लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा: Sitting Risks
Sitting Risks: यदि आपका अधिकांश समय कुर्सी पर बैठ कर काम करने में गुजरता है तो यह आपकी सेहत के लिए खतरे की घंटी है। एक अध्ययन में 1.67 लाख वयस्कों को शामिल किया गया। अध्ययन में उनकी जीवनशैली से मृत्यु के आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करने पर पाया गया कि प्रतिदिन बैठे रहने के समय का जीवनकाल की अवधि तथा मृत्यु के तरीके से सीधा संबंध है। यदि आप कुर्सी पर बैठे रहने के समय में तीन घंटे की कमी करती हैं तो दो वर्ष अधिक जी सकती हैं।
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लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
ब्लड सर्कुलेशन स्लो होता है
बैठे रहने से पैरों में ब्लड सर्कुलेशन दो तिहाई घट जाता है। इसके पिंडली में जम जाने की आशंका रहती है। इससे ब्लड वैसल वॉल्स को नुकसान पहुंच सकता है। जो हिस्सा कमजोर होता है, वहां से खून बहने से रोकने के लिए प्लेटलेट्स जमा हो जाते हैं। फाइब्रिन नाम का प्रोटीन प्लेटलेट्स को एक साथ रखकर क्लॉट बनाता है।
कुछ मामलों में खून का थक्के का कुछ हिस्सा अलग होकर शरीर में किसी और स्थान पर चले जाता है। कभी यह फेफड़े तक भी पहुंच सकता है। फेफड़े की किसी धमनी में यह पहुंच जाता है तो पल्मोनरी आर्टरी में थक्का जम जाता है। अगर यह आकार में बड़ा है तो यह आपकी किसी बड़ी धमनी को रोक भी सकता है।
शरीर पर बढ़ती स्थूलता
दिन भर कुर्सी पर बैठकर कंप्यूटर पर आंख गड़ाई महिलाओं में मोटापे और डायबिटीज का खतरा पैदा हो गया है। कुर्सी पर बैठे रहकर काम करने से शारीरिक गतिविधि काफी कम हो जाती है और ये ही बीमारियों को जन्म देती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो कुर्सी पर बैठे रहने वाले लोगों में मोटापा 400 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। टाइप-2 डायबिटीज की बीमारी 250 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है, जिन लोगों के पास कार इंटरनेट और टीवी नहीं है, उनके मुकाबले इनका इस्तेमाल करने वालों की कमर नौ सेंटीमीटर मोटी पाई गई है।
घंटों बैठे रहने से पुरुषों में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ता है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, 'बैठें कम, अधिक से अधिक सक्रिय रहें। कैलिफोॢनया स्थित पासाडेन में कैंसर पर्मानेंट के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख शोधकर्ता देबोराह रॉम यंत्र ने सबसे पहले हृदयाघात और अधिक देर तक बैठे रहने वाले व्यक्तियों के बीच अध्ययन किया। यह शोध 45 से 69 आयु वर्ग के करीब 84170 पुरुषों पर किया गया। करीब आठ वर्षों तक निरंतर शोध के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि सक्रिय रहने वाले पुरुषों की तुलना में कम शारीरिक गतिविधियां करने वाले पुरुषों में दिल का दौरा पड़ने की आशंका 52 प्रतिशत तक अधिक है।
बढ़ता है हृदयाघात का खतरा
शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय और दिन में दो घंटे या इससे कम बैठने वाले पुरुषों की तुलना में दिन में कम से कम पांच घंटे बैठने और कम व्यायाम करने वाले पुरुषों में हृदयाघात का खतरा दो गुने से भी अधिक पाया गया। एक जैसी मुद्रा में लंबे समय तक बैठे रहने से सिर से लेकर पैर तक शरीर के सभी अवयव प्रभावित होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अधिक समय तक बैठे रहने से रक्तचाप बढ़ने की शिकायत हो सकती है। यही नहीं, इससे आपका कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ सकता है। इसके अलावा मधुमेह की बीमारी हो सकती है और यदि मधुमेह पहले से है तो उसमें वृद्धि हो जाती है। कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि जो लोग अधिक समय तक बैठे रहते हैं, उनमें कोलोन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यहां तक कि ब्रेस्ट कैंसर की भी आशंका बढ़ जाती है।
