ख़तरनाक नहीं होती, सासु मां-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Short Story: सुरीली के पास बैठी दूर के रिश्ते की ननद बोली, "तुम्हारी सास के तेजपन के चर्चे दूर-दूर तक है, थोड़ा सम्भल कर ही रहना!" सुरीली ने जब यह सुना तो सोचने लगी सास तो होती ही है थोड़ी तेज, कोई बात नहीं, मेरी माँ भी तो मुझे डांटती थी, वह सुन चुप-चाप बैठी रही|
मुंह दिखाई रस्म शुरू हुई, सभी बोली बड़ी सुंदर है दुल्हन तो! कई देवरानी जेठानी मुंह देखते हुए बोली थोड़ा सावधान रहना, मन मजबूत कर लेना बड़ी ही खतरनाक है सासु मां ! वह अब डरने लगी, माँ ने कैसे घर में शादी कर दी, पता नहीं कैसे जिंदगी चलेगी? मन ही मन सोचने लगी| रात भर उसे तनाव बना रहा| पहली रात को पति से भी कैसे बोलू? पति क्या सोचेंगे?, माँ दो साल और रुक जाती तो क्या हो जाता? कम से कम मेरा मेरा पीजी तो पूरा हो जाता, और कल आखरी तारीख है, एडमिशन की! कैसे बोलूं? इसी तनाव में उसे रात भर नींद नहीं आई|
सुरीली सबसे पहले उठ नहा धोकर पूजा पाठ कर चाय बनाने लगी, तभी सासु माँ बोली, "अरे! सुरीली इतनी जल्दी उठ गई, थोड़ा और आराम कर लेती!" "नहीं माँजी, जल्दी उठ जाती हूँ मैं!" सुबह के नाश्ते के बाद सुरीली दोपहर के खाने की तैयारी करने लगी, तभी सासु माँ बोली, सुरीली तैयार हो जा! "क्यों माँजी?" "चल चलना है अभी!" "अभी रोटी तो बना लू!" "नहीं, पहले जल्दी से सूट पहन कर आ! फिर देखेंगे रोटी का काम!" सुरीली तुरंत सूट पहन कर बाहर आई, सासुमाँ स्कूटर लेकर खड़ी थी, सुरीली को बैठाया और चल दी, सुरीली को कुछ समझ नहीं आ रहा था! माँ जी कहाँ ले जा रही है,? एक बड़े से होम्योपेथी कॉलेज के सामने गाड़ी रोक दी| "चल जल्दी से अंदर" प्रिंसिपल रूम में सासुमाँ बोली इसका एडमिशन कराना है, पीजी सेंकेंड इयर में!" सुरीली सासु मां का मुंह देखते रह गई !
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