.पी. भी होता है। हाई ब्लड प्रेशर सिर्फ कोरोनेरी आर्टरी डिजीज को बढ़ावा देने का काम ही नहीं करता, ये अपने में भी एक काफी प्रचलित बीमारी है। हाई ब्लड प्रेशर उतना ही आम है जितना ब्लड प्रेशर नापने का काम। इसके मायने यह हैं कि जब तक बी.पी. (ब्लड प्रेशर) नापने का काम अक्सर किया जाने वाला नहीं हो जाता, इस बीमारी के सही आंकड़े प्राप्त नहीं हो सकते।
आज से 25-30 साल पहले अमेरिका में कहा जाता था कि सिर्फ 50 प्रतिशत लोगों में हाई बी.पी. का पता चल पाता है और जिनमें भी हाई बी.पी. होता है उनमें से आधे का इलाज होता है और उन आधें में से भी केवल आधे ही मरीजों का इलाज ठीक से होता है अर्थात् 12, यानी 50 प्रतिशत का पता, उनमें 25 प्रतिशत का इलाज और 12.5 प्रतिशत का ठीक इलाज हो पाता है।
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परंतु आज स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। आज करीब 65 से 75 प्रतिशत लोगों का अच्छा इलाज हो रहा है और उसके सुखद परिणाम भी सामने आ रहे हैं। आज लकवा और स्ट्रोक पैरालिसिस होने की संभावना 80 प्रतिशत तक कम हो गई है।
परंतु खेद की बात यह है कि हमारे देश में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। हमारे यहां अभी भी हाई ब्लड प्रेशर के मरीज, आंख के डॉक्टर के यहां से कार्डियोलौजिस्ट के यहां पहुंचते हैं या फिर लकवा हो जाने के बाद ही डॉक्टर के यहां पहुंचते हैं।
यह हमारे लिए शर्म की बात है कि अच्छा और सस्ता इलाज उपलब्ध होने पर भी हमारे देश में लकवा अभी भी लाखों लोगों को अपाहिज बना रहा है। लोग समझते नहीं हैं कि अधिक बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर कुछ वर्षों में जान लेने की क्षमता रखता है।
हाई ब्लड प्रेशर की जांच बहुत जरूरी है
यह चिन्ता का विषय है कि आज भी हमारे देश में हाई बी.पी. का इलाज जानने से पूर्व ही उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है। सही बात यह है कि यदि किसी व्यक्ति का बी.पी. नापने पर 200 मि.मी. या उससे अधिक ऊपर हो तो उसका बी.पी. एक दो बार या एक दो दिन में नापा जाय। मोटेतौर पर 200 मि.मी. के आसपास हो तो उसका इलाज शुरू करने में ज्यादा समय नहीं लगाना चाहिए।
इसके विपरीत अगर किसी आदमी का बी.पी. 150-170 मि.मी. के आस-पास हो और उसे कोई खास तकलीफ ना हो तो मामूली दवा लेना चाहिए और 2-3 सप्ताह के फासले पर कम से कम 2-3 बार बी.पी. जांच करवानी चाहिए। अगर 3-4 बार नाप हो जाने पर बी.पी. बढ़ा हुआ लगे तब ब्लड प्रेशर की दवा लेना उचित माना जाएगा।
इसके अलावा किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बचा 170-200 तक हो, तो इस व्यक्ति के लिए देखने-सुनने के बाद निर्णय करना होता है कि दवा अभी दिया जाए या थोड़ा इंतजार किया जाये।
यह जरूरी नहीं है कि 200 से नीचे का बी.पी. 2-4 सप्ताह में कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। जब दवा शुरू की जाए तो उसे मन में पक्का होना चाहिए कि मेरा
बी.पी. बढ़ा हुआ है और मुझे उसके लिए दवा लेनी चाहिए।
ब्लड प्रेशर को दवा से काबू में कैसे रखें
हालांकि- अभी तक हाई ब्लड प्रेशर की कोई ऐसी दवा नहीं बनी है जो थोड़े दिन दवा खाने और ब्लड प्रेशर के सामान्य होने पर और दवा बन्द करने के बाद भी ब्लड प्रेशर काबू में रहे। अधिकांश व्यक्तियों में दवा बन्द करने के बाद कुछ दिनों में ही बी.पी. वापस पुरानी जगह पहुंच जाता है।
सबसे बड़ा खतरा
हाई ब्लड प्रेशर उच्च रक्त चाप का सबसे दुखदायी और जानलेवा खतरा है लकवा यानी पैरालिसिस जो व्यक्ति को लाचार और अपाहिज बनाने के साथ-साथ जान भी ले लेता है। हम आए दिन सुनते हैं कि अमुक व्यक्ति की दिमाग की नस फटने से मौत हो गई। साधारणतौर पर आज के जमाने में ऐसा होना जरूरी नहीं।
कारगर दवाएं
आज हाई बी.पी. का कारगर और बिना झंझट वाले दिन में एक बार और सिर्फ एक या दो टिकिया खाने वाली दवाएं सभी जगह मिलती है। जिनकी कीमत भी बहुत अधिक नही है।
अपने पैसे की उचित कीमत कैसे पाएं
यह सही है कि दवाओं में एक दवा की कीमत अलग-अलग कंपनियों की अलग-अलग होती है और कई तो 4 गुना बढ़ाकर कीमत रखते हैं। डॉक्टरों की मिली भगत से दुकानदार दवा अधिक कीमत पर बेचने में कामयाब हो जाते हैं। इस मामले में आपकी जान पहचान वाली दवा की दुकान आपकी मदद कर सकती है, जिससे आप उचित कीमत पर सही दवा ले सकें।
ब्लड प्रेशर के मरीज की आवश्यक जांच
ब्लड प्रेशर के रोगियों की जांच, दूसरे हृदय रोगियों से बहुत अलग जांच नहीं होती। ई.सी.जी. सीने का एक्सरे, साधारण खून की जांच, लिपिड प्रोफाइल, ब्लड यूरिया, आंख की जांच, (फन्डोसकोपी) और शुगर।
दवा शुरू करने के बाद 2-3 सप्ताह से लेकर 6 सप्ताह तक का समय ब्लड प्रेशर को सही स्थान पर आने में लग जाता है। खासतौर से उन मरीजों में जिनमें ब्लड प्रेशर आसानी से काबू में नहीं आता। इस बीच बी.पी. नपवाने का काम कई बार पड़ सकता है। पर एक बार जब बी.पी. सही जगह पर आ गया तो उसे उसी के आसपास (11-15 मिलीमीटर का उतार-चढ़ाव तो एकदम स्वाभाविक है।
आज बी.पी. के इलाज में जो दवाएं प्रयोग हो रही हैं उनमें केवल बढ़े हुए बी.पी. को घटाने की सामर्थ्य है साधारणत नॉर्मल बी.पी. को नहीं घटाती, वे एंटी-हाई ब्लड प्रेशर की दवायें हैं।
हम सभी क्रोसिन (पैरासिटामॉल) जैसी दवाओं से परिचित हैं। यह दवा आमतौर पर सिर दर्द के लिए भी इस्तेमाल की जाती है।
लेकिन यदि रोगी को सिर दर्द या बदन दर्द है और 102 डिग्री बुखार भी है तो सिर दर्द में तो आराम आता ही है तापमान भी घटकर 98-99 डिग्री पर आ जाता है क्योंकि क्रोसिन बढ़े हुए तामपान को कम करती है, साधारण तापमान को नहीं क्योंकि इसका काम बढ़े हुए तापमान को ही कम करना है।