ज्यादा समय तक बैठे रहने का प्रभाव शरीर की मांसपेशियों पर भी पड़ता है और वे कमजोर होने लगती हैं। रीढ़ की हड्डी सीधी नहीं रह पाने के कारण पैर और कूल्हे की सामान्य नमी और लचक खत्म होने लगती है तथा उसमें अकड़न आ जाती है। कुछ लोगों को पीठ या कमर दर्द की शिकायत भी हो सकती है।
अब होगी स्टैंडिंग स्टडी
आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने लंबी बैठक के खतरों को पहचाना तथा इसके लिए एक नया प्रयोग शुरू किया है। मेलबोर्न के एक प्राइमरी स्कूल ने विश्व की पहली स्टैंडिंग क्लास रूम लांच की है। मॉट एलबर्ट प्राइमरी स्कूल की छठी कक्षा में विद्याॢथयों के बैठने या खड़े होने के लिए लंबाई समयायोजित करने वाले डेस्क तैयार किए गए। अधिकतर विद्याॢथयों ने खड़े होने का अवसर चुना। खड़े होने वाले विद्याॢथयों की निगरानी वैज्ञानिकों की टीम द्वारा की जाएगी, जो यह जानना चाहती है कि खड़े रहकर पढ़ने से बच्चों के स्वास्थ्य, सीखने की क्षमता व स्मरण शक्ति में कितना सुधार आता है।
इस स्कूल में विद्याॢथयों को खड़े होकर पढ़ाया जाएगा, ताकि वे स्वस्थ रहें। ऐसे बेकार आईडीआई हार्ट एंड डायबिटीज इंस्टिट्यूट रिसर्च के अनुसंधान के मुताबिक किया गया है। विद्याॢथयों के साथ उपकरण भी लगाए जाएंगे जिससे यह पता चल सके कि वे कितना समय बैठ सकते हैं। इंस्टिट्यूट प्रमुख प्रोफेसर डेविड इंस्टन के अनुसार स्कूल में लंबे समय तक बैठे रहना बच्चों के लिए खतरनाक है।
कैंसर की संभावना
आए एक्सफोर्ड यूनिवॢसटी प्रेस द्वारा प्रकाशित नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के जर्नल में छपी एक नई रिसर्च में बैठे रहने की आदत को कैंसर का न्योता देने वाली आदत बताया गया है। रिसर्च पेपर के अनुसार अगर आप प्रतिदिन अपनी सामान्य दिनचर्या में दो घंटे ज्यादा बैठते हैं तो आपको कोलोन कैंसर होने का जोखिम 8 प्रतिशत, यूटेराइन कैंसर का जोखिम 10 प्रतिशत और लंग कैंसर का जोखिम 6 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। बैठे रहने की आदतों में कंप्यूटर और टीवी के सामने बैठना प्रमुख है। इससे बचने के लिए व्यक्ति को काम के बीच विराम लेना चाहिए।
एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि जो लोग दिन में 9 घंटे या इससे ज्यादा समय तक बैठते हैं वे लोग अपने स्वास्थ्य को बेहद खतरे में डाल रहे हैं। अमरीकन कैंसर सोसायटी में छपे अध्ययन के नतीजों के अनुसार ज्यादा बैठना जोखिम भरा है और यह आपकी जिंदगी को कम कर सकता है। करीब सवा लाख लोगों पर अध्ययन के बाद पता चला है कि दिन में औसतन 9 घंटे या उससे ज्यादा समय तक बैठने वाले लोगों की 15 साल के भीतर मौत होने की आशंका उन लोगों के मुकाबले 40 फीसदी तक बढ़ जाती है, जो दिन में तीन घंटे का समय बैठते हुए बिताते हैं।
महामारी बनता मोटापा
शोध के अनुसार टेलीविजन कंप्यूटर और डेस्क जॉब तकनीक की वजह से अब एक दिन में औसतन 9.3 घंटे बैठते हुए बिताए जाते हैं, जबकि सोने की अवस्था में हमारे सिर्फ 7.7 घंटे बीतते हैं। इसके अलावा साढ़े छह घंटे के समय में हमारा शरीर हल्की-फुल्की हलचल करता है, जबकि दौड़ने, खेलकूद या सीढ़ियां चढ़ने जैसा कसरत भरा काम सिर्फ आधे घंटे के लिए होता है। जैसे-जैसे तकनीक ने इंसान को बैठे रहने पर मजबूर किया है, वैसे-वैसे ही दुनिया में मोटापे के शिकार लोगों की तादाद भी बढ़ी है। रिसर्च के आंकड़े बताते हैं कि 1980 से मोटापे के आंकड़े में लगातार इजाफा हुआ है।