मुरुदेश्वर धाम स्थित भगवान शंकर की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति, के बारे में जानें ये रोचक बातें: Murudeshwar Shiv Temple Facts
Murudeshwar Shiv Temple Facts: भगवान शिव को हिंदू धर्म में बहुत ही शक्तिशाली देवता के रूप में माना जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव को सिर्फ एक लोटे जल से भी प्रसन्न किया जा सकता है। यह ऐसे देवता हैँ जो बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन भलेनाथ क्रोधित भी जल्दी हो जाते हैं। भगवान शिव की मूर्तियां दुनिया के हर कोने में बनी हुई हैं। श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा से इनके दर्शन करने जाते हैं। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में तो शिव मंदिरों में लोगों का तांता लग जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव की तीसरी आंख खुलने से प्रलय आ जाता है, इसलिए इन्हें बहुत शक्तिशाली देवता माना जाता है। वह चाहें तो पूरी दुनिया का विध्वंस सकते हैं।
12 ज्योतिर्लिंग के बारे में तो सब जानते ही हैं लेकिन आज हम जानेंगे भगवान शिव की दुनिया की सबसे बड़ी दूसरी मूर्ति के बारे में। यह कर्नाटक जिले के मुर्देश्वर में स्थापित किया गया है। इस मंदिर का परिसर क्षेत्र तीन तरफ से अरब सागर से घिरा हुआ है। इस मंदिर को कुछ इस तरीके से बनाया गया है कि सूर्य की किरणें सबसे पहले और दिनभर इस मूर्ति पर पड़ती रहे, जिसके कारण यह मूर्ति हमेशा चमकती रहती है। यह मूर्ति 37 मीटर यानी 123 फीट की है। इतने बड़े आकार होने के कारण लोगों को इस मूर्ति को देखने के लिए यहां लिफ्ट का भी इंतजाम किया गया है। यह मूर्ति कर्नाटक के कंदुका का पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी पर स्थापित होने का हिंदू धर्म में एक पौराणिक कारण बताया गया है।
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जानें, मुरुदेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा
हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस मंदिर में भगवान शिव का आत्म लिंग भी स्थापित है, जो रावण,को भगवान शिव ने वरदान में दिया था।रावण ने भगवान शिव की भक्ति में कड़ी तपस्या की, जिससे भगवान शिव ने प्रसन्न होकर यह आत्म लिंग रावण को दिया और कहा कि यदि तुम अमर होने का वरदान पाना चाहते हो तो यह आत्म लिंग लंका में ले जाकर स्थापित करना। यह लिंग जहां धरती पर रखी जाएगी वहीं स्थापित हो जाएगी। रावण इस आत्म लिंग को लेकर जा ही रहा था तभी देवताओं ने उसे यह करने से रोकने के लिए छल किया। रावण ने यह आत्म लिंग लंका से पहले ही धरती पर रख दिया, जिससे नाराज होकर वह इस आत्मलिंग को तहस-नहस करने लगा। इसी दौरान एक पवित्र वस्त्र, जिससे यह आत्म लिंग ढका हुआ था। वह इस कंदुका पहाड़ी पर जा गिरा, जहां पर मुर्देश्वर मंदिर बनाया गया है।
दुनिया का सबसे बड़ा गोपुरम
भारत में मूर्ति कला के तीन शैलियां पाई जाती हैं जिसमें से एक है द्रविड़ शैली। इस शैली के मंदिर दक्षिण भारत में बनाए जाते है, जिसमें मुख्य द्वार को गोपुरम के रूप में बनाया जाता है। मुरूदेश्वर मंदिर का गोपुरम दुनिया का सबसे बड़ा गोपुरम है। इसे राजा गोपुरम भी कहा जाता है। इस गोपुरम का निर्माण 2008 में किया गया। इसी गोपुरम में लिफ्ट का निर्माण किया गया है, जहां से भक्त मुर्देश्वर जी की मूर्ति और अरब सागर का मनमोहक दृश्य आसानी से देख पाते हैं। गोपुरम की खास बात यह है कि इस पर बनी नक्काशीदार मूर्तियां होती हैं, जो हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरित होती हैं। मुरूदेश्वर मंदिर को देखने सिर्फ भारत के श्रद्धालु ही नहीं बल्कि दूसरे देशों से भी लोग बड़ी संख्या में दर्शन करने आते हैं।