बढ़ते मोबाइल टॉवर्स से घटती जि़ंदगी: Mobile Tower Risk
Mobile Tower Risk: बेहतरीन फ्रीक्वैंसी देने की होड़ में आज सारी सेलुलर कंपनियों ने रेजि़डेंशियल इलाकों में मोबाइल टॉवर्स का जाल-सा बिछा दिया है, मगर अभी कम ही लोग जानते हैं कि ये उनकी जि़ंदगी के लिए कितना बड़ा खतरा है। ज़रूरी है कि हम सब इसके बारे में जागरूक हों-
कहते हैं न कि अति हर चीज़ की बुरी होती है, चाहे उस चीज़ के फायदेवक्ती तौर पर बहुत ज़्यादा ही क्यों न नज़र आएं। मोबाइल एक ऐसा ही गैज़ेट है, जिसने हम सभी के जीवन को काफी आसान बनाने का काम किया है। मोबाइल की वजह से हम अपने उन दोस्तों-रिश्तेदारों से भी लगातार संपर्क बनाए रख सकते हैं, जिनसे पहले खास मौकों के अलावा कभी बात ही नहीं हो पाती थी। मोबाइल के इस फायदे को तो हम सभी जानते हैं, मगर इसी बात का एक पहलू ये भी है कि आज मोबाइल की ही बदौलत लोगों के जीवन के लिए एक बहुत बड़ा खतरा भी पैदा हो गया है।
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किस प्रकार प्रभावित होता है स्वास्थ्य
हम देखते ही हैं कि मोबाइल फोन कनेक्शन और नेट स्पीड को अच्छी फ्रीक्वैंसी देने के लिए सेलुलर कंपनियों ने देश-भर में मोबाइल टॉवर्स का जाल ही बिछा दिया है। इनमें से बहुत बड़ी संख्या रेजि़डेंशियल इलाकों में लगे मोबाइल टॉवर्स की है। इन मोबाइल टॉवर्स से निकलने वाली रेडिएशन इतनी ज़्यादा खतरनाक होती है कि इसके तीन सौ मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य बहुत बुरी तरह से प्रभावित होता है।
लगातार इन विकिरणों के संपर्क में रहने के कारण वे अक्सर किसी न किसी बीमारी से घिरे रहते हैं। सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, लगातार थकान महसूस करना, चक्कर आना, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में ड्राइनेस, काम में ध्यान न लगना, कानों का बजना, सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, पाचन में गड़बड़ी जैसी समस्याएं उनके रोज़मर्रा की जि़दंगी में इस तरह से शामिल हो गई हैं कि उन्हें यह किसी बड़ी चिंता का विषय लगती ही नहीं हैं। यह स्थिति सचमुच बहुत बड़े खतरे की शुरुआत है।
सिर्फ़ इतना ही नहीं, बल्कि इन्हीं रेडिएशन के चलते इन टॉवर्स के आस-पास रहने वाले लोग हार्ट और लंग्स से जुड़ी बीमारियों की चपेट में भी सबसे पहले आने लगे हैं। चाहे बच्चे हों या युवा या फिर बुजुर्ग, शायद ही कोई एज-ग्रुप ऐसा होगा, जिसे इस खतरे से दूर समझा जा सके। इस विषय में अब तक जितनी भी रिसर्च हुई हैं, उन सभी में इस बात की पुष्टि की गई है कि ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स के कारण होने वाला माइक्रोवेव रेडिएशन सेल्स को नष्ट करके कैंसर जैसे रोग तक का कारण बन रहा है। महिलाओं को कंसीव करने में भी इसके चलते का$फी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सेहत पर लालच भारी
ऐसा नहीं है कि जिन घरों की छतों पर ये मोबाइल टॉवर लगे हैं, उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता है, मगर सब-कुछ जानने के बावजूद वे अपनी और अपने आस-पास के लोगों की सेहत से जो खिलवाड़ करते हैं, उसके पीछे वह आकर्षक पैमेंट होती है, जो इन सेलुलर कंपनियों द्वारा उन्हें ऑफर की जाती है।
इन कंपनियों के प्रतिनिधि उन्हें इस बात का भी लालच देते हैं कि ऐसा करके वे हर महीने न सिर्फ़ रेग्युलर किराया वसूल कर सकते हैं, बल्कि इन टॉवर्स की देखरेख से भी अच्छी-$खासी एक्ट्रा इनकम हासिल कर सकते हैं। इस तरह से मिलने वाले ये ऑफर्स इतने आकर्षक होते हैं कि उस बड़ी-सी इनकम के सामने ये अनेक बीमारियां और इनसे जुड़े दूसरे खतरे बहुत छोटे लगने लगते हैं। यहां तक कि कई अदालती आदेशों की भी अनदेखी खुलेआम की जाती है, जिसमें इन टॉवर्स को घरों से दूर लगाने के आदेश दिए गए हैं।
कैसे कम करें इन खतरों को
मोबाइल रेडिएशन से बचने के लिए ये उपाय कारगर हो सकते हैं-
1. मोबाइल टॉवर्स से जितना संभव हो, दूर रहें।
2. टॉवर कंपनी से एंटेना की पावर कम करवाएं।
3. अगर घर के बिल्कुल सामने मोबाइल टावर है तो घर की खिड़कियां-दरवाज़े बंद करके रखें।
4. घर में रेडिएशन डिटेक्टर की मदद से रेडिएशन का लेवल चेक करते रहें और जिस इलाके में रेडिएशन ज्यादा है, वहां कम वक्त बिताएं।
5. अच्छी क्वॉलिटी का रेडिएशन डिटेक्टर करीब पांच हज़ार रुपये में आसानी से मिल जाता है।
6. घर की खिड़कियों पर खास तरह की एंटी-रेडिएशन फिल्म्स लगवाई जा सकती है, क्योंकि सबसे ज़्यादा रेडिएशन ग्लास के ज़रिये आता है। दरवाज़ों पर शिल्डिंग पर्दे लगवाए जा सकते हैं। ये पर्दे का$फी हद तक रेडिएशन के दुष्प्रभाव को रोक सकते हैं।