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लिफाफा-गृहलक्ष्मी की कहानियां

01:00 PM May 02, 2023 IST | Sapna Jha
लिफाफा गृहलक्ष्मी की कहानियां
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Lifafa Story: ‘देखो बॉर्डर पर मेरी पोस्टिंग आ गई है।” अब जाना तो पड़ेगा ही। रवि ने रश्मि की आंखों में झांकते हुए कहा ।
ठीक है जाओ लेकिन
लेकिन -वेकिन कुछ नहीं जानातो है ही
तो हमारी शादी
रश्मि की आंखों में 4 महीने बाद आने वाली शादी के सपने तैरने लगे। ‘ अभी तो शादी में 4महीने हैं तब तक तो बॉर्डर पर सिचुएशन नॉर्मल हो जाएगी । ‘मैं जाऊंगा”
ठीक है जाओ,
लेकिन एक वादा करो, कि मुझे वहां से हर दिन चिट्ठी लिखोगे
‘वादा करता हूं हर दिन तुम्हें मेरी तरफ से एक लिफाफा मिलता रहेगा, लेकिन वहां पर शायद इतना समय ना मिले कि मैं कुछ लिख सकूं’
‘ ठीक है तुम लिफाफे में बस एक कोरा कागज रख कर भेज देना और मैं समझ जाऊंगी, कि तुम क्या कहना चाहते हो’
रश्मि ने सीधा सा हल दे दिया।
रवि चला गया और अगले ही सोमवार से हर दिन एक लिफाफा रश्मि के पास डाकिया लाने लगा। लिफाफे में होता था केवल एक कोरा कागज, लेकिन रश्मि समझ जाती थी ,कि उसमें क्या लिखा होगा ।
धीरे धीरे 3 महीने बीत गए कोरा कागज वाला लिफाफा हर दिन रश्मि का साथी बनता और और रश्मि उस कोरे कागज पर जो कुछ भी नहीं लिखा होता वह सब कुछ पढ़ लेती ।
अब शादी में केवल एक महीना रह गया था।
जैसे-जैसे शादी के दिन नजदीक आ रहे थे ,रश्मि के दिल की बेचैनी बढ़ती जा रही थी ।
उस दिन दोपहर हो गई लेकिन डाकिया नहीं आया । रश्मि की निगाहें दरवाजे पर लगी हुई थीं तभी स्थानीय सेना के ऑफिस से कमांडर सिंह और उनका साथी राना रश्मि के दरवाजे पर नजर आए । रश्मी उन्हें देख कर चौंक गई। कमांडर सिंह से वो मिल चुकी थी, लेकिन इस समय उनका आना तो कुछ समझ में नहीं आया ।
रश्मि जी हम आपको एक बुरी खबर देने आए हैं । रवि बॉर्डर पर दुश्मन की सेना से लड़ते हुए शहीद हो गया । हमें उसकी लाश भी नहीं मिल सकी। पिछले महीने कि 10 तारीख को यह हादसा हुआ ।आज जब हम को यह यकीन हो गया, कि अब हम उसकी लाश नहीं ढ़ूढ़ पाएंगे तो हम आपको खबर करने आए हैं ।’
रश्मि को कुछ समझ में नहीं आया । थोड़ी देर तो वह जैसे पत्थर की मूर्ति की तरह बैठी रही ,फिर बोली लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है । मुझे अभी कल ही तो उनकी चिट्ठी मिली है।

रश्मि जी वह चिट्ठी पिछली 10 तारीख के बाद से रवि का दोस्त प्रदीप आपको पोस्ट कर रहा था । रवि ने प्रदीप से कह रखा था कि अगर किसी हादसे में रवि घायल हो जाए ,तो उसकी जगह प्रदीप एक लिफाफे में कोरा कागज रखकर आपको पोस्ट करता रहे। बॉर्डर से चिट्ठी आने में लगभग एक सप्ताह लग जाता है ,पर अफसोस की बात यह है एक सप्ताह पहले प्रदीप भी शहीद हो गया।

